टूटते रिश्ते जुड़ने लगे – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

रात का खाना खाते समय रेवती बहुत चुप चुप थी। एकदम शांत और गंभीर, पर उसके भीतर एक बहुत बड़ा तूफान करवटें ले रहा था। रेवती समझ नहीं पा रही थी कि वह सही सोच रही है या गलत। उसे गहरी सोच में डूबे देख कर उसके पति राघव ने पूछा

-“क्या बात है रेवती, परेशान सी दिख रही हो। खाना भी ठीक से नहीं खा रही हो। अभी तुम्हारी डिलीवरी को ज्यादा समय नहीं हुआ है तुम्हें अच्छी पोषण वाली डाइट समय पर लेनी चाहिए। डॉक्टर साहिबा ने और तुम्हारी मम्मी ने सब कुछ समझाया तो है, फिर भी तुम ध्यान नहीं दे रही हो।” 

रेवती ने उत्तर न देकर सवाल किया-“मैं कुछ मांगू तो दोगे?” 

राघव-“सब कुछ तुम्हारा ही तो है, फिरभी कुछ इच्छा है तो मांग लो।” 

रेवती-“मुझे डिवोर्स चाहिए ,दोगे?” 

राघव के हाथ से खाने का चम्मच छूट कर गिर गया।”क्या? तलाक पर क्यों?” 

रेवती-“मैंने तुम्हें शादी के वक्त ही कह दिया था कि मैं शादी के बाद जल्दी जिम्मेदारियां में नहीं फंसना चाहती और मैं अपने करियर पर फोकस करना चाहती हूं। इसीलिए मैं अभी बच्चा पैदा करना नहीं चाहती थी। जब मैं प्रेग्नेंट हो गई

तो मां के और तुम्हारे कहने पर मैंने कुश को पैदा भी कर दिया और अब मेरा पूरा दिन उसे संभालने में ही निकल जाता है। मैं क्या बनना चाहती थी और क्या बन गई हूं। मैं अपनी एड एजेंसी खोलना चाहती थी और यहां बैठकर पोतडे धो रही हूं। रेवती चिढ़कर बोली। 

    राघव-“तुम कुश के साथ लाइफ एंजॉय करो। मैं अच्छा खासा कमा तो रहा हूं यह दिन फिर नहीं लौटेंगे। तुम इसके थोड़ा बड़ा होने पर जो चाहो कर सकती हो।” 

अब तो रेवती चीख कर बोली-“बस करो राघव, अपनी चिकनी चुपड़ी बातें। पहले मुझे यह कहकर मजबूर किया की प्रेग्नेंट हो गई हो तो बच्चा पैदा कर लो। वेरना शुरू में बच्चा ना हो तो कई लोग बादमें बच्चे के लिए तरसते रह जाते हैं। अब अब क्या हुआ बोलो, मेरे करियर का क्या?” 

राघव-“अच्छा ठीक है, जो तुम करना चाहती हो करो, मैं तुम्हारे साथ हूं, लेकिन इसमें तलाक वाली बात कहां से आ गई?” 

रेवती-“तुम सिर्फ कहने को कह रहे हो कि मैं तुम्हारे साथ हूं, पर कुश को पालना तो मुझे ही पड़ेगा, क्या तुम ऑफिस से छुट्टी लेकर इसकी परवरिश करोगे, नहीं ना और मेरी मम्मी भी इसकी पूरा दिन और हर समय देखभाल नहीं कर सकती तो इन्हीं  कारणों को सोच कर मैं अभी जिम्मेदारी में नहीं पड़ना चाहती थी, पर तुम्हें तो बहुत तड़प थी  ना बच्चे की, अब संभालो।” 

राघव-“सब हो जाएगा तुम टेंशन मत लो।” 

रेवती-“कैसे होगा और मुझे आगे से अपनी कमाई का ब्यौरा मत देना, क्योंकि मेरे सपने बहुत ऊंचे हैं मुझे नॉर्मल लाइफ नहीं लग्जरी लाइफ चाहिए। उसी के लिए मैं मेहनत करना चाहती हूं और कुश की जिम्मेदारी मेरा रास्ता रोक रही है।” 

राघव-“लेकिन हर औरत को अपने बच्चों के अपनी इच्छाओं को छोड़ना ही पड़ता है और फिर कुछ सालों की हीतो बात है।” 

रेवती-“छोड़ो राघव, तुम नहीं समझोगे, मैं उन औरतों से अलग हूं यह बात जानलो।”ऐसा कहकर रेवती चुपचाप जाकर सो गई। 

राघव को लगा रेवती समझ गई है और सब कुछ ठीक हो गया है। रेवती चपचाप कुश की देखभाल करती रही और फिर रविवार को जब सुबह कुश जोर-जोर से रो रहा था और राघव सोया हुआ था। बच्चे के रोने की आवाज से उसकी आंख खुली।

उसने रेवती को आवाज़ लगाई लेकिन वह नहीं आई। राघव को लगा कि रेवती शायद नहा रही है। राघव ने फ्रिज से दूध निकाल कर हल्का गर्म करके बोतलमें डाला और कुश को दे दिया। वह दूध पीकर सो गया। तब राघव ने रेवती को पूरे घर में ढूंढा, पर वह नहीं थी। 

राघव ने अपना मोबाइल उठाया। उसमें रेवती का मैसेज था-मुझे पता है तुम मुझे तलाक नहीं दोगे, मैं अपना करियर बनाने जा रही हूं। जो बच्चा तुम्हारी जिद से आया है उसे तुम ही सभालो। अगर सफल हुई तो शायद लौट आऊं।” 

मैसेज पढ़ कर राघव की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं। रेवती का फोन नहीं लग रहा था। राघव ने अपनी सासू मां को फोन करके पूरी बात बताई। उन्हें भी रेवती पर बहुत गुस्सा आया। सबने मिलकर रेवती को बहुत ढूंढा पर वह नहीं मिली। 

रेवती ने सब कुछ पहले ही प्लान करके रखा था। घर से निकलते ही उसने मोबाइल का सिम बदल दिया था, सिर्फ कुछ जरूरी नंबर अपने पास लिख कर रख लिए थे और एक टैक्सी से मुंबई चली गई थी। हालांकि कार से सफर बहुत ही लंबा और थकाऊ था

पर उसने जानबूझकर यह रास्ता चुना था। वहां एक छोटी सी चॉल में एक कमरा ले लिया था और एक विज्ञापन कंपनी में की सेक्रेटरी की जॉब पहले से ही फाइनल थी। इन सब खर्चो के लिए उसने अपनी मम्मी के द्वारा शादी में दिए गए गहनों को धीरे-धीरे बेच कर रुपए इकट्ठे किए थे। सेक्रेटरी की जॉब पाकर वह धीरे-धीरे सारे गुर सीखने लगी और अपने खर्चों को सीमित करके अपनी सैलरी जोड़ने लगी। 

और उधर कुश अपनी नानी और पापा की देखरेख में पल रहा था। राघव को कभी-कभी अपनी गलती लगती थी और कभी-कभी रेवती की। कभी सोचता की कितनी स्वार्थी औरत है जिसने अपने बच्चों की भी परवाह नहीं की और ना ही टूटते रिश्ते की। कभी उसे लगता कि मेरी ही गलती है काश मैं उसकी बात मान लेता। 

रेवती अपनी काबिलियत के दम पर पहले सेक्रेटरी से पार्टनरशिप पर आई और फिर खुद की एड एजेंसी खोलने तक के सफर में कामयाब हो गई थी। हर बार नए-नए आकर्षक विज्ञापन बनाकर और नए-नए लोगों को मॉडल बनने का मौका देकर वह अपने क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध और माहिर हो गई थी। 

कोई भी नया लड़का या लड़की मॉडलिंग करने आता तो वह रेवती मैम से जरूर मिलता क्योंकि वह सबको मौक़ा देती थी। एक बार एक बहुत सुंदर और स्मार्ट लड़का मॉडलिंग के लिए आया, उसका नाम कुश था। उसका नाम सुन कर

रेवती बेचैन हो गई। उसे अपने बच्चे की याद सताने लगी। 6 महीने का छोड़कर आई थी, अब तक तो बड़ा होगया होगा, 7 साल बीत गए हैं। इन पिछले सालों में मै इतनी व्यस्त थी की एक बार भी उसका ध्यान नहीं आया। अब तो जीवन में मैंने सबकुछ पा लिया है

लग्जरी लाइफ, करियर,बैंक बैलेंस। परिवार और रिश्तो के अलावा सब कुछ है। रेवती की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। उसने सोच लिया था कि एक बार खुद को  छुट्टी दे कर  कुश से मिलने जाऊंगी। लेकिन क्या राघव मुझे उससे मिलने देगा।

हां हां क्यों नहीं, आखिर मै मां हूं उसकी। मां , क्या मैंने मां वाले फर्ज निभाए। नहीं निभाए तो क्या, फिरभी मैं उसकी मां तो हूं। बस फिर क्या था, अगले दिन ही उसने हवाई जहाज का टिकट बुक किया और 5-6 दिन का काम निपटाकर पहुंच गई वापस अपने घर दिल्ली। 

घर पहुंच कर उसने दरवाजे पर घंटी बजाई। एक औरत बाहर आई। रेवती ने उससे राघव के बारे में पूछा। उसने बताया कि हमने उनसे 3 साल पहले यह घर खरीदा था। अब वह कहां रहते हैं हमें नहीं पता। तब रेवती को ध्यान आया कि मेरी मम्मी को जरूर पता होगा,

लेकिन उनके पास जाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। फिर भी उसने सोचा कि जाना तो पड़ेगा ही। रेवती अपनी मम्मी के घर गई। इतने सालों बाद अपनी बेटी को सही सलामत देखकर मां ने बेटी को गले से लगा लिया और रोने लगी,

पर फिर बहुत डांटा।”शर्म नहीं आई तुझे, दुधमुहे बच्चे को ऐसे छोड़ कर चली गई, ऐसी क्या आफत पड़ीथी तुझे अपने करियर की, तीन-चार साल रुक नहीं सकती थी। पता है राघव को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कभी बच्चा बीमार है

तो ऑफिस से छुट्टी, कभी बच्चे को वैक्सीन दिलवानी है, तो ऑफिस से छट्टी। कभी बॉस की डांट तो कभी, तो कभी छुट्टी की वजह से तरक्की होने में रूकावटें। कभी ऑफिस का काम अधूरा ही रह जाता था। कभी कुश को मेरे पास छोड़ता था,

तो कभी मेड के पास। जैसे तैसे उसे बड़ा किया। पता है तुम्हें वह नन्हा सा बच्चा, दूसरे बच्चों की मम्मियों को देखकर रोज पूछता है मेरी मम्मी कहां है, कब आएगी, क्या वह मुझसे प्यार नहीं करती। नानी, क्या मैं अच्छा बच्चा नहीं हूं

इसीलिए मम्मी नाराज है और मुझे छोड़ कर चली गई।। तुम्हारी फोटो साथ लेकर सोता है। फोटो से बातें करता है और वह राघव, मैंने उससे कहा शादी कर लो। कहने लगा, रेवती से प्यार करता हूं दूसरी शादी नहीं करूंगा। ऐसे परिवार को तुम छोड़कर चली गई।” 

रेवती सब कुछ सुनकर रो रही थी और जल्द से जल्द राघव और कुश से मिलकर माफी मांगनाचाहती थी। वह अपनी मां के साथ राघव के घर पहुंच गई। राघव घर पर ही था। दरवाजा खोलते ही रेवती को देखकर हैरान रह गया। कुश भी बाहर आ गया। रेवती ने उसे झट से खींचकर अपने गले से लगा लिया और रो कर कहने लगी”मुझे माफ कर दो मेरे बेटे।” वह हैरानी से उसे देख रहा था। 

उसने अपनी नानी की तरफ देखा। नानी ने कहा-“कुश बेटा, यह तुम्हारी मम्मी है बेटा।”कुश ने पापा की तरफ देखा। पापा ने हां में गर्दन हिलाई। वह अपने कमरे में गया और रेवती की फोटो लाकर उससे रेवती की शक्ल मिलाने लगा। रेवती के पास आकर बोला -“पापाने कहा था कि आप कहीं खो गए थे।”रेवती-“हां बेटा, मैं सचमुच कहीं खो गई थी, रास्ता भटक गई थी। अब आ गई हूं।” 

कुश-“अब पापा को, मुझे और नानी को छोड़कर नहीं जाओगी ना।” 

रेवती ने राघव की तरफ देख कर कहा-“अगर मैं माफी मांगूं तो मिलेगी? मुझे माफ कर दो राघव। मैंने बहुत कुछ पा लिया, लेकिन सब-कुछ खोकर।” 

राघव ने कोई उत्तर नहीं दिया। रेवती समझ गई थी कि राघव उसे माफ नहीं करेगा और करना भी नहीं चाहिए। वह मुड़कर जाने लगी। तब कुश ने रोकर राघव से कहा-“पापा, मम्मी सॉरी बोल रही है, मम्मी को रोक लो प्लीज।” 

उसकी तड़प देखकर राघव की आंखें भर आई और उसने रेवती के पास आकर धीरे से कहा-“देखो इस बच्चे का प्यार और तुम्हारे लिए तड़प। क्या तुमने इसे छोड़ते समय ऐसा कुछ महसूस किया था। इसकी खातिर मैं तुम्हें माफ करता हूं और सचमुच अगर अपनी गलती मानती हो, तो तुरंत अपना कामकाज दिल्ली में शिफ्ट कर लो क्योंकि मैं तुम्हें तुम्हारा काम करने से रोकना नहीं चाहता।” 

रेवती ने बात मानते हुए अपना सारा काम दिल्ली में शिफ्ट कर लिया क्योंकि उसे पता था कि यहां पर भी नए-नए लोग मॉडलिंग करने वाले मिल जाएंगे। धीरे-धीरे सबके दिलों से गिले शिकवे मिटने लगे और टूटते रिश्ते जुड़ने लगे 

स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली 

#टूटते रिश्ते

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