विदाई का टीका – नीरजा कृष्णा

इस वर्ष  माँबाबूजी के जाने के बाद राखी दीदी और जीजाजी पहली बार उनके पास एक सप्ताह के लिए आ रहे थे।

राजेश और रागिनी बहुत खुशी से सब व्यवस्थाएँ देख रहे थे। राशन के सामानों की लिस्ट बन रही थी, तभी राजेश बोल पड़ा,

“देखो रागिनी! बहुत दिनों पर दीदी जीजाजी के साथ आ रही हैं…वोभी अम्मा और बाबूजी के जाने के बाद। हमें कोशिश करनी है कि कोई कमी न रह जाए और उन्हें माता पिता की कमी न खले।”

रागिनी ने भी पूरी सहमति जताई थी और स्नेह से बोली थी,”मैंने अपने पीहर में भी यही देखा है। भैया भाभी हम तीनों ही बहनों का कितना मानदान करते हैं। हमारी तो यही एक दीदी हैं और वो भी तो कितनी स्नेहमयी हैं ना।”

नियत समय पर सबलोग आए और एक सप्ताह तो जैसे चुटकियों में ही निकल गया। आज उनकी विदाई है। वो विदाई का सब सामान लेकर उनके कमरे में गई और उनके पीछे चुपचाप खड़ी हो गई। गला रुंधा था …बोल ही नहीं फूट रहे थे। आहट पाकर वो पलटी और उसे इस तरह खड़े देख कर प्यार से पूछने लगी। वो उनकी गोद में सभी पैकेट रख कर उनके गले लग गई। वो भी इस अप्रत्याशित बात पर अचकचा सी गई और अपने पास उसे बैठा कर बोल पड़ी,

“ये क्या रागिनी! तुम दोनों हमसे बहुत छोटे हो। तुमने इतना प्यार सम्मान दिया। अम्मा बाऊजी की कमी ही नहीं खलने दी। अब ये सब हम नहीं ले सकते। बस हमारा पीहर सलामत रहे। तुम सब खूब फूलो फलो।”

तभी राजेश अंदर आते हुए बोला,

“दीदी, भाई भाभी छोटे हों तो भी बड़े बन जाते हैं।आखिर हमलोग अम्मा बाबूजी के रीप्रेजेंटेटिव हैं ना।”

दीदी तो खुल कर हँस पड़ी। उनके दिए पैकेटों को माथे से लगाते हुए बोलीं,

“ये तो तुमने चौबीस कैरेट शुद्ध खरी बात कह दी। वाह भाई वाह।”


अब तक इस वार्तालाप का चुपचाप रसास्वादन करते जीजाजी कह बैठे,

“एक कमी रह गई हैं। उसे भी पूरा करो साले साहब।”

सब चौंक कर उनकी ओर देखने लगे थे। राखी दीदी तो शायद किसी बमविस्फोट की आशंका से काँप ही गई थीं। वो आनंद लेते हुए हँस पड़े,

“आपलोग अन्यथा ना लें। सलहज  साहिबा रोली अक्षत से हमदोनों का टीका भी काढ़ दें।”

राखी दीदी ने प्रतिवाद किया,

“अरे ये काम तो अम्मा का था। रागिनी तो बहुत छोटी है। वो कैसे…।”

वो बीच में ही बोले,”अभी साले साहब ने बोला है ना…वो अब बड़े हो गए हैं और माता पिता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।”

रागिनी दौड़ कर चाँदी की तश्तरी में रोली अक्षत और शगुन के लिफ़ाफ़े रख लाई।

नीरजा कृष्णा

पटना

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