“मैंने••• तुझे कितनी बार कहा कि•• मत खेला कर उनके साथ पर तू है की सुनती ही नहीं•••! गीता अपनी बेटी सेजल से बोली। पर मां••!” मैं क्यों नहीं खेल सकती उनके साथ•••? आखिर वो मेरे भाई-बहने हैं•••! 1४ साल की सेजल बड़ी-बड़ी आंखों को मटकाते हुए गीता से ही सवाल जड़ दिया।
एक बार कहा ना••• मत खेल•••! तुझे तो पढ़ने-लिखने से काम नहीं– पर जो पढ़ लिख रहे हैं– उन्हें क्यों तंग करती है—! कहते हुए गीता वहां से चली गई।
मां तो बस मुझ में ही खराबी ढूंढती रहती हैं••अभी नहीं तो कब खेलूंगी••• ?सोचते-सोचते वह वहीं कमरे में ही खेलने लग गई।
दीदी••• ! सेजल को आप संभालती क्यों नहीं•••? कल राधा और रानी को पूरे टाइम पढ़ने नहीं दिया और मस्ती करते रह गई •••! उसे तो पढ़ाई-लिखाई से कोई मतलब नहीं कम से कम मेरे बच्चों को परेशान ना करें—! कविता आज गीता से बड़ी बेरुखी से बोली।
पर क्या किया है उसने—?
अरे बार-बार उनका ध्यान पढ़ाई से हटा देती है जब देखो खेलना है•• हमेशा खेल••• “मैं तो तंग आ गई हूं इस लड़की से—! अगर ऐसा ही चलता रहा तो••• हमें आप लोगों से अलग रहना पड़ेगा•••! कविता ये क्या बोले जा रही हो तुम•••? सिर्फ बच्चों की वजह से अलग हो जाना सही है क्या •••?गीता कविता को समझाते हुए बोली ।
पर दीदी—! जब आपकी बेटी समझने का नाम ही नहीं ले रही तो हम क्या कर सकते हैं•••? कविता गुस्से से बोली । अच्छा- अच्छा “मैं बात करती हूं उससे—! गीता आज बहुत टेंशन में थी क्योंकि देवरानी ने उसे बहुत खरी-खोटी सुनाई। “अपमान का घूंट” पीते हुए अपने कमरे की तरफ चल पड़ी।
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“मत मारो मां••! बहुहुहुहुहु•••मैंने क्या किया है•••? बहुहुहु •••
तूने आज मुझे बेइज्जत करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ना••• बोल-बोल के मैं थक गई हूं कि उनके साथ मत खेला कर पर नहीं••• तेरी कान पे “जूं तक नहीं रेंगती—! आज सुनवा दिया ना तूने मुझे–जो अब तक नहीं सुना—!
आज तक बड़ी होने पर गर्व महसूस करती पर आज••• आज छोटी से••• अपशब्द सुनकर तूने मुझे तार- तार कर दिया•••!
सटाक••! सटाक••• !उसने दो थप्पड़ और सेजल के मुंह पर जड़ दिए••• ।
बस मां बस– !अब नहीं खेलूंगी उनके साथ••! राधा, रानी ने ही तो मुझे बुलाया था कल खेलने को••! मैं तो अपने कमरे में ही खेल रही थी—! रोते हुए सेजल बोली। अच्छा•••! ये बात तूने मुझे पहले क्यों नहीं बताई•••?
तुमने मुझे बताने का मौका ही नहीं दिया•••फिर कैसे बताती•••! रोते-रोते मासूम सी सेजल बोल पड़ी ।
हे राम••• !गुस्से में मैंने क्या कर दिया••• मन ही मन सोचते हुए वह पछता रही थी कि तभी•••” अरे बड़ी बहू “जा••• जाकर••• 10 कप चाय बना दे बाहर कोई आये हुये हैं •••छोटी बहू अपने बच्चों को पढ़ा रही है वैसे भी तू तो फ्री है ना••• ? शांता जी गीता से बोली।
और ये क्या••• ?क्यों मारा तुमने सेजल को•••? कुछ नहीं माजी मैं अभी चाय बना देती हूं•• गीता को पता था कि कोई फायदा नहीं शांता जी को बताने से क्योंकि जिस समय वह छोटी से बात सुन रही थी उस समय शांता जी वहीं मौजूद थी और उन्होंने एक शब्द भी नहीं बोला ।इसलिए उनके बात को टालते हुए वह चाय बनाने चली गई।
रविकांत प्रसाद और शांता जी के दो लड़के थें बड़ा बेटा अजय– और छोटा बेटा अभिषेक— रवि शंकर जी खुद ईंटो का कारोबार करते तो दोनों बेटा उनके कारोबार में हाथ बटाते— । अजय के दो बच्चे थे बेटा हर्ष– जो इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए शहर में रहता और उससे 5 साल छोटी सेजल— जिसको पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता— । अभिषेक की दो जुड़वा बेटियां राधा ,रानी और एक छोटा बेटा पीयूष ।
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अभी कुछ महीनों पहले तक तो सब कुछ ठीक चल रहा था सभी चचेरे भाई-बहनों में बहुत प्यार था। कविता को इससे पहले गीता की बच्ची से कोई शिकायत नहीं थी वह उसे भी अपनी बेटी की तरह प्यार करती।लेकिन जब से कविता का भाई “मनोहर” अपनी भांजा और भांजियों से मिलने आया तभी से उनके बीच मन में द्वेष की भावना उत्पन्न हो गई ।
एक दिन :-
दीदी•••! मैं देख रहा हूं कि तुम्हारे बच्चों पर तुम्हारा ही कंट्रोल नहीं••• !देखो तुम्हारी बच्चियां सारा दिन उस बदमाश सेजल के साथ धमाल- चौकड़ी करते रहती हैं अगर ऐसा चलता रहा तो दोनों उसके जैसा ही बन जाएगी समय रहते हुए संभल जाओ और इन्हें सेजल से दूर भेज दो••• मैं तो कहता हूं तुम भी यह घर छोड़कर शहर में रहने चली जाओ बच्चों को लेकर••• !वरना वह तो गवार है ही साथ में तुम्हारे बच्चों को भी खराब कर देगी•••! मनोहर अपनी दीदी से बोला ।
ये बात कविता के दिमाग में बैठ गई बस उस दिन से ही वह अभिषेक को अलग रहने के लिए मनाने लगी और बार-बार सेजल और गीता के बारे में कान भरना शुरू कर दिया•••। बार-बार सुन सुन के अभिषेक भी थक चुका था और एक दिन— ” बाबूजी•••! सोचता हूं कि बच्चों और कविता को शहर में शिफ्ट कर दूं•••!
अभिषेक रविकांत जी से बोला। पर यहां भी बच्चें पढ़ाई कर रहे हैं फिर क्यों तुम उन्हें भेजना चाहते हो•••?”बाबूजी••• कविता कह रही थी कि सेजल की वजह से बच्चियों पढ़ नहीं पाती हैं सारा दिन वह उन्हीं के साथ खेल में लगी रहती हैं और हमने इन्हें नवोदय विद्यालय का फॉर्म भरवा रखा है•••••!
ठीक है••• जैसी तुम्हारी मर्जी••!
“मैं क्या बोल सकता हूं•••? रविकांत जी मुंह लटकाते हुए बोले ।
कुछ दिनों में कविता बच्चों को लेकर पास के शहर में शिफ्ट हो गई अजय और गीता ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की पर कोई फायदा नहीं।
“अरे सेजल •••कुछ पढ़ लिख लिया कर••• तू नवमी में चली गई••• ! अपने भाई-बहनों को देखकर तुझे नहीं लगता कि पढ़ना चाहिए•••? आज तुझे मुझे बताना ही होगा•••तंग आ गई हूं तुझसे•••••• !तेरी वजह से तेरी चाची ने भी घर छोड़ दिया•••!
मां मुझे नहीं पढ़ना••• बोर्ड परीक्षा जब आएगी तब देखी जाएगी••••! अभी से मुझे मत डराओ•••!
“तू कभी नहीं सुधरेगी•••गीता विचलित थी ।
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2 महीने बाद:-
एक दिन कविता घर आई•••” ये लीजिए मिठाई•••! मुंह मीठा कीजिए•••! कविता गीता के मुंह में मिठाई डालते हुए बोली।
पर••• किस खुशी में•••!
राधा और रानी नवोदय स्कूल वाली परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हैं•••! वाह•••! यह तो बहुत खुशी की बात है•••! गीता खुश होते हुए बोली ।
हां••• आपकी सेजल ने तो मेरे बच्चों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी वो तो अच्छा हुआ कि मेरे भाई ने मुझे समय रहते संभल जाने को बोला वरना आज दोनों यही धमाल-चौकड़ी करती रह जातीं •••!
क्या बकवास है कविता•••? हमेशा क्यों तुम सेजल पर आरोप लगाती हो और हमेशा उसे जली कटी सुनाते रहती••• हो•••!जिन्हें पढ़ना होता है वह किसी भी स्थिति में पढ़ लेता है•••!
नहीं मेरा मतलब यह नहीं था– दीदी•••!
अरे सेजल•••! ले बच्ची••• तू भी खा मिठाई•••! तेरी बहनें सेटल हो गईं•••! कहते हुए•••कविता वहां से चली गई••• ।
मां के इस दर्द भरी कथन और अपने लिए चाची की जली-कटी सुनकर सेजल को अंदर ही अंदर गलानी महसूस होने लगा।
आज पहली बार •••वह सोचने पे मजबूर हो गई कि जिंदगी में खेल-कूद के साथ-साथ पढ़ाई भी जरूरी है••• उसे महसूस हो रहा था कि मेरी वजह से मां ने कितने अपमान का घूंट पिया है •••कितने समय चाची ने इन्हें जलील किया और यह बेचारी सब कुछ मेरी वजह से सुनते रही••• जब-जब वह मुझे डांटती या मारती तो मैं सोने का नाटक करती
मेरे सोने पर वह मुझ पर ढेरो प्यार लुटाती••••तब मेरा कोमल मन यही समझता कि शायद मां को अपनी गलती का एहसास हो रहा है•••और सुबह तक•••,” मैं सब कुछ भूल कर फिर से खेलने लग जाती••• कभी उनके मन में झांकने की कोशिश ही नहीं की••• !अब सेजल मन ही मन में प्रतिज्ञा लेती है•••• अब चाहे जितनी भी मेहनत करनी पड़े
मैं अपनी मां के चेहरे पर मुस्कान लाकर ही रहूंगी••• कमरे में गई ,टेबल कुर्सी लगाया तथा अपनी सारी किताबें सेट करके पढ़ाई में लग गई•••। कुछ दिनों के बाद उसने पिताजी को बोल अपने लिए ट्यूशन भी रखवा लिया और रात दिन पढ़ने में लग गई। सेजल में हुए इस परिवर्तन को देख, उसके मां-बाप दादा-दादी सभी बहुत खुश थे।
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आज सेजल एक सफल गायनिक है•••जिसके चिकित्सा कौशल तथा समर्पण ने पूरे देश में अपना नाम कर दिया••। और यह नाम और पहचान उसे उस अपमान की बदौलत मिली••• जो उसके लिए वरदान साबित हुआ•••। सेजल के चचेरे भाई-बहनों ने कोई खास मुकाम तो हासिल नहीं की बहने शादी करके अपने-अपने घर में सेटल है और भाई प्राइवेट बैंक में मैनेजर है।
दोस्तों हमें कभी भी किसी के वर्तमान स्थिति को देखकर उसके भविष्य का अनुमान नहीं लगाना चाहिए क्योंकि कभी भी किसी का टर्निंग पॉइंट आ सकता है•••। और यह सिर्फ कहानी ही नहीं बल्कि हकीकत है ।
दोस्तों अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई हो तो प्लीज इसे लाइक्स ,कमेंट्स और शेयर जरूर कीजिएगा ।
धन्यवाद ।
मनीषा सिंह
#अपमान बना वरदान