दर्पण के सामने बैठी मीरा, बालों में झलकती सफेदी और चेहरे की गहरी लकीरें देख हतप्रभ थी। क्या ये वही मीरा है जिसके रूप सौंदर्य पर कॉलेज के सहपाठी दीवाने हुआ करते थे।इसी रूप ने तो कॉलेज का सबसे होनहार छात्र सुयश को अपने मोहपाश में बांध लिया था।अपने जिन लंबे केश और गहरी बड़ी आँखों पर मीरा को अहंकार था वे आज अपना सौंदर्य खो चुके थे। लंबे केश नियमित देखभाल के बावजूद उसका साथ छोड़ रहे। आँखों के चारों तरफ की बारीक़ रेखायें तमाम लोशन और सीरम लगाने के बावजूद गहरी होती जा रही। आँखों के नीचे की कालिमा उनके अनियमित दिनचर्या और अधूरी नींद को दर्शा रही।उम्र किसी को भी नहीं छोड़ती और वक्त किसी के लिये नहीं रुकता।
एक मल्टीनेशनल कंपनी की सी. ओ.मिस मीरा अपने कार्य क्षेत्र में एक बेहतरीन इंजीनियर मानी जाती है। तभी तो जल्दी -जल्दी प्रमोशन मिलता गया, महज अड़तीस की उम्र में वो कंपनी की सी. ओ. बन गई। पर सफलता का ये सोपान उन्हें बहुत कुछ खो कर मिला। एक लम्बी कहानी….
इंजीनियरिंग कॉलेज के फस्ट ईयर के छात्र थोड़े डरे -सहमे क्लास की ओर बढ़ रहे थे। यूँ तो रैगिंग बैन हो चुकी थी पर इस कॉलेज में रैगिंग कब हो जाती किसी को पता भी नहीं चलता। कभी पूछा भी जाता तो ना रैगिंग लेने वाला कुछ बोलता ना रैगिंग का शिकार छात्र कुछ कहता। लड़कियों के झुण्ड में मीरा गायब हो गई, क्लास रूम तक पहुंचते मीरा फिर ग्रुप में दिखाई दी, पर बदले रूप में।आँखों में मोटा चश्मा और तेल से सराबोर लंबे बालों की दो चोटी..। आगे सब समझ गये क्या हुआ..।आँखों में आँसू भरे मीरा थोड़ी देर बाद हॉस्टल वापस आ गई, उसके साथ उसकी रूममेट वर्षा भी आ गई। “इन सीनियर्स को समझ में नहीं आता क्या, उफ़्फ़ कितना तेल डाल दिया बालों में और ये बिना पावर का चश्मा लगाये मेरा कान दर्द कर रहा… पर नहीं आज पूरे दिन मुझे ऐसा ही रहना है..।
“तेरा ये हाल किया किसने “वर्षा के कहते ही मीरा रो पड़ी, यमुना मैम और उनके साथियों ने जिसमें बॉयज भी थे, वो जो पढ़ाकू सुयश है वो भी शामिल था…। मुझे मौका मिलेगा तो जरूर बदला लुंगी।
और मीरा ने बदला ले भी लिया सुयश का दिल मीरा की खूबसूरती में उलझ गया। वेलेंटाइन डेज पर जब सुयश ने उसे प्रपोज डे पर गुलाब का फूल दिया तो मीरा ने उसे फेंक कर अपने अपमान का बदला तो ले लिया पर सुयश की आँखों में जाने क्या था मीरा रात भर सो ना सकी। और आखिर में सुयश से माफ़ी मांग ली। सुयश और मीरा कॉलेज के सबसे चर्चित जोड़े थे, हर क्षेत्र में दोनों हमेशा आगे रहते..।सुयश मीरा से एक साल सीनियर था उसका प्लेसमेंट हो गया, फाइनल एग्जाम दे वो दुखी मन से अपनी जॉब ज्वाइन करने चला गया। एक साल मीरा से काटे नहीं कटा, मीरा भी उसी कंपनी में सेलेक्ट हो गई जिसमें सुयश
सुयश के मम्मी -पापा ने बेटे की पसंद पर अपनी पसंद का मुहर लगा दिया और धूमधाम से मीरा और सुयश की शादी हो गई। कहते है ना खुशियाँ बहुत दिनों तक एक जगह नहीं टिकती यही कुछ मीरा और सुयश के साथ हुआ। मीरा के प्रेजेंटेशन के तरीके से उसका बॉस बहुत खुश रहता। अक्सर बोलता देखना मीरा तुम जल्दी ही कंपनी की सी. ओ. बन जाओगी।जल्दी -जल्दी सफलता के सोपान चढ़ती मीरा को अहंकार हो गया। ऑफिस में बिजी मीरा दिन -रात बस प्रेजेंटेशन में डूबी रहती, भूल गई उसकी कुछ पर्सनल लाइफ भी है। कभी सुयश कहीं घूमने का प्रस्ताव रखता तो मीरा व्यस्तता का हवाला दे मना कर देती। ऑफिस और बॉस के अलावा उसे कुछ ना दिखता। एक दिन सुयश ने कहा -मीरा अब हमें अपना परिवार बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिये, हम तीस के होने वाले है। मीरा जोर से हँस पड़ी -क्या दकियानूसी बात कर रहे हो सुयश, मै इतनी मेहनत सी. ओ. बनने के लिये कर रही हूँ, माँ बनने के लिये नहीं..। एक बार सी. ओ. बन गई, तो जिंदगी बन जायेगी.. माँ तो कभी भी बन सकती हूँ।तुम तो नहीं बन पाओगे जल्दी सी. ओ. पर मै बनूँगी.. कह मीरा दर्प से मुस्कुरा दी।
सुयश को समझ में आ गया, मीरा को अपने पद का अहंकार हो गया है, वो कुछ नहीं सुनेगी। सुयश ने चुपचाप ये कंपनी छोड़ दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली। एक घर में रहते हुये भी मीरा और सुयश एक दूसरे से अजनबी बन गये। ना मीरा को फुर्सत थी सुयश के बारे में जानने की ना सुयश को मन था कुछ मीरा को बताने की।
कल मीरा की रूममेट ऊषा आई थी सात साल की अपनी बिटियाँ के साथ.। साधारण नयन -नक्श वाली ऊषा मातृत्व की आभा से दमक रही थी। जाने क्यों मीरा को उससे ईर्ष्या हो आई। बार -बार आता ऊषा के पति का फोन, बता रहा था ऊषा एक सुखद जीवन जी रही थी। आज सालों बाद मीरा के मन में भी माँ बनने की चाहत जाग उठी। घर जल्दी आ गई। घर के अंदर सुयश के कमरे से सुयश और किसी महिला के हँसने की आवाज आ रही थी..।” कहीं तुम्हारी बीवी आ गई तो “महिला की आवाज आई।”छोड़ो, वो अपने बॉस और ऑफिस में मग्न है ,कह सुयश हँस दिया। दोनों की सम्मिलित हँसी मीरा के कानों में पिघले शीशे की तरह लग रही थी।
मीरा चुपचाप अपने कमरे की ओर मुड़ गई। काम की अधिकता के कारण मीरा देर रात तक काम करती सुयश को रोशनी में नींद नहीं आती, वो दूसरे कमरे में सोने लगा। अलगाव की शुरुआत दबे पैरों हो गई थी जिसकी आहट मीरा सुन नहीं पाई। आज समझ में आ गया। दर्पण के सामने बैठी मीरा के सामने,पूरा एक युग चलचित्र की तरह घूम रहा था। कुछ सोच सुयश के कमरे में गई।-सुयश क्या हम फिर से पहले जैसे नहीं रह सकते..सॉरी यार मुझसे गलती हो गई, सुयश पत्थर की तरह खड़ा रह गया..।आगे बढ़ सुयश को पकड़ मीरा जार -जार रो पड़ी। अनजाने में सुयश का हाथ मीरा के सर पर आ गया -तुमने लौटने में बहुत देर कर दी मीरा…। बाहर तलाक के पेपर रखें है।
लुटी -पिटी से मीरा अपने अहंकार में आज सब कुछ खो बैठी..। समय रहते उसने अपने पारिवारिक जीवन पर ध्यान दिया होता तो आज सुयश और उसकी खुशियाँ उसकी मुट्ठी में होती।
#अहंकार
—संगीता त्रिपाठी