“तुमको पता है जिंदगी के लिए उड़ान और आजादी कितनी जरूरी है! ” सलय ने शीना के हाथ को अपने हाथों में लेते हुए कहा तो शीना ने गहरी सांस लेते हुए हाँ कहा और नदी में उठती लहरों पर पास में ही पड़ा एक कंकड़ देकर मार दिया।
लहर ऐसे ही उठती आगे बढ़ती रही हाँ शीना को कुछ क्षणों के लिए यह आभाष जरूर हुआ कि उसने किसी को अपनी शक्ति के प्रहार से दबा दिया हो।
“हम बालिग हैं तुम बाइस और मैं पच्चीस का हूँ। हम अपनी मर्जी का काम करने के लिए स्वतंत् हैं। ” सलय ने फिर से स्वतंत्रता शब्द पर जोर दिया।
“तुमको पता है सलय पापा ने दिन रात मेहनत करके मुझे पढ़ाया लिखाया है। मम्मी ने मेरा अपनी जान से ज्यादा ख्याल रखा है… अगर मेरे मम्मी पापा मेरे लिए कोई निर्णय लेंगे भी तो मेरी भलाई के लिए ही लेंगे। ” शीना ने मुस्कराते हुए कहा।
“फिर मुझसे प्यार क्यों किया? ” सलय ने गुस्से में कहा।
“प्यार मैंने तुमसे किया नहीं था… बस तुम मुझे दुनिया के सबसे प्यारे इंसान लगते हो… और जरूरी तो नहीं कि प्यार किया है तो शादी भी होगी ही… अगर माँ बाप के दिल को दुखा और समाज को धता बता हम एक हो भी गए तो क्या कभीखुश रह पाएंगे। ” शीना ने सलय की आँखों में झांकते हुए कहा ।
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“देखो शीना तुम अपना वादा तोड़ रही हो… हमारे घर वाले अगर राजी नहीं हैं तो क्या हुआ… हम हम भागकर शादी कर लेंगे। ” सलय ने बेचैन होते हुए कहा।
“और फिर हम पूरी जिंदगी खुद से भागते रहेंगे। ” शीना ने सलय की तरफ मुस्कराते हुए कहा।
“सलय मम्मी पापा को दुःखी करके हम कभी खुश नही रह पाएंगे… उन्होंने हमारे लिए कितने त्याग किये हैं… क्या हम उनकी एक इच्छा कि बे अपनी मर्जी से हमारी शादी करना चाहते हैं… पूरी नहीं कर सकते…! “
“मैंने सबकी इच्छा ये पूरी करने का ठेका थोड़े ही लिया है.. रोज कितने ही लोग मर्जी से शादियाँ कर रहे हैं…! “
“और इसलिए उनकी शादियाँ टूट भी रहीं… क्योंकि उन पर माँ बाप का आशीर्वाद नहीं होता… कभी सपनीली दुनिया से हकीकत की दुनिया को बर्दाश्त ही नहीं करते ऐसे जोड़े और उनके अंत बहुत ही भायानक होते हैं। ” शीना ने धीरे से कहा।
अभी हाल ही में उसके मौसेरे भाई ने प्रेम विवाह किया था और शादी के एक महीने बस ही तलाक़हो गया क्योंकि जब दोनों प्रेम में थे तब तो सातवें आसमां पर एक दूसरे के साथ उड़ रहे थे… वास्तविकता से परे।
“तो क्या अरेंज मेरेज में शादियाँ नहीं टूट रहीं!? ” सलय ने प्रश्न किया।
“इतने भयानक हालात नहीं है… परिवार के बड़े लोग साथ होते हसीं… बात संभाल लेते हसीं.. समझाते हैं ऊँच नीच।! “
शीना ने फिर से मुस्कराते हुए कहा।
“तुम बहुत धोखेबाज निकली… प्यार का नाटक किया और अब मुकर रही हो। ” सलय ने तैश खाते हुए कहा।
“प्यार का मतलब शादी ही नहीं होती सलय… और वह प्यार ही क्या जो त्याग न मांगे। ” शीना ने सलय को समझाते हुए भरे गले से कहा।
“तुम डरती हो उड़ान से.. आजादी से। ” सलय ने आखिरी तीर चलाया।
“मैं ऐसी आजादी और उड़ान का हिस्सा कभी नहीं बनूँगी.. जिससे मेरे माता पिता का सिर शर्म से झुक जाए। ” और अलविदा कहकर शीना आगे बढ़ गई।
राशि सिंह
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
(मौलिक लघुकथा)