वातावरण – गीतांजलि गुप्ता

स्टाफ़ रूम में घुसते ही देखा मिसेज़ शर्मा गुस्साई सी खड़ी हैं। देखते ही नमस्ते तो करी परंतु बड़े ही तीखे तेवर से। ज़बाब देते समय थोड़ा मुस्कुराने का प्रयत्न किया।

“कैसी हो आप मिसेज़ शर्मा। कोई काम है?” मैंनें पूछा

शनिवार को तो पैरेंट्स टीचर मीट हुई है तब तक तो सब ठीक था ज़रूर किसी बच्चे की शिकायत करने आई हैं, तभी तो भड़की हुई लग रही हैं। रमिक फ़ौर्थ क्लास में पढ़ता है। बहुत सीधा बच्चा है किसी से कुछ नहीं बोलता।  कुछ लड़के उससे बात करना चाहते हैं इसलिए कुछ छेड़ छाड़ कर लेते हैं जैसे नोटबुक छुपा देना उसकी पैन पेंसिल ले कर वापिस ना देना। कभी कभी सब्जेक्ट टीचर भी थोड़ा डांट देती हैं पढ़ाई में भी तो थोड़ा पीछे रहता है।

“आप लोगों के रहते बच्चे गंदी भाषा सीख रहे हैं एक दूसरे  से गाली दे कर बात करते हैं। हमारे रमिक को ये सब अच्छा नहीं लगता आप लोगों को कुछ करना चाहिए।” मिसेज़ शर्मा बोली।

मन ही मन मुझे बहुत गुस्सा आया कैसी कैसी शिकायतें ले कर आ जातें हैं अभिवावक। अपने पद की शालीनता बनाते हुए मैंनें कहा, “हाँ आजकल बच्चों को ऐसा करते देखा जा रहा है। हम भी क्या करें मिसेज़ शर्मा कैसे रोकें। कक्षा में तो हम इसका ध्यान रखते हैं परन्तु कक्षा से बाहर कैसे कंट्रोल करें। आप बताइए।”


“आप नहीं रोकोगे तो कौन रोकेगा।” वो डटी हुई थीं लगता है झगड़ने की ठान कर आईं हैं। मैं भी अपने को शांत नहीं रख पाई। बात बिगड़ने की ख़बर हेड मिस्ट्रेस के पास पहुँच गई। वो वहीं आ गईं। मुझे शांत रहने को कहा और मिसेज़ शर्मा से बात करने लगी।

“देखिये स्कूल में जो विषय पढ़ाए जाते हैं उन पर ही बात करना उचित होगा मिसेज़ शर्मा। हमारा स्टाफ़, टीचर्स, या कोई भी बच्चों से ग़लत भाषा में बात नहीं करते हैं ना ही गालियों से संबंधित विषय पढ़ाये जाते हैं।” आप थोड़ी शांति रख कर बात करें।”  मिसेज़ लूथरा ने समझाते हुए कहा।

“ऐसे कैसे आप अपनी इस जिम्मेदारी से मुँह मोड़ सकती हैं। मुझे अपना बच्चा आप के स्कूल से निकलना पड़ेगा।” धमकी भरे अंदाज़ में मिसेज़ शर्मा बोलीं।

“देखिये अगर आप के बच्चे को किसी ने मारा हो या धमकाया हो और हमने बच्चों का ख़याल न रखा हो तभी तो आप हमें हमारी जिम्मेदारी सिखाएंगी।” मिसेज़ लूथरा  ने बोला।

“सारी बातों के लिए स्कूल को जिम्मेदार ठहराना उचति नहीं है। दूसरे स्कूल में हमारे स्कूल से अच्छी व्यवस्था हो सकती है, अच्छी टीचर्स हो सकती हैं पर जिस वातावरण की आप बात कर रही हैं वो तो वहाँ भी ऐसा ही मिलेगा। घर से, आस पड़ोस से भी बच्चा गंदी भाषा सीखता है मिसेज़ शर्मा। हमारी टीचर्स के सामने कोई बच्चा ग़लत भाषा नहीं बोल सकता।” खैर छोड़ो ये सब, आप जब चाहें अपने बच्चे को दूसरे स्कूल के लियें ले जा सकतीं हैं।”

मिसेज़ शर्मा कुछ देर न जाने किन ख़यालों में खोई खड़ी रहीं फिर बिना कुछ बोले चली गईं। शायद उन्हें समझ आ गया था कि वे बेकार ही स्कूल को दोषी मान रही हैं। पिक्चर्स में, गली मोहल्ले और अन्य स्थानों में भी तो गाली गलौच की भाषा का प्रयोग होता है। ऐसे ही हालात से बच्चे को मजबूती से गुजरना सीखना होगा।

गीतांजलि गुप्ता

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