टुकड़े- टुकड़े जिंदगी – ज्योति अप्रतिम
Post View 256 आज फिर पापा मन भर कर कोस रहे थे। शायद उन्हें पता नहीं था मैं सब सुन रही थी। कोई चारा नहीं आँसू बहाने के अलावा। उफ़्फ़ !कभी सोचा नहीं था जिंदगी इतनी जोर से बैंड बजाएगी। पापा एक दम विरोध पर उतर आए हैं।एक भी मौका नहीं छोड़ते बेइज्जती करने का। … Continue reading टुकड़े- टुकड़े जिंदगी – ज्योति अप्रतिम
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