रवि और ज्योति की शादी लव मैरिज थी। दोनों एक-दूसरे से बहुत प्रेम करते थे और जीवन में साथ आगे बढ़ने के कई सपने देखे थे। लेकिन, रवि के परिवार, खासकर उसकी मां और बहन को यह शादी मंजूर नहीं थी। माँ ने बेटे की खुशी के लिए शादी की इजाजत दे दी, लेकिन उन्होंने ज्योति को कभी दिल से नहीं अपनाया।
उनकी नजरों में ज्योति बाहरी थी, एक ऐसी लड़की जिसने उनके बेटे को उनसे छीन लिया था। शादी के बाद ही वे ज्योति के खिलाफ रवि के मन में गलतफहमियाँ पैदा करने लगीं। माँ और बहन, जिन्हें रवि अपनी जिंदगी में आदर्श मानता था, धीरे-धीरे ज्योति के खिलाफ उसकी सोच को बदलने लगे।
शादी के कुछ समय बाद ही रवि के जीवन में कई समस्याएँ आने लगीं। ज्योति ने महसूस किया कि रवि की माँ और बहन उसे अपने परिवार में स्वीकार करने में संकोच कर रही थीं। वह अपने पति से बहुत प्रेम करती थी और अपने रिश्ते को बचाए रखने के लिए हर मुमकिन कोशिश करती थी। लेकिन रवि की माँ और बहन ने ज्योति के खिलाफ षड्यंत्र रचने शुरू कर दिए।
वे अक्सर उसे रवि से दूर रखने का प्रयास करतीं और जब भी मौका मिलता, वे उसे बदनाम करने की कोशिश करतीं। वे उसे रवि के सामने ऐसी घटनाओं में दोषी ठहरातीं जो उसने की ही नहीं थीं, और उसे चरित्रहीन साबित करने का प्रयास करती थीं।
रवि अपनी माँ और बहन की बातों को सच मानने लगा। उसे लगता कि उसकी माँ और बहन कभी झूठ नहीं बोलेंगी, क्योंकि वे उसके अपने खून हैं और हमेशा उसके भले की सोचेंगी। ज्योति, जो इस सब में निर्दोष थी, इस झूठे आरोपों और षड्यंत्र के बीच फँसी हुई थी। वह रवि को समझाने का प्रयास करती, लेकिन हर बार वह उसे झूठा साबित कर देता। रवि का शक और क्रोध इतना बढ़ गया था कि उसने ज्योति की बातों को समझने का प्रयास भी छोड़ दिया था। उसे अपनी माँ की बातों पर इतना अंधविश्वास हो गया था कि वह अपनी पत्नी की सच्चाई को न देख सका।
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समय के साथ, रवि और ज्योति के बीच की दूरियाँ बढ़ती चली गईं। रोज-रोज की गलतफहमियों और झगड़ों ने उनके रिश्ते को कमजोर कर दिया। रवि ने अंततः ज्योति पर इतना संदेह किया कि उसने ज्योति को घर से निकाल दिया। एक प्यार भरा रिश्ता शक और गलतफहमियों के कारण टूट गया। ज्योति के जाने के बाद, रवि ने खुद को सही मानते हुए यह सोच लिया कि उसने अपनी ज़िंदगी से एक ऐसी महिला को हटा दिया है, जो उसके साथ वफादार नहीं थी। उसने अपने मन को तसल्ली दी कि उसने सही फैसला लिया है और अब उसके जीवन में शांति आएगी।
कुछ समय बाद, एक दिन रवि घर पर अकेला बैठा था जब उसने अपनी माँ और बहन को बात करते हुए सुना। उसकी बहन ने मुस्कुराते हुए अपनी माँ से कहा, “देखा माँ, हमने ज्योति को रवि की ज़िंदगी से अलग करवा ही दिया। अब रवि अपनी पसंद की लड़की से शादी कर लेगा, और हमें कोई दोषी भी नहीं कहेगा।” उसकी माँ भी इस बात पर मुस्कुराई और कहा, “हाँ, यह सही रहा। अब हमारे बेटे की ज़िंदगी में हमारी पसंद की लड़की आएगी।”
रवि के दिल पर जैसे एक पत्थर सा गिरा। उसे महसूस हुआ कि उसने अपनी पत्नी ज्योति के साथ कितना अन्याय किया था। उसके पूरे जीवन की सच्चाई एक झटके में सामने आ गई। उसे एहसास हुआ कि उसकी माँ और बहन, जिन्हें वह अब तक सच्चा मानता आया था, ने उसकी ज़िंदगी में कितना बड़ा झूठ बोला और उसकी पत्नी के खिलाफ षड्यंत्र रचा। उसे महसूस हुआ कि उसने अपनी सच्ची साथी को खो दिया है, केवल उन लोगों के झूठे और संकीर्ण विचारों की वजह से।
रवि का दिल अपराधबोध से भर गया। उसकी आँखों में आँसू आ गए और उसने खुद से कहा, “काश मैंने उस समय ज्योति की बात पर विश्वास किया होता। काश मैंने उसके मन की सच्चाई को समझने की कोशिश की होती। उसने मुझसे प्यार किया, मेरे साथ एक खुशहाल जीवन जीने का सपना देखा, लेकिन मैंने उसे इस तरह अकेला छोड़ दिया।”
अब, जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ, तब बहुत देर हो चुकी थी। ज्योति कहीं दूर जा चुकी थी और उसके पास उसे वापस लाने का कोई तरीका नहीं था। वह समझ गया कि उसने एक सच्चे और वफादार रिश्ते को खो दिया है। रवि खुद को कोसता रहा कि उसने अपने हाथों से अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली है।
इस घटना ने रवि को एक ऐसी सीख दी जो वह अपनी ज़िंदगी भर नहीं भूल सकता। उसने समझा कि रिश्तों में विश्वास और सच्चाई सबसे महत्वपूर्ण चीजें होती हैं। वह यह समझ गया कि बाहरी लोगों के कहने में आकर अपने साथी के प्रति शक करने से रिश्ते कमजोर हो जाते हैं। उसने अपने जीवन के इस सबक को गहरे दिल में बैठा लिया कि अपने साथी पर भरोसा करना चाहिए, क्योंकि रिश्तों में शक के लिए जगह नहीं होती।
रवि ने अपनी इस गलती को स्वीकार कर लिया, लेकिन अब उसके पास ज्योति को लौटाने का कोई रास्ता नहीं था। उसने जिंदगी के इस दर्द को अपने साथ रख लिया और खुद को इस कड़वी सच्चाई के साथ जीने के लिए तैयार किया।
मौलिक रचना
अंजना ठाकुर