तुम पर सिर्फ मेरा अधिकार है! – अनिला द्विवेदी तिवारी : Moral stories in hindi

रीता और रोहन बचपन से बहुत अच्छे दोस्त थे। स्कूल से लेकर कॉलेज तक दोनों ने साथ-साथ पढ़ाई की। साथ ही साथ दोनों को एक ही ऑफिस में नौकरी भी मिल गई।

स्कूल टाइम से ही एक अन्य लड़का  कमल था जो इनका अच्छा दोस्त था और एक लड़की माधवी।

चारों को एक साथ कैंपस सिलेक्शन के जरिए एक ही कंपनी में जॉब मिल गई, तो चारों अत्यधिक प्रसन्न थे।

कुछ दिनों से रीता महसूस कर रही थी कि आजकल रोहन, रीता को लेकर कुछ अधिक ही पजेसिव हो रहा है।

रीता का अपने सहकर्मियों से बातें करना उसे अच्छा नहीं लगता। जब भी रीता किसी महिला या पुरुष सहकर्मी से बातें करती थी, तो रोहन ताने मारता था कि “अब तो नए-नए दोस्त मिल गए हैं अब हमारी जरूरत ही क्या है?”

रीता भी बात को अधिक गंभीरता से ना लेकर मजाक ही मजाक में कह देती,,, “अरे रोहन नया नौ दिन पुराना सौ दिन!”

उसको भी यह पता नहीं था कि रोहन के मन में जहर घुलता जा रहा है।

वह तो दोस्तों से वार्तालाप को सामान्य बातें मानकर सबसे ही हँसती, बोलती थी।

आजकल तो रीता का, कमल और माधवी से बात करना भी नागवार गुजर रहा था।

जब भी रीता कमल और माधवी से बात करती तब वह वहाँ से उठकर कहीं अन्यत्र चला जाता था।

कमल और माधवी भी उसके बदले हुए व्यवहार से आश्चर्यचकित थे लेकिन किसी के कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

एक दिन कमल, माधवी और रीता खड़े होकर हँसी मजाक कर रहे थे तभी रोहन आकर बहकी-बहकी बातें करने लगा।

उसने रीता को बहुत भला-बुरा कहा।

उस वक्त तो रीता चुप रही लेकिन जब कमल और माधवी वहाँ से चले गए तब रीता ने रोहन से पूछा,,, “रोहन आखिर तुम्हारी समस्या क्या है? मैं कई दिनों से देख रही हूँ तुम बहुत अजीब सा व्यवहार कर रहे हो!”

“रीता तुम पर सिर्फ मेरा अधिकार है, मैं नहीं चाहता कोई पुरुष या लड़का तुम्हारी तरफ आँख उठाकर भी देखे या फिर तुमसे हँसी मजाक करे। यह देखकर मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता। रीता तुम सिर्फ मेरी हो। तुम्हें यह बात समझनी होगी।”

पहले तो रीता को रोहन की बात पर इतना गुस्सा आया, उसका तो मन किया कि रोहन के गाल पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दे लेकिन फिर अपने आप को सम्हालते हुए कहा,,, “रोहन किसी से हँसी मजाक का मतलब ये नहीं होता कि हम गलत हैं। व्यक्ति को हर किसी से मधुर और सामान्य व्यवहार रखने चाहिए।”

रीता की बात पर रोहन ने गुस्से से उसका हाथ कसकर पकड़ लिया और तेज आवाज में बोला,,, “मुझसे ये सब बर्दाश्त नहीं होगा कि तुम किसी गैर मर्द से बात करो।”

तब रीता को भी बहुत गुस्सा आ गया, उसने रोहन का हाथ झटकते हुए कहा,,, “अब बहुत हो गया रोहन। अपनी हद में रहो तुम। मुझे किससे बात करनी है किससे नहीं! तुम्हारी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। 

वैसे तुम भी तो गैर मर्द ही हो ना? दोस्ती का ये मतलब नहीं है कि तुमने मुझे खरीद लिया है। कोई जानवर नहीं हूँ जिस पर अधिकार जता रहे हो। इंसान हूँ मैं। मुझे क्या करना है? क्या नहीं! भलीभांति पता है। अच्छा हुआ जो तुमने अपनी असलियत दिखा दी! समय रहते जीवन नरक बनने से बच गया।

मैं किसी सनकी व्यक्ति के हाथों में अपने जीवन के अधिकार नहीं सौंप सकती। फिर रीता ने रोहन से धीरे-धीरे करके दूरी बना ली।

©अनिला द्विवेदी तिवारी

जबलपुर मध्यप्रदेश

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