सोनिया मैंने कहा है कि मेरे साथ भाग चल।पर तू है कि मानती ही नहीं।
टिंकू ने सोनिया से कहा।
तो सोनिया ने उत्तर दिया,” नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकती। मैंने तुमसे प्यार किया है।कोई चोरी नहीं की है। जब मेरे माता-पिता मान गए हैं तो तुम्हारे माता-पिता भी मान जाएंगे।”
टिंकू ने कहा,”पर मेरे माता-पिता हमारे विवाह के लिए तैयार नहीं है और मुझे नहीं लगता कि वे हमारे विवाह के लिए मानेंगे।मैं तुम्हारे सिवा किसी ओर से विवाह नहीं कर सकता ।”
सोनिया ने कहा,” तो मैं कौन सा किसी और से विवाह करना चाहती हूं। यदि तुम्हारे माता-पिता हमारे विवाह के लिए मानेंगे तभी हम विवाह करेंगे। नहीं तो मैं कुंवारी ही रहूंगी।”
इतना कहकर सोनिया घर की ओर चल दी।
टिंकू कुछ देर वहीं खड़ा सोचता रहा कि आखिर क्यों सोनिया उसका साथ नहीं दे रही? अपने नाम की तरह उसकी सोच भी छोटी थी उसे घर से भागना सबसे आसान तरीका लग रहा था।
घर जाकर उसने आज फिर माता-पिता से बात की लेकिन माता-पिता इस बात के लिए तैयार ही नहीं हो रहे थे कि टिंकू के पसंद से उसकी शादी करवा दें। टिंकू के दो और छोटे भाई थे। वे डरते थे कि उन पर इस से गलत प्रभाव पड़ेगा और उनके मन में यह भी डर था कि पता नहीं लड़की के मन में क्या है? वह कहीं हमारे बेटे को हमसे छीन न ले।
अभी तो इन दोनों का विवाह तक नहीं हुआ है और टिंकू उसके पक्ष की बात करता है।कल को जब वह घर में आ गई तो कहीं ऐसा ना हो कि टिंकू उसके अनुसार चले और हमारा जीना मुश्किल हो जाए।
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टिंकू ने माता-पिता से कहा कि आप एक बार कम से कम सोनिया और उसके परिवार से मिल लो।मिलने के बाद ही आपको उनके बारे में सही पता चलेगा।
टिंकू के बार-बार कहने पर माता-पिता सोनिया और उसके परिवार से मिलने के लिए तैयार हो गए।
दोनों परिवार जब एक दूसरे से मिले तो टिंकू के परिवार को पता चला कि सोनिया उनकी जाति की नहीं है और उनका परिवार लोअर मिडल क्लास है। टिंकू का परिवार अपर मिडिल क्लास से संबंध रखता था। उन्हें यह रिश्ता मंजूर नहीं था। लड़की यदि अपनी जाति की नहीं है तो कम से कम उनके परिवार का स्टेटस उनके बराबर होना चाहिए।
टिंकू ने माता-पिता को बहुत समझाने की कोशिश की। उसने कहा,”मैंने उनके घर जाकर नहीं रहना है। मुझे दहेज नहीं चाहिए। लड़की ने मेरे पास आकर रहना है। आप सिर्फ लड़की को देखिए। उसके गुनों को देखिए। वह चाहती तो मेरे साथ भाग सकती थी। मैंने खुद उसे घर से भाग जाने के लिए कहा था। पर वह नहीं मानी।” माता-पिता को टिंकू की बात पर विश्वास नहीं हुआ।
उन्होंने कहा, “ठीक है। एक बार लड़की को गुरु जी के पास लेकर आओ। अब हम जिस गुरु को मानते हैं, उनके सामने ही आखरी बार मिलकर यह तय करेंगे कि तुम्हारी शादी उस लड़की से करनी है या नहीं।”
टिंकू को उम्मीद की किरण दिखाई दी। टिंकू, उसके माता-पिता और सोनिया गुरु जी के सामने बैठे थे। टिंकू के माता-पिता ने गुरु जी को सारी बात बताई। यह सुनने के बाद गुरु जी ने सोनिया से पूछा कि “आजकल तो लड़कियां सिर्फ लड़के से संबंध रखना पसंद करती हैं। दोनों परिवारों की इच्छा से विवाह होने के उपरांत भी अक्सर बच्चे माता-पिता से अलग हो जाते हैं। तुम्हारे माता-पिता मान गए हैं।
पर लड़के के माता-पिता नहीं माने। लड़का तुमसे अपने माता-पिता की अनुमति से बाहर जाकर विवाह करने को तैयार है। फिर भी तुम इस बात पर क्यों अटकी हो कि माता-पिता की आज्ञा से ही विवाह करोगी। कहीं तुम्हें ऐसा तो नहीं लगता कि यदि लड़के से माता-पिता की आज्ञा के बिना विवाह करूंगी तो घर परिवार से जायदाद में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा? तुम्हें किस बात का लालच है?” तब सोनिया ने कहा,” मेरे भी छोटे भाई बहन हैं।
मैं ऐसा कदम उठाकर अपने माता-पिता के लिए किसी मुसीबत को मोल नहीं ले सकती ।भागने के बाद भी हमें इसी समाज में रहना है। भले ही मेरे माता-पिता सहमत हैं पर अपने ससुराल से बाहर रहने पर लोग तो यही कहेंगे कि इस लड़की ने एक लड़के को उसके माता-पिता से छीन लिया। मेरे भाई बहनों के साथ-साथ टिंकू के भाईयों पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। फिर माता-पिता और बच्चों का संबंध ऐसा होता है
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जो कभी नहीं छूट सकता। अगर मैं ऐसा कदम उठाती हूं तो मेरे रिश्ते बनने से पहले ही बिगड़ जाएंगे और ससुराल में तो रिश्ते बनाने पड़ते हैं। जो रिश्ते अभी बने ही नहीं मैं उनको बनने से पहले खराब नहीं कर सकती। इसलिए मैं टिंकू से तभी शादी करूंगी जब माता-पिता की आज्ञा होगी। दोनों परिवार विवाह में शामिल होंगे। बड़े अपना आशीर्वाद देंगे।तभी हमारा विवाह सफल हो पाएगा। यह बात सुनकर गुरुजी बहुत प्रसन्न हुए
और टिंकू के माता-पिता को कहा कि निसंकोच दोनों बच्चों का विवाह कर दीजिए।ऐसी सोच वाली लड़की कभी भी आपका अहित नहीं करेगी। गुरु की आज्ञा सुनकर और सोनिया के विचार सुनकर टिंकू के माता-पिता बहुत खुश हुए।उनके तीन बेटे हैं लेकिन अब उन्हें बेटी भी मिल गई थी। उन्होंने धूमधाम से टिंकू और सोनिया का विवाह किया और सोनिया जैसी बेटी के रूप में बहु को घर ले आए।
डॉ हरदीप कौर (दीप)
#मायके में आपके रिश्ते बने होते हैं पर ससुराल में बनाने पड़ते हैं।