आज बड़े दिनों बाद फुर्सत के थोड़े पल मिले तो नीता फेसबुक खोलकर देखने लगी. कोई कहीं घूमने जा रहा तो कोई अपने बच्चों का परीक्षा परिणाम दिखा रहा. उसके बड़े बेटे सुयश के भी 12वीं में अच्छे प्रतिशत आये थे. सबकी अपडेट देखते-देखते अचानक उसको अपनी एमएससी की सहेली वीणा की याद आयी.
दोनों ने साथ में पढ़ाई पूरी की, 6 महीने के अंतर में दोनों की शादी भी हुई और संयोग देखिये, दोनों की पहली संतान भी 1 महीने के अंतराल में हुई. नीता का बेटा एक महीने छोटा था वाणी की बेटी विधि से.
उत्सुकतावश उसने वीणा का प्रोफाइल खोला तो देखा कि विधि के भी 95 प्रतिशत आये थे और माँ बेटी की पार्टी की भी तस्वीरें थी. पर उन तस्वीरों में न तो वीणा के पति दिख रहे थे न छोटी बेटी शुचि. “कोई नहीं”. होंगे वो लोग कहीं और या शायद उनकी फोटो ही न लगाई हो.
ऐसी ही तो थी वीणा, ज्यादातर अपनी ही तस्वीरें लगाती थी, खुद को बहुत पसंद करती थी वो. एकदम मनमौजी, पढ़ने में अच्छी, दिखने में अच्छी, बैंक में नौकरी भी अच्छी और तो और शादी भी अपनी पसंद के लड़के से की थी,
रोहित से. रोहित उसके बैंक में साथ काम करते थे, प्यार हुआ. फिर जैसा कि वीजातीय शादी में होता है, थोड़ी ना-नुकुर, थोड़ी मान-मनुहार और फिर बेमन से ही सही, शादी! दोनों बहुत खुश थे और फिर धीरे-धीरे व्यस्तताएं ऐसी बढ़ी कि ना उसने खबर ली और न नीता ही ज्यादा कुछ जान पायी. बस थोड़ा बहुत यही फेसबुक और वाट्सएप्प से पता चल जाता था. नीता ने तो अब फेसबुक से भी दूरी बना ली थी. बेटे सुयश का 12वीं का बोर्ड जो था.
आज जा के नीता को समय मिला था. वो एक-एक कर के नीता के सभी फोटो देख रही थी. लगभग सभी तस्वीरों में ये दोनों माँ-बेटी ही थे. किसी-किसी में वीणा के पापा साथ में थे. माँ तो बहुत पहले स्वर्ग सिधार चुकी थीं. पर एक भी फोटो में रोहित या शुचि नहीं थे.
ज्यादा ढूंढ़ने पर उसने पाया रोहित या शुचि की कोई फोटो नहीं है यहाँ तक कि शादी की और शुचि के जन्म की भी नहीं. रिलेशनशिप स्टेटस देखा तो “सेपरेटेड” लिखा था और दूसरा था “इन ए कॉम्प्लिकेटेड रिलेशनशिप”.
ये क्या है! रोहित से अलग हो गयी! और किसी और के साथ रिलेशनशिप में है वो भी “कॉम्प्लिकेटेड”! और शुचि! वो कहाँ है?
इन सब सवालों का जवाब ढूंढने के लिए उसने वीणा का नंबर लगाया. बंद था. मैसेंजर में हेलो लिखा और अपना नंबर देकर उसको बात करने का आग्रह किया. फिर घर के काम में लग गयी. पर जब भी कोई नोटिफिकेशन या कॉल आता, दौड़कर देखती.
अगले दिन दोपहर में उसकी कॉल आयी, ट्रूकालर में उसका नाम देख के ख़ुशी हुई और झट से कॉल रिसीव किया. इधर उधर की कुछ बातें करने के बाद मैंने सीधे ही उससे जीजाजी और शुचि के बारे में पूछ लिया. वो थोड़ा झिझकी फिर जो बताया वो मेरी नींद उडाने के लिए काफ़ी था.
उसने बताया कि शादी के कुछ साल के बाद ही उनके झगडे होने लगे थे, वो भी साधारण वाले, जैसे- मैं भी जॉब करती हूँ, बच्चे मैं ही क्यों संभालूँ, किचन का काम मेरा ही क्यों? फिर उसके जीवन में निहाल आया. निहाल उसका पड़ोसी था
और अपनी पत्नी से अलग रह रहा था. निहाल की नक़दीकिओं से रोहित से वो और दूर होती जा रही थी और एक दिन डाइवोर्स फ़ाइल कर दिया. रोहित हमेशा साथ रहना चाहता था पर वीणा को अब ये रिश्ता टॉक्सीक लगने लगा था.
कोर्ट में रोहित ने शुचि की कस्टडी माँगी तो भी वीणा ने कोई ऐतराज नहीं किया. उसको तो बस उस रिश्ते से अलग होना था. एक और वजह थी शुचि को न लेने की, निहाल की भी एक बेटी थी. तो भविष्य में वीणा को तीन बेटिओं को संभालना पड़ता
और वो इतनी जिम्मेदारियां नहीं निभा सकती थी. बस फिर, सम्बन्ध-विच्छेद और शुचि की जिम्मेदारी से मुक्त होकर वो अपना जीवन जीने लगीं थी. धीरे-धीरे निहाल भी आनाकानी करने लगा था शादी करने से, वो शायद अपनी पत्नी से कानूनी तौर पर अलग नहीं होना चाहता था.
इसलिए कॉम्प्लिकेटेड रिलेशनशिप था. रोहित ने फिर भी दोनों बेटिओं के बीच रिश्ता बनाना चाहा पर वीणा ने सब ख़त्म कर दिया. वो कहती थी कि दूसरी बेटी के पैदा होने पर रोहित ने ही पूरा संभाला, उसको तो शुचि से कोई लगाव था ही नहीं. फिर निहाल की भी तो एक बेटी है, उसको भी तो मुझे ही संभालना था. वो अभी और बात करती पर उसको कोई काम आ गया और फिर बात करेंगे बोलकर वो चली गयी.
वो सामान्य बात कर रही थी पर मेरा मन बेचैन था. कैसी है ये? एक बार को मान लेती हूँ रिश्ते में नहीं जमी तो चलो अलग हो गए, पर शुचि! उसके प्रति ममता नहीं? एक औरत के सारे गुणों में सर्वश्रेष्ठ गुण है ममता का और इस औरत के अंदर वो ही नहीं!
किसी और की बेटी की जिम्मेदारी इस पर आएगी तो अपनी जनी को छोड़ दिया! ये तो फिर भी किसी के साथ है पर रोहित ने तो अपनी बेटी को ही अपना जीवन समर्पित कर दिया है और दुबारा शादी नहीं करेंगे ऐसा वीणा ने ही बताया.
हमनें प्रायः देखा है जब भी कोई रिश्ता टूटता है, पुरुष को ज्यादा दोषी ठहराया जाता है. पर इसमें कौन दोषी है? अगर दोनों ही हैं तो कौन कम है कौन ज्यादा? बेटिओं का क्या कुसूर? एक से माँ अलग हो गयी, एक पिता के स्नेह से वंचित है! मैं ज्यादा तो कहने की स्थिति में नहीं हूँ पर तीनों ही बेटिओं के लिए मुझे बुरा लग रहा है. वैसे भी टूटे रिश्तों का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर ही तो पड़ता है.
पूजा गीत
#टूटते रिश्ते
Heart touching story 🙏🙏
Pati patni ke alag hone ka asar bacho par hi padta h…