Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

समझौता – रंजीता पाण्डेय

प्रिया अपने साथ काम करने वाले लड़के से बहुत प्यार करती थी |उसी से शादी करना चाहती थी |लेकिन  प्रिया के मां पापा तैयार नहीं थे | क्यों की वो लड़का इनकी जाति का नहीं था |प्रिया की मां ने बोला कुछ भी हो जाए अपने  से अलग जाति में  शादी नहीं होगी | परिवार ,समाज में हमारी नाक कट जाएगी |प्रिया ने बोला ठीक है मां ,आप जैसा चाहे वैसा करे | लेकिन बस मेरी 

खुशी के लिए  एक बार उस लड़के से मिल लीजिए आप , फिर आप जहां शादी करने को बोलेंगी , मै शादी कर लूंगी |

 प्रिया के  मां ,पापा तैयार हो गए लड़के से मिलने के लिए | और जब लड़के से मिले ,|उनको बहुत अच्छा लगा | उस लड़के के पास सब कुछ था | देखने में भी सुंदर था |लड़के ने प्रिया के मां पापा की बहुत खातिरदारी की | उनको लड़का बहुत ही अच्छा लगा | प्रिया के मां पापा ने सोचा,सब  कुछ तो बहुत अच्छा है | सबसे  बड़ी बात, मेरी बेटी से बहुत प्यार करता है |  

प्रिया की खुशी के लिए प्रिया के मां पापा ने समझौता कर ही लिया | और अलग जाति के लड़के से अपनी बेटी की शादी करने का फैसला किया |

रंजीता पाण्डेय

समझौता – सुभद्रा प्रसाद

       ” संगीता, मैं गुंजन को एक अच्छा इंजिनियर बनाना चाहता हूँ | इसलिए उसे कोचिंग के लिए अपने दोस्त के बेटे के साथ कोटा भेजना चाहता हूँ |” सुशील बोले |

         ” गुंजन इंजिनियरिंग की पढाई नही करना चाहता, वो मैनेजमेंट की पढ़ाई करना चाहता है, इसीलिए आप अपना विचार बदल दें | ” संगीता बोली |

       ” पर यह समझौता क्यों ? वह हमारा बेटा है, उसे हमारी बात माननी चाहिए |”

        ” यह समझौता नहीं, समझदारी है | पढना तो गुंजन को हीं है ना, तो क्यों ना हम अपने फैसले उसपर थोपने के बदले उसकी इच्छा को महत्व दें, ताकि वह मन लगाकर पढ़े और बेहतर परिणाम हासिल करे |”

        ” हाँ, बात तो तुम ठीक कह रही हो| ” सुशील ने सोचते हुए कहा |

# समझौता

स्वलिखित और अप्रकाशित

सुभद्रा प्रसाद

पलामू, झारखंड

समझौता’ – पूजा शर्मा

खबरदार अगर अब एक शब्द और बोला तू तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहू पर हाथ उठाने की तू भी अपने बाप के नक्शे कदम पर चल पड़ा लेकिन जो मेरे साथ हुआ मैं अपनी बहू के साथ हरगिज नहीं होने दूंगी । सुधा तू कभी अपने आत्म सम्मान को मिटा कर किसी के साथ समझौता मत करना , चाहे वो तेरा पति ही क्यों ना हो, अपने आत्म सम्मान को हर रिश्ते से ऊपर रखना बेटा, तुझे जुल्म के खिलाफ आवाज उठाना सीखना पड़ेगा मैं हर कदम पर तेरे साथ हूं। गौरव आज आश्चर्यचकित था क्योंकि उसने अपनी मां का यह रूप पहली बार देखा था।

पूजा शर्मा स्वरचित

पहल – शिव कुमारी शुक्ला 

रिया और रूपा पक्की सहेलियां थीं दोनों में दांत कटे वाला संबंध था।जब तक दिन में दो चार बार बात न कर लें चैन नहीं पड़ता था। किन्तु एक दिन मामूली सी बात को लेकर उनमें बहस हो गई और इतनी बढ़ी कि दोनों ने आपस में बोलना बंद कर दिया।चार दिन तो गुस्से में निकल गये पर अब मन शांत होते ही फिर एक दूसरे की याद सताने लगी। दोनों उदास गुमसुम सी रहने लगीं।

रिया को उदास देख उसकी मम्मी ने कारण  पूछा। रिया के बताने पर पहले तो वे मुस्कुराईं फिर बोलीं बेटा तू ही पहल कर ले। दोस्ती में कोई छोटा बड़ा नहीं होता।तू ही समझौता करने के लिए हाथ आगे बढ़ा। ये तो छोटी सी बात है जीवन में न जाने कितने समझौते किस-किस से करने पड़ेंगे। अपनों से, माता-पिता से, भाई -बहन से, ससुराल वालों से, पति से, और सम्पर्क में आने वाले अनेकों लोगों से। कभी कोई झुकेगा कभी कोई। किसी को तो अपना अहम् तोड़ पहल करनी पड़ती है।सो जा रूपा को फोन कर देख वह कितनी खुश हो जाएगी।वह भी तो तेरी तरह पहल करने को व्याकुल हो रही होगी।

सच में रिया के फोन करते ही रुपा की चहकती आवाज सुन रिया खुश हो गई।

शिव कुमारी शुक्ला 

स्व रचित 

10-12-24

शब्द प्रतियोगिता*****गागर में सागर 

समझौता।

समझौता – एम.पी.सिंह

बेगूसराय का अनिल माहतो कोटा में कोचिंग के लिये माँ- पिताजी द्वारा जबदस्ती भेजा गया। बेटे को इंजीनियर बनाना चाहते थे क्योंकि वो खुद इंजीनियर नहीं बन सके थे। लाख कोशिश के बाद भी अनिल अपने आप को सहज महसूस नही कर रहा था ओर धीरे धीरे अपवाद से घिरने लगा।

फिर एक दिन खबर मिली कि अनिल ने आत्महत्या कर ली। बेटे के साथ साथ उनके सपने भी खत्म हो गए।

सपने देखना बुरा नहीं है। बच्चों को अपने सपनो से समझौता नहीं करना चाहिए ओर

माँ पिताजी को अपने सपनों को बच्चों के गले नही मढ़ना चाहिए, वर्ना अंजाम सामने है।

लेखक

एम.पी.सिंह

(Mohindra Singh)

स्व रचित, अप्रकाशित 

समझौता – डॉ बीना कुण्डलिया 

‘माँ.. माँ……वसुधा आवाज लगाती घर में आती है।

‘माँ बड़ी उत्साहित हो। अरे माँ…. ! कल विधालय में निबंध प्रतियोगिता है विषय “समझौता “विषय गत कुछ समझायें ताकि कुछ लिख सकूं। हां, समझाती हूं ।

माँ बोली “समझौता संघर्ष की अनुपस्थिति नहीं बल्कि समझ और करूणा की उपस्थिति है, बेटा संगीत के सभी स्वर मिलकर  सुखद संपूर्णता बनाते हैं तभी कर्णप्रिय लगते हैं, हमारे सुनने की कला, एक कैनवास की तरह है जिस पर समझौता द्वारा उत्कृष्ट कृति चित्रित की जाती है, अहंकार, प्रतिस्पर्धा की बजाय समर्थन की जगह बनाना ही समझौता है “ ।

वसुधा, समझ गई माँ और लिखने बैठ गई।

                                लेखिका डॉ बीना कुण्डलिया 

समझौता – संध्या त्रिपाठी

बड़ी चली है अपने अरमानो …ख्वाहिशें और ख्वाबों से समझौता करने…. अरे तू क्या सोचती है ,अपने मां-बाप की अकेली संतान है , और तेरी शादी कर चले जाने से तेरे अभिभावक की देखभाल कैसे होगी…!  तेरे इस समझौता भरे फैसले से क्या तेरे अभिभावक खुश हो रहे होंगे …?

    अरे श्वेता , हर मां चाहती है उसकी बेटी का खुशहाल घर बसे ….जरा ये तो सोच…अब हम दोनों परिवार के अभिभावकों की देखभाल , परवाह के लिए सिर्फ दो दो  नहीं, चार-चार हाथ होंगे… अनिरुद्ध के इस वाक्य ने श्वेता के दिल में अनिरुद्ध के लिए प्यार के अलावा सम्मान भी बढ़ा दिया…!

(स्वरचित) संध्या त्रिपाठी 

अंबिकापुर, छत्तीसगढ़

समझौता – मंजू ओमर

सुनिए मैं रोटी सेंक रही हूं आप खाना खा ले रश्मि ने रोहन से कहा,अरे अभी रूको मैं टीवी पर अपना पसंदीदा प्रोग्राम देख रहा हूं। मुझे भी तो अपना प्रोग्राम देखना है जो साढ़े नौ बजे से आएगा खाना निपट जाए तो मैं फ्री हो जाऊं। अरे तुम्हारा क्या यार तुम तो घर पर ही रहती है काम ही क्या रहता है बाद में देख लेना दुबारा भी तो आता है। नहीं आ रहे हैं तो मैं रोटी सेंक कर रख दें रही हूं ,तो क्या मैं ठंडी रोटी खाऊंगा क्या ।यार रोहन मैं कितना समझौता करूं ,मैं थक गई हूं यही रोज रोज के मसलें से ।मैं चाहती हूं कि बहस या लड़ाई झगडे न हो लेकिन आप ऐसी स्थिति ला देते हैं कि फिर बहस पर ही बात खत्म होती है ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

7 दिसंबर 

 

गलत का विरोध – रूचिका राय

मैं समझौता करते करते थक चुकी हूँ अब नही यह कहते हुए मधु रोने लगी।

सरला ने उसे रोने दिया,फिर जब वह सामान्य हुई तो पूछा आखिर बात क्या है?

मधु ने कहा,उसका पति उसके सांवले रंग को लेकर ताने मारता है

मैं हमेशा चुप रहीं ताकि घर की शांति बनी रहे।घर की शांति के लिए यह समझौता अब मेरी आत्मा को तकलीफ दे रहा।

सरला ने कहा,समझौते का मतलब यह नही की तुम गलत बात में चुप रहो।

गलत का विरोध जरूरी है और इसमें कोई समझौता नही होना चाहिए।

रूचिका राय

सिवान बिहार

 

समझौता – नीलम शर्मा 

रजत और सीमा एक दूसरे को चाहते थे। सीमा एक बड़े बिजनेसमैन की बेटी थी । रजत के पापा के मरने के बाद उसकी मां ने लोगों के कपड़े सिल कर बड़ी मेहनत से उसे पाला था। 

जब सीमा के पापा को यह पता चला तो उन्होंने रजत के सामने अपनी मां से अलग रहने की शर्त रखी। रजत साफ इनकार करके बोला ,मैं अपनी मां के मामले में कोई समझौता नहीं करूंगा। अगर सीमा मेरी मां के साथ रह सकती हो तो यह शादी होगी वरना नहीं। सीमा ने खुशी से रजत के फैसले में उसका साथ दिया।

नीलम शर्मा 

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