वक्त से डरो – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

पापा मम्मी आप लोग इस घर से निकल जाइए यह घर अब मेरा है। यहां आपका यह सब पीना पिलाना नहीं चलेगा। क्या कह रहे हो बेटा वक्त से डरो इस उम्र में हम कहां जाएंगे। मुझे नहीं पता

आप कहां जाएंगे लेकिन यहां से चले जाइए।सोसाइटी में मेरी बदनामी हो रही है।   आंखों में आंसू भरकर राजेंद्र और किरण जी घर से कुछ दूरी पर एक मंदिर था वही सीढ़ियों पर जाकर बैठ गए। और सोचने लगे क्या इसी दिन के लिए  लोग औलाद की मन्नत मांगते हैं। जब बुढ़ापे में जब सहारा देने

की जरूरत होती है तो घर से बेघर कर दें। किरण ऐसा क्या गुनाह किया था हमने जो बेटे ने ऐसा कर दिया हमारे साथ। सुनिए जी हमने भी तो गुनाह किया था याद करिए जरा क्या भूल गए हमने भी तो

अपने पिता समान ससुर को घर से निकाल दिया था ।कैसे वह रोते रह गए थे और हम लोगों को दिल नहीं पसीजा था ।  वक्त से डर के रहना चाहिए हम जो करते हैं उसी की सजा हमें इसी जन्म में मिल जाती है और जरूर मिलती है।

                           राजेंद्र तीन भाइयों और माता-पिता के साथ रहते थे ।राजेंद्र दूसरे नंबर के थे और उनसे एक छोटा था और एक बड़ा भाई था। राजेंद्र के पिताजी की किराने की दुकान थी जो काफी

अच्छी चलती थी। बड़े भाई सुरेंद्र रेलवे में नौकरी करते थे। और दुकान राजेंद्र और पिताजी मिलकर संभालते थे ।छोटा भाई वीरेंद्र किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था। रहने का अपना घर था पहले तो सब बिल्कुल कर रहे थे लेकिन बड़े भाई को रेलवे का क्वार्टर मिल गया था तो उसमें रहने लगे थे।

और छोटे भाई का शहर से दूर काम पर जाना पड़ता था तो  वही किराए पर मकान ले लिया था ।राजेंद्र की मां  सीधी और सरल महिला थी ।घर में क्या हो रहा है कैसे हो रहा है पैसों का लेनदेन से

कोई मतलब नहीं रहता था। वह बस घर में रहती थी और घर को ही  संभालती थी। कुछ  समय बाद राजेन्द्र जी की किरण के साथ शादी हो गई‌। वह भी परिवार में घुल मिल गई। लेकिन दुकान के पैसों के मामले में बड़ी पारखी नजर रखती थी किरण जी।

                     शादी के कुछ दिन बाद ही किरण ने अपने पति राजेंद्र को सीखना शुरू कर दिया की दुकान के पैसों पर अपना पूरा हक जमाए रखना ।किसी दूसरे भाइयों को नहीं देना है। इस तरह वह राजेंद्र जी को हर समय  कुछ गलत सिखाती रहती थी ।अब राजेंद्र जी दुकान के पैसों में हेरा फेरी भी

करने लगे थे‌। कुछ  समय बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई ।और उनके   बड़े भाई को दो-दो बेटियां थी और छोटे भाई की भी शादी हो गई थी उसकी भी एक बेटी थी। तो बेटा होने के कारण करण को बहुत लाड़ में रखा जाने लगा। लेकिन वह पढ़ाई में मन लगाता था और पढ़ता अच्छे से था बस एक बात यह अच्छी थी।

                राजेंद्र की मां शांति देवी अस्थमा की मरीज थी ऐसे ही एक दिन सांस उखड़ने के कारण उनकी मृत्यु हो गई। अब तो सारे घर में किरण का राज चलने लगा। घर पर भी किरण का कब्जा हो गया ।पिताजी वृद्ध हो रहे थे तो उनको घर पर आराम करने के लिए कह कर बैठा दिया गया। और

पूरी तरह से दुकान पर पूरा कब्जा राजेंद्र जी ने कब्जा कर लिया। धीरे-धीरे राजेंद्र की  कुछ ऐसे दोस्तों से दोस्ती हो गई जो शराब और जुआ खेलते थे। इस तरह राजेंद्र को भी शराब और जुआ खेलने की लत लग गई। और दुकान घाटे में जाने लगी‌। इस तरह राजेन्द्र ने किसी से पैसे उधार ले रखे थे वह

एक दिन पैसे मांगने के लिए घर पर आ गया ।घर पर राजेन्द्र जी नहीं थे और पिताजी थे। पिताजी को पता लगा कि राजेंद्र ने पैसा उधार लिया हुआ है। तो उन्होंने कहा अच्छा मुझे मालूम नहीं ।आने दो राजेंद्र से मैं पूछता हूं। जब तक राजेंद्र आया तो वह नशे में धुत्त था। पिताजी ने टोका क्या राजेंद्र तुमने

अपनी हालत बना रखी है इस तरह से पीना अच्छी बात नहीं है। और जुआ भी खेलने लगे हो ।उधार लिया हुआ है और वह घर में तकादा लेकर आया था ‌।जब तक मैं दुकान पर रहता था तब तक तो दुकान कभी घाटे में नहीं जाती थी। यह तुमने शराब पीने की लत से लगा लिया है ।राजेंद्र जो अभी

तक सुन रहा था चिल्ला पड़ा चुप रहिए आप मेरे मामले में न बोलें।चुपचाप रोटी खाकर पड़े रहिए मेरे

मामले में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है। मैं तेरा बाप हूं बेटा तू मेरा बाप नहीं है जो मुझसे ज़वाब सवाल कर रहे हो ।अब यह रोज का किस्सा हो गया था ।राजेंद्र दुकान की सारा पैसा जुआ खेलने में बर्बाद कर रहा था। अब रोज घर में बाप बेटे का झगड़ा होने लगा । और अच्छे बुरे का ज्ञान भूल गया

है ।अब दुकान में सामान कम रहने लगा। फिर कहीं से पैसे का जुगाड़ होता ना देख राजेन्द्र ने   घर  को गिरवी रखकर पैसे लेने का जुगाड़ सोचा ।क्योंकि घर में भी पैसे की जरूरत थी और करण को भी

पढ़ाई में पैसे की जरूरत थी। दुकान में सामान लाने के लिए भी पैसे चाहिए थे ।तो उसने पिताजी से पेपर में साइन करने चाहे लेकिन पिताजी ने साइन करने से मना कर दिया।

                  इधर राजन कुछ जुगाड़ लगाने लगा कि कैसे पिताजी से पेपर पर साइन कराया जाए ।पिताजी रात को सोते समय दूध पीते थे उसने दूध में नींद की दो गोलियां डालकर पिताजी को दूध पिला दिया और वह गहरी नींद में सो गए तो उनसे पेपर में अंगूठा लगवा दिया।

             फिर कुछ दिनों बाद राजेंद्र के पिताजी को पता लगा किसी के द्वारा की घर गिरवी रख दिया है बेटे ने ।तो घर में महाभारत छिड़ गई। पिताजी बोल ऐसे कैसे कर सकते हो। इस घर में तीनों बेटों का हिस्सा है । राजेंद्र बोला नहीं किसी का हिस्सा नहीं है यह घर मेरा है। चाहे जो करूं। आपस में

लड़ने लगे तो  पिताजी को घर से बाहर निकाल दिया और दरवाजा बंद कर लिया। पिताजी बाहर से दरवाजा खटखटाते रहे लेकिन राजेन्द्र ने दरवाजा नहीं खोला ।फिर किसी तरह बड़े बेटे को खबर हुई वह आकर पिताजी को अपने साथ ले गया।

             इस दौरान एक बात अच्छी रही कि करण अपनी पढ़ाई करता रहा।  इंटर की परीक्षा के बाद वह इंजीनियर बनना चाहता था। एजुकेशन लोन लेकर उसने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।

घर का माहौल ठीक नहीं था फिर भी वह पढ़ने में मन लगाता था। अपना इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब वह नौकरी पर लग गया था ।और वहीं पर अपना  फ्लैट लेकर रहने लगा था ।और अपने साथ काम करने वाली रूचि से शादी कर ली थी।

         यहां राजेंद्र जुआ और  शराब में सब कुछ बर्बाद कर दिया ।घर दुकान सब चला गया यहां ।बस एक ही सहारा बचा था बेटे के पास चला जाए ।राजेंद्र और किरण जी दोनों बेटे के पास चले गए रहने ।लेकिन अपनी आदतों से बाज नहीं आते थे ।वहां भी उन्होंने पीने की जुगाड़ कर ली। यह आदत कहां

जाती है अक्सर बेटे से पैसे मांगते थे। सोसायटी का नाम खराब हो रहा था ।अभी बेटे का कई बार मना करने पर भी नहीं माने ।आखिर बेटे ने कह दिया आप दोनों इस घर से चले जाएं तो आंखों में आंसू भर के राजेंद्र जी बोले मैं कहां जाऊंगा ।बोले आप कहीं भी जाएं  मेरे घर में आप नहीं रह

सकते। इस तरह से पीना पिलाना यहां नहीं चल सकता ।मेरा नाम बदनाम हो रहा है ।दोनों पति-पत्नी मंदिर की सीढ़िया पर जाकर बैठ गए और सोच रहे थे क्या करें क्या ना करें अब सब कुछ गवा दिया

बेटे ने भी घर से निकाल दिया। आखिरी रास्ता बचा है  ।बस वृद्धाश्रम भाई बस यही एक सहारा है।

         पाठको हम जैसा करते हैं वह सब हमारे सामने आता है ।अपने किए कर्मों से कोई बच नहीं

पता है। इसलिए वक्त से डरें।जो आपने किया है वह सब आपके सामने आकर ही रहेगा चाहे इसके लिए कुछ भी कर लो।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

22जुलाई

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