कमल रेलवे में नौकरी करते थे । उनके दो बड़े भाई और चार छोटी बहनें थीं । बहनें सुंदर नहीं थी और उनके गुणों में भी कमी थी । सब की सब माँ पर गई थी । तेज़तर्रार लड़ाकू टाइप की । बड़े भाई दोनों शादियाँ करके अपनी ज़िंदगी आराम से गुज़ार रहे थे ।
पिता के गुजर जाने के बाद माँ अकेली हो गई थी । उन्हें अकेले नहीं छोड़ सकते थे इसलिए और परिवार से प्यार के कारण कमल ने घर की सारी ज़िम्मेदारियाँ अपने ऊपर ले ली । किसी तरह से मिन्नतें करके तीन बहनों की शादियों से निपट गए थे पर छोटी श्यामा रह गई थी । जो देखने में कोई खास नहीं थीं गुणों में भी बाकी दोनों से एक कदम आगे थी । उसके लिए कोई भी रिश्ते नहीं आ रहे थे ।
उसी समय ही कमल के लिए रिश्ता आया था। कमल ने शादी से मना कर दिया कि श्यामा की शादी के बाद करूँगा । माँ ने कहा कि क्या मालूम आने वाली लड़की के कदम अच्छे हों और श्यामा को भी अच्छा वर मिल जाएगा ।
माँ के ज़ोर देने पर कमल उनके घर लड़की देखने पहुँच गया । वहाँ पहुँचने के बाद कमल को पता कि लड़की आठवीं पास है । वैसे माँ ने एक चाल चली थी जिसे कमल नहीं समझ पाया था ।उन्हें किसी ने बताया था कि उनके घर में एक लड़का है मानव जो रेलवे में ही नौकरी करता था ।
उसके लिए श्यामा की बात करनी थी । वहाँ कमल ने लड़की को देखा बहुत सुंदर थी पर छोटी थी । माँ ने कहा कि जब उन्हें कोई एतराज़ नहीं है तो तुम्हें इससे क्या लेना देना है। लड़की पसंद है तो हाँ बोल । कमल ने वहीं पर हाँ कह दिया था ।
रिश्ता पक्का हुआ और सब तय हो गया तभी कमल की माँ ने उनके सामने एक शर्त रखी कि मेरी बेटी श्यामा का रिश्ता आपके बेटे मानव के साथ करते हैं तब दोनों की शादी एक साथ कर देंगे । श्यामा के पिता सोच में पड़ गए क्योंकि श्यामा तेरह साल की ही थी
कितना भी पुराना जमाना क्यों न हो पर इतना अंतर मना करने पर बेटी का रिश्ता भी नहीं होगा । साथ ही लड़के की माँ ने शर्त भी रख दी थी कि अपने बेटे के साथ मेरी बेटी का ब्याह करा दीजिए । घर में सबने उन्हें समझाया कि लड़का बड़ा है तो क्या रेलवे में नौकरी करता है । किसी तरह से दिल पर पत्थर रख कर वे श्यामा की शादी कमल से करने के लिए तैयार हो गए ।
और उनकी बात मानकर श्यामा को बहू बनाने के लिए तैयार हो गए ।
कमल और श्यामा तथा श्यामा और मानव की शादियाँ धूमधाम से हो गई । श्यामा ससुराल पहुँच गई थी । इधर श्यामा भी अपने ससुराल पहुँची । श्यामा को ससुराल में बहुत प्यार मिला था । श्यामा अपनी सास के कारण कभी खुश नहीं रह सकी
साथ ही कोई न कोई ननंद आ ही जाती थी माँ से मिलने फिर क्या दोनों मिलकर छोटी सी बच्ची पर ज़ुल्म करते थे । कमल उससे बहुत प्यार करता था । कमल ऑफिस से आते समय कुछ न कुछ लेकर आता था । माँ सामने ही बैठक में बैठी रहती थी ।
पैकेट उनके हाथ में रख देता था क्योंकि वे घर की बड़ी थीं । एक बार कमरे में जब एकांत में थे तब कमल ने श्यामा से कहा कल जो मैं मिठाई लाया था न वह बंदर (एक जगह का नाम है ) का स्पेशल स्वीट था तुम्हें अच्छा लगा तो बोलो फिर जब जाऊँगा तुम्हारे लिए ला दूँगा ।
श्यामा ने आश्चर्य से कहा कौनसी मिठाई मुझे तो नहीं मालूम है । बस कमल समझ गया था कि यह माँ और बहन की चाल है तब से वह श्यामा के लिए अलग पैकेट बनवाकर लाकर कमरे में दे देते थे । इतना प्यार था उन्हें श्यामा से ।
श्यामा भी कहती थी कि आप दुनिया के लिए इन्सान हो पर मेरे लिए तो पूरी दुनिया हो । मुझे तुम पर भरोसा है कि तुम मुझसे ग़लत नहीं कर सकते हो । पचास साल की ज़िंदगी में उन दोनों ने ज़िंदगी को जिया है । दोनों बेटियों की शादी बेटे की शादी करके अपना बचा हुआ
जीवन आराम से गुज़ार रहे थे । श्यामा कभी कभी कहती थी आपकी माँ और बहनों के कारण मैं जवानी में जीवन के मजे नहीं ले सकी । जब देखो तब उनकी सेवा करने में लगी रहती थी । कमल हँसते हुए कहते थे मेरी जान तब सेवा की अब मेवा खा रही है । है न वैसे भी जब मैं तुम्हारे साथ हूँ तो तुम्हें किसी भी तरह की कमी महसूस नहीं होने दूँगा ।
के कामेश्वरी