राहुल और पिंकी की मुलाकात एक लोकल ट्रेन में हुई थी. राहुल अपनी बहन के ससुराल और पिंकी अपने घर जा रही थी इत्तेफाक से दोनों एक ही स्टेशन टीटागढ़ में उतरने वाले थे अजनबी होते हुए भी इस 45 मिनट के सफर में दोनों ने ढेर सारी बातें की बातों का सिलसिला शुरू हुआ
एक रुमाल से पिंकी का रुमाल गिर गया था राहुल ने उठाकर देते हुए पूछा कि क्या यह आपका है???बस उसके बाद तो बातें खत्म ही नहीं हुई बातें करते करते पता ही नहीं चला कब टीटागढ़ आ गया और दोनों उतर गए दोनों ने ,एक दूसरे”को अपने मोबाइल नंबर दिये फिर उनकी बहुत समय तक कोई मुलाकात नहीं हुई लेकिन फोन पर बातें होती थी धीरे-धीरे एक-दूसरे के इतने नजदीक आ गए की अजनबी से हमसफर बन गए
राहुल एक सिविल इंजीनियर था और पिंकी एक घरेलू लड़की सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था उनकी शादीशुदा लाइफ अच्छी गुजर रही थी. राहुल पिंकी से बहुत प्यार करता था और पिंकी भी राहुल को बेपनाह चाहती थी धीरे-धीरे वक्त बीतता गया
और पिंकी ने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया फिर दोनों उसकी परवरिश में लग गए जैसे-जैसे वक्त बीतता गया पिंकी और राहुल का प्यार और गहरा होता चला गया बीतते वक्त के साथ पिंकी के शरीर में थोड़ा बदलाव आने लगा जैसे ही उसने 40 वर्ष की उम्र में कदम रखा उसकी बॉडी में बहुत वीकनेस होने लगी उसे हर वक्त नींद आती रहती और पैरों में दर्द और कमजोरी की शिकायत होने लगी
जो पिंकी राहुल और अपने बेटे रुपेश के लिए प्रतिदिन कोई ना कोई आइटम बनाती थी उसके लिए अब घर का नार्मल खाना बनाना भी मुश्किल हो गया. राहुल से पिंकी की यह हालत देखी नहीं जाती थी उसने बहुत बार पिंकी से कहा तुम एक खाना बनाने वाली
क्यों नहीं रख लेती हो तो पिंकी कहती नहीं राहुल खाना मैं खुद से ही बनाऊंगी. एक खाना बनाने का काम ही तो मैं करती हूं अगर वह भी नहीं किया तो मेरे शरीर में जंग लग जाएगा और रही बात तकलीफ की तो तकलीफ तो तुम्हें भी होती ही है तुम्हारी भी तो उम्र बढ़ रही है फिर भी तुम काम करते हो ना तो फिर मैं क्यों नहीं?? तो राहुल ने कहा अच्छा बाबा ठीक है तुमसे तो वैसे भी मैं कभी जीत नहीं सकता. फिर
राहुल ने कहा पिंकी मुझे तुमसे एक वादा चाहिए तो पिंकी ने कहा क्या वादा तो राहुल ने कहा कि 10 साल बाद हमारे रूपेश की बहू आ जाएगी तब तुम खाना नहीं बनाओगी तब पिंकी हंसने लगी और राहुल से कहा आप भी ना बहुत भोले हो.
10 साल बाद जमाना कितना चेंज हो जाएगा आपको लगता है कि रूपेश की पत्नी खाना बनाएगी?? मुझे तो लगता है कि तब भी मुझे ही उसके लिए भी खाना बनाना पड़ेगा तब राहुल ने कहा कि हरगिज़ नहीं बहू के होते हुए तुम खाना बनाओ यह मैं बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करूंगा अगर उससे भी नहीं होगा तो हम एक खाना बनाने वाली रख लेंगे
धीरे-धीरे डॉक्टर की दवा और रेगुलर एक्सरसाइज से पिंकी की तबीयत थोड़ी संभलने लगी इधर रुपेश भी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुका था उसने कोडिंग का कोर्स कंप्लीट करके ऐप बनाना शुरू कर दिया और लाइफ में सेटल हो गया
तो राहुल और पिंकी ने सोचा कि अब इसकी शादी कर देनी चाहिए इसलिए उन्होंने राधिका नाम की लड़की जो कि अच्छे घर गिराने की थी और साथ ही साथ जॉब भी करती थी उससे शादी कर दी. शादी के एक हफ्ते बाद तक तो नौकर चाकर ही खाना ,
नाश्ता का सब देख रहे थे एक हफ्ते की छुट्टी के बाद जब राधिका ऑफिस जाने लगी तब रूपेश ने मम्मी से मम्मी आप मेरा और राधिका का नाश्ता दे दो मैं राधिका को ऑफिस ड्रॉप करते हुए फिर अपनी ऑफिस चला जाऊंगा तब पिंकी ने नाश्ता और चाय दे दी उस समय तो राहुल कुछ बोला नहीं
फिर शाम को जब राधिका ऑफिस से लौटी तो रूपेश ने कहा मम्मी आप मेरे और राधिका के लिए दो कप चाय बना दीजिये तब पिंकी ने जैसे ही कहा कि हां बेटा अभी लाई तब राहुल ने कहा नहीं पिंकी तुम नहीं लाओगी और रुपेश से कहा कि बेटा मैंने सुबह भी कुछ नहीं कहा यह सोच कर कि शायद राधिका को देरी हो गई होगी
उठने में इसलिए व नाश्ता नहीं बना पाई लेकिन शाम को भी तुम अपनी मां को ऑर्डर दे रहे हो चाय बनाने के लिए तुम्हें शर्म आनी चाहिए. तुम्हारी पत्नी के होते हुए तुम अपनी मां को चाय बनाने के लिए बोल रहे हो
तुम्हारी माँ है,वो नौकरानी नहीं है!!!.
सारा जीवन काम ही नहीं करती रहेगी अब उसके आराम करने के दिन है और हां अगर बहू खाना नहीं बना सकती तो तुम खाना बनाने वाली रख लो लेकिन मेरी पत्नीअब और किचन में नहीं जाएगी. वैसे भी उसकी तबीयत ठीक नहीं रहती
रूपेश अपने पापा से कहता है कि पापा आप तो फिजूल में छोटी सी बात का बतंगड़ बना रहे हैं ऐसा मैंने क्या कह दिया मां से
सिर्फ चाय बनाने के लिए ही तो बोला राधिका बेचारी ऑफिस से थक कर आई थी और इसमें बुरा ही क्या है अगर मां रसोई का काम देख ले तो आखिर राधिका आने के पहले तक भी तो मां हम लोगों के लिए भी तो बनाती ही थी अब राधिका के लिए भी बना लेगी
बेकार में खाना बनाने बाली रखेंगे तो महीने का ₹6000 खर्च होगा
अब राहुल की बर्दाश्त की सीमा खत्म हो गई और उसका गुस्सा चरम सीमा पर था उसने कहा कि मैंने जो कह दिया सो कह दिया बहू बैठी रहे और मेरी पत्नी काम करे यह मैं कतई होने नहीं दूंगा तुम लोगों को यहां रहना है तो मेरे मुताबिक ही चलना होगा वरना अपना अलग इंतजाम कर लो
जब रुपेश ने देखा कि मामला ज्यादा गरम हो गया तो उसने कहा मुझे माफ कर दीजिए आप जैसा चाहते हैं वैसा ही होगा
दोस्तों आपको क्या लगता है कि क्या राहुल ने अपनी पत्नी के लिए खड़े हो गलत किया या सही किया??
क्या रूपेश का अपनी मां के प्रति यह व्यवहार सही था
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आपकी ब्लॉगर दोस्त
@ मनीषा भरतीया
Itni jaldbaji bhi achhi nahi hai aur rahi baat bete ki usko bhi apni Maa se aisa nahi kahna chahiye Tha dono Pita putr Galt thane uski saja Sassu Maa aur bahu ko Bhugatni padegi nai naveli bahu apna Mayka chod Kar aai hai yah Maa beti ke beech ki baat thi parantu aisa nahi hone chahiye
No, mahilaon ko purushon ki naukrani hi rahna chahiye