Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

” विरोध” – पूजा शर्मा

अब मैं तुम्हारी मा के साथ एक पल भी नहीं रह सकती सुमित, तुम्हारी मम्मी की हर बात में टोका टाकी मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, विदुषी अपने पति से चिल्ला कर बोली, आखिर तुम हर वक्त मां की बातों का विरोध क्यों करती रहती हो अगर ऑफिस से देर से आने पर उन्होंने कुछ पूछ ही लिया तो क्या आफत आ गई? तुम्हारी मम्मी भी तो तुम्हारे देर से आने पर परेशान हो जाती थी, कान खोल कर सुन लो मैं अपनी मां को छोड़कर हरगिज नहीं जाऊंगा, हां अगर तुम अपने भाई को भी अपनी माँ से अलग रहने की सलाह दो तो मैं अपनी मां को छोड़ने को तैयार हूं। विदुषी को जैसे सांप सूघ गया था, बिना कुछ कहे वो अपने काम में लग गई

पूजा शर्मा स्वरचित

एक स्त्री – लतिका श्रीवास्तव 

शाम का झुटपुटा…. ढलता हुआ सूरज भी दिन भर काम करने के बाद थक कर आराम की चाह में अस्त हो रहा था।मैने दूर से देखा  वह स्त्री मध्यम कदकाठी की दाहिने हाथ में हंसिया थामे फुर्ती से खेत के खड़े सूखे धान को काटने में तल्लीन थी।बीच बीच में सिर उठाकर अपने नन्हे बच्चे को पेड़ की छांव में खेलता देख खुश हो लेती थी।अभी वह सिर उठाकर बच्चे को निहार ही रही थी कि खेत का मालिक आ गया।

कामचोर अभी तक तूने पूरा खेत नहीं काटा बच्चे को निहारने के पैसे नहीं मिलेंगे काम पूरा नहीं तो पैसा भी नहीं जाओ तुम मैं किसी और से करवा लूंगा… स्त्री के अनुनय का कोई फर्क नहीं पड़ा था उसे काम छुड़ाकर भगा दिया।

मैंने पास आती स्त्री का हाथ पकड़ लिया।तुमने उस सेठ का विरोध क्यों नहीं किया चुप क्यों रह गईं।

वह ठिठक गई अपनी पनीली आंखें मुझ पर टिका कह उठी विरोध किसका किसका करूं सेठ का, समाज का ,इस व्यवस्था का या अपनी किस्मत का… मैं तो एक स्त्री हूं विरोध करना सीखा ही नहीं..! 

लतिका श्रीवास्तव 

 

 *चुनौती सिस्टम को* – बालेश्वर गुप्ता

          बेटा रोहित किस चक्कर मे पड़ गया है। 1000-500 की बात है,कम बढ़ती दे दा कर अपना काम करा और आगे बढ़।

     बापू अपने बेटे पर विश्वास रखो,रिज़र्व कोटे से नही तो सामान्य कोटे से भी अपने चयन का आत्मविश्वास मुझे है।पर इस ब्लेक मेलिंग और भ्रष्टाचार का विरोध तो करना ही पड़ेगा।मैंने ऊपर शिकायत की है।

        जाति प्रमाणपत्र बनवाने के लिये रोहित से 1000 रुपये की रिश्वत की मांग की गई थी,जिसको रोहित ने सिरे से नकार दिया था।इसी संदर्भ में रोहित अपने पिता को आश्वस्त कर रहा था।

       रोहित की शिकायत रंग लायी, और जाल बिछाकर उस क्लर्क को पकड़ा गया,और उसे निलंबित कर जांच समिति बैठा दी गयी।रोहित का जातिगत प्रमाण पत्र भी मिल गया।

     गलत सिस्टम का विरोध करने से ही तो सिस्टम सुधरेगा,यही तो रोहित ने सिद्ध कर दिखाया था।

बालेश्वर गुप्ता, नोयडा

मौलिक

#प्यार में सब जायज है – डॉक्टर संगीता अग्रवाल

रीमा पर हर छोटे बड़े काम के लिए निर्भर होने लगा था उसका पति विनोद,शारीरिक और मानसिक दोनो ही

रूप से कमजोर हो चला था,ये सब रीमा द्वारा दी गई दवाइयों का प्रभाव था उसपर,रीमा का दिल अपराध बोध

से भर उठता,कहीं मैंने कुछ गलत तो नहीं किया?

लेकिन फिर जब उसने देखा कि विनोद अब उसपर फिर से विश्वास करने लगा है और रानी जो उसकी

जिंदगी में अनाधिकृत प्रवेश कर रही थी,उसका कोई संबंध उसके पति से शेष नहीं,रीमा उसे वो दवाइयां देने

लगी जिससे वो पुनः पहले जैसा तंदुरुस्त हो जाए।ऐसा उसने बहुत मेहनत से आयुर्वेद की दवाइयों का

अध्ययन कर सीखा था।

पति को रास्ते पर लाने का,उसके कार्य के प्रति विरोध जताने का ये प्रयोग अद्भुत था उसका क्योंकि वो अब

सफल हो चुकी थी,विनोद फिर से उसका लॉयल जो बन गया था।

डॉक्टर संगीता अग्रवाल

 

विरोध – नीलम शर्मा 

नीतू बेटा गलत बात का विरोध करना अच्छी बात है। लेकिन जब सामने वाला सही बात कह रहा हो तो हमें उसे भी समझना चाहिए। तुम्हारे पापा तुम्हारा भला चाहते हैं, वह लड़का सही नहीं है इसीलिए तुम्हें उससे शादी के लिए मना कर रहे हैं। 

लेकिन नीतू ने घरवालों का विरोध कर रजत से कोर्ट मैरिज कर ली। एक दिन उसके दोस्त से उसे पता चला कि रजत शादीशुदा और दो बच्चों का बाप है। तो उसके पास पछतावे के अलावा कुछ भी नहीं था।

नीलम शर्मा 

विरोध – संध्या त्रिपाठी

         वाह मम्मीजी ,जब मैं अकेली थी तब तो आपने कभी खाना बनाने वाली  नहीं रखा अब (देवरानी) अनु के आने के बाद क्यों रखने वाली है..अब तो हम दो लोग हैं .! हां बेटा अनु नौकरीपेशा वाली है तुम दोनों देवरानी जेठानी में काम को लेकर ” विरोध ” ना हो .. तुम नौकरी पर नहीं जाती तो काम का भार तुम पर ज्यादा ना पड़े ,बस इसलिए …

       अरे मम्मी जी मैं और अनु मिलकर इतने अच्छे से घर को मैनेज करेंगे आप देखिएगा ..मैं आंतरिक व्यवस्था (रसोई) देखूंगी , अनु जब समय मिलेगा रसोई के साथ थोड़ा बाहर का भी काम संभाल लेगी इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाएंगे मम्मीजी आपके विरोध के सोच की ऐसी की तैसी…!

(स्वरचित) संध्या त्रिपाठी 

अंबिकापुर, छत्तीसगढ़

विरोध – सीमा गुप्ता

अमर के माता-पिता अनपढ थे। किंतु उन्होंने अपने खेतों में जी-तोड़ मेहनत कर अमर को सारे संसाधन उपलब्ध

कराए। उसे गाँव से शहर हॉस्टल में पढ़ने भेजा।

पढ-लिख कर अमर अपने मां-बाप की हर बात का विरोध करने लगा, चाहे वह कितनी भी अच्छी क्यों न हो। मां-बाप की उसे समझाने की कोशिश व्यर्थ हो जाती कि स्कूली शिक्षा से वंचित, वे बुद्धिहीन नहीं हैं। वे मन मसोसकर रह जाते।

आज अमर राजस्व अधिकारी है। कॉलेज में पढ रहा उसका बेटा उसकी हर बात का विरोध करते हुए कहता है, “मुझे कुछ नहीं सुनना, अपनी घिसी-पिटी बातें अपने पास रखिए। जमाना बहुत आगे जा चुका है और आप…..।”

अमर को अब अहसास होता है कि बेटे के माध्यम से उसे सबक मिला है। वह अपने स्वर्गवासी माता-पिता की फोटो के सामने हाथ जोड़कर माफी मांगता है।

– सीमा गुप्ता ( मौलिक व स्वरचित)

शब्द: #विरोध

विरोध – रंजीता पाण्डेय

पुलिस वाले  मारते हुए रमन को ले जा रहे थे | रमन चिल्लाते हुए बोला ,बचा लीजिए पिता जी| मै नहीं जाऊंगा जेल  |मैने किया ही क्या है? चल बेटा जेल में  चल फिर बताते है तुझे |

पुलिस वाले घर से निकाल के ले गए रमन को | रमन की पत्नी ये सब देख जोर जोर से रोने  लगी |  और बोली ये पुलिस वाले ,मेरे घर कैसे आ गए? और क्यों?

कमली ने बोला मैडम जी मैने पुलिस को कॉल करने बुलाया है | रमन की पत्नी ने दबे हुए आवाज में बोला , कमली तूने? क्यों? 

मैडम जी मैने सोच रखा है जो भी किसी औरत के साथ गलत करेगा | मै उसका विरोध जरूर करुगी | मै उसको सजा दिलवा के रहूंगी | 

आप के बगल में ही रहती हूं | रात में आपके रोने की आवाज आ रही थी |और सुबह आपके चेहरे का चोट देख मुझसे रहा नहीं गया |

वैसे भी मैडम जी आपने ये “विरोध पहली बार ही कर दिया होता तो आज आपकी ये दशा नहीं होती “|

रंजीता पाण्डेय

 

  जाति – हेमलता गुप्ता

शिखा… तुम्हें लगता है तुम्हारे विरोध करने पर अमित सौम्या को छोड़ देगा, माना कि वह अलग जाति की है किंतु है तो अमित का प्यार! तुम्हारे विरोध करने पर एक बार उसने अपना विचार बदल भी दिया तो क्या तुम्हारा वह आदर् सम्मान कर पाएगा जो अब तक करता आया है बल्कि उसे शादी से नफरत होने लग जाएगी, सौम्या को तो हम खुद जानते हैं कितनी प्यारी और समझदार लड़की है, सिर्फ  जाति के आधार पर उसे  त्यागना गलत होगा, हमें अमित की कमजोरी नहीं ताकत बनना है! हां.. तुम सही कह रहे हो अब मैं अमित का विरोध नहीं बल्कि उसकी बात का मान रखूंगी!

    हेमलता गुप्ता स्वरचित

#गागर मे सागर 

     शब्द प्रतियोगिता “#विरोध”

 

तिरस्कार – सुभद्रा प्रसाद

     कनक ने अपनी मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की और उसे एक कंपनी में बहुत अच्छी नौकरी मिल गई | उसके पिता नहीं थे | वह अपनी माँ के साथ चाचा- चाची के पास रहती थी | उसके पापा के मिले पैसों और उनके हिस्से के फसल रखने के बाद भी चाचा- चाची उसकी माँ और उसका हमेशा तिरस्कार करते रहते थे | माँ सिलाई करने से बचाये पैसों और अपने गहनों को बेचकर उसकी पढाई करवा पाई थी |कनक को जब पहला बेतन मिला तो वह घर आई | अपनी माँ के साथ- साथ चाचा-चाची के लिए भी कपड़े और मिठाई लाई | उन्हें प्रणाम किया और धन्यवाद दिया | लज्जित होकर चाची उससे माफी मांगने लगी | इसपर कनक ने कहा कि आपको माफी मांगने की जरूरत नहीं है | यह सब आपके तिरस्कार के कारण हीं संभव हो पाया, क्योंकि यही हमेशा उसे कुछ बनने के लिए प्रोत्साहित करता रहा |

# तिरस्कार

स्वरचित और अप्रकाशित

सुभद्रा प्रसाद

पलामू, झारखंड

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