श्राद्ध- श्वेता अग्रवाल
शशांक ने पिता के श्राद्ध का भव्य आयोजन किया था। ब्राह्मण भोजन करके तृप्त हो रहे थे। वहीं, कमरे में उसकी बूढ़ी माॅं भूख से तड़प रही थीं। ब्राह्मण-भोज के बाद बहू ने उन्हें सूखी रोटी और नमक पकड़ा दिया।
“थोड़ी सी प्रसाद वाली सब्जी दे दो, सूखी रोटी नहीं खाई जाती,बहू।”
बहू ने तिरस्कार से कहा, “कब्र में पैर हैं, पर जीभ को चटकारा चाहिए।”
तभी पोता सब्जी लेकर आया , “दादी, लो।” फिर माँ से बोला, “माँ, एकदिन तुम्हारे पैर भी कब्र में होंगे, तब अगर मैं तुम्हारा ऐसा अपमान करूँ तो?” बहू स्तब्ध रह गई।
धन्यवाद
श्वेता अग्रवाल
#गागर में सागर#अपमान
अपमान – सुभद्रा प्रसाद
” ये क्या सुनंदा? ये कैसे खाना परोस रही हो | तुम्हें किसी चीज का सलीका नहीं है |” सुजाता अपनी भाभी से बोली |
” नहीं दीदी, बात यह है कि तवे पर रोटी रख कर आई हूँ, जल जायेगी, इसीलिए हडबडाई हूँ | ” सुनंदा बोली |
” अरे तो तवा उतार कर आती | खाना अच्छे से लगाकर जाती, फिर सबके लिए गरमागरम रोटी लाती जाती | हमारी कुक तो ऐसा ही करती है पर तुम तो एकदम जाहिल, गंवार हो , इतना भी नहीं जानती |”
” सुजाता, यह क्या तरीका है, बात करने का | अभी यह नई है |सुबह से काम करके थक गई है, फिर भी कर रही है | तुम कुछ मदद नहीं कर सकती तो फिर उसका अपमान भी मत करो | हमारे घर की बहू, हमारी लक्ष्मी है यह | ” सास शीला देवी की बातें सुनकर सुनंदा का मन खुशी से भर गया |
# अपमान
स्वरचित और मौलिक
सुभद्रा प्रसाद
पलामू, झारखंड |
*गरीब का अपमान* – अल्पना अग्रवाल
कजरी पिछले 6 सालों से सलोनी
के घर पर काम करती थी ।कभी कभी कजरी कुछ दूसरे काम जैसे सब्जी
लेना,दूध लाना आदि भी कर देती
एक दिन कजरी दूध लेने के लिए गई और बचे रुपए उसके रसोईघर में रख दिए,पर जब तक वो सलोनी को बताती तब तक सलोनी के बेटे ने वो रुपए ले लिए थे,और कजरी ने उसे देख लिया था।
उसने ये बात जब सलोनी को बताई तो उसने कजरी पर ही झूटा इल्ज़ाम लगा दिया।
कजरी को अपना ये अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ,उसने उसी दिन सलोनी के घर का काम छोड़ दिया।अब सलोनी बहुत पछता रही है, क्योंकि अपने बेटे के मोह में उसने कजरी के साथ गलत किया ये वो जानती थी।
अल्पना अग्रवाल
बेटी का अपमान – स्मृति गुप्ता
बुआ को सहेली के साथ खेलते देख, ऋतु तमतमाती हुई पार्क की दीवार पर चढ़ गई, रुचि प्यारी
भतीजी को नीचे ना ला सकी, भैया-भाभी से बोला कि बुआ ने डांटा और थप्पड़ मारा, ऋतु पर
विश्वास कर,उन्होंने रुचि को ही बातें सुना दी।
रुचि एक दिन के लिए मायके आई थी, कलेश देख वो हैरान थी, पति के सामने हुआ अपमान, मन
को छलनी कर गया, तुरंत ही टैक्सी बुला रवाना हुई,पर किसी ने एक बार भी नहीं रोका। सोचती रही
क्या आज माँ होती तब भी ऐसा होता?
स्त्री सब सह सकती, पर पति का अपमान नहीं!
-स्मृति गुप्ता
अपमान – महजबी सिराज
आज भी जब तान्या फ्लाइट पर यात्रा करती है तो बचपन का वो अपमान नहीं भूल पाती जब वो 10 वर्ष की थी और पिता की मृत्यु के बाद अपनी माँ और भाई के साथ गरीबी की जिंदगी जी रही थी ।और उसके चचेरे भाई बहन और चाची, चाचा को रिसीव करने एयरपोर्ट जा रहे थे तब तान्या ने भी जब जाने की जिद की तो उसकी चाची ने उसे एक थप्पड़ लगा कर कहा कि कार में जगह नहीं है। आज तान्या और उसका भाई सफल जीवन जी रहे हैं और फ्लाइट पर ही यात्रा करते हैं और उसका अपमान करने वाले एक असफल जीवन।
महजबी सिराज
अपमान – संगीता अग्रवाल
“अरे आप हिंदी लेखिका है पर आजकल हिंदी पढ़ता कौन है हमारे घर तो अख़बार भी इंग्लिश आता है आप कभी कुछ इंग्लिश लिखें तो बताइयेगा !” किट्टी मे पहली बार आई नमिता का परिचय जान बाकी औरतें मानो उसका मजाक सा उड़ाने लगी।
” मेरे देश , मेरी मातृभाषा का अपमान मेरा अपमान है इसलिए मैं यहाँ एक मिनट नही रुक सकती । आप लोगो को मेरे देश मे नही किसी विदेश मे होना चाहिए था । मुझे गर्व है मैं हिन्दुस्तान मे रहती हूँ और हिंदी लिखती हूँ !” ये बोल नमिता वहाँ से चली गई बाकी औरतों के मुंह पर ताला लगा।
संगीता अग्रवाल
अपमान### – माही…..
यह कहानी सभी लड़कियों को समर्पित आजकल के समाज की सोच और मानसिकता परआधारित है ।इस कहानी मे सोनिया नाम की लड़की है जो पाँच बहनें थीं और सबसे छोटा भाई सोनिया की तीन बहनों की शादी हो चुकी थी । सोनिया और उसकीछोटी बहन एक साथ हॉस्टल मैं रहते थे क्योंकि उनका कॉलेज घर से दूर होने की वजह से वो दोनों बहनों को हॉस्टल मे रहना था ।नई नई युवा और संगत की वजह से सोनिया की छोटी बहन का किसी से अफ़ेयर चल पडा और उसने उससे शादी भी कर ली बिना उसके परिवार को बताए इस वजह से सोनिया और उसके परिवार को बहुत अपमानित होना पड़ा सोनिया का परिवार जब भी उसके रिश्ते की बात करते उन्हें अपमानित होना पड़ता कि छोटी बेटी कि शादी बड़ी से पहले क्यू की क्या वजह रही कोई कमी तो नहीं है इसमें यह अपमान बार बार सहना पड़ा इस अपमान के दंश न सोनिया को और उसके परिवार को अपने जीवन के साथ समझौता करना पड़ा जबकि उसकी और उसके परिवार की कोई गलती भी नहीं थी बस लोगो की सोच और मानसिकता की वजह से सोनिया को बार बार अपमान सहना पड़ा
लेखिका
माही…..
अपमान – नीलम शर्मा
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नमन आज सफलता की सीढ़ी चढ़कर आईएएस बनने के मुकाम तक पहुंच गया था। और सोच रहा था कि अगर उस दिन कक्षा में बंटी ने उसका उपहास उड़ाकर अपमान ना किया होता कि तुम फिसड्डी हो तुम कभी कुछ नहीं कर सकते तो शायद उसको नीचा दिखाने की चाह भी नहीं होती, और कुछ कर गुजरने का जोश भी नहीं होता वह पहले जैसा ही डरा, सहमा नमन होता है जिसमें आत्मविश्वास बिल्कुल भी नहीं था।
लेकिन अब मैं बंटी के प्रति अपनी नफरत को छोड़कर उसे धन्यवाद देने जाऊंगा।
नीलम शर्मा
अपमान – सुनीता परसाई
“भाभी आप को कुछ लगा नहीं, बूढ़े सास-ससुर का घर छोड़कर अपना घर बनवा रहे हो।अम्मा बाबूजी के राज में पैसे जोड़ लिए होंगे।”नीरा ताव से बोली।
नीरा इकलोती बहन थी दोनों भाइयों की ।
बड़ी भाभी सीमा छोटी नंद के तानें चुपचाप सुनती रही। तभी माँ बोली” नीरा क्या अनाप-शनाप बोल कर अपनी बड़ी भाभी का अपमान कर रही है। यह घर अब छोटा पड़ने लगा है। उनके बच्चे बड़े हो गये हैं।इसलिए हम ही वह घर बनवा रहे हैं”।
माँ की बात सुनकर नीरा भाभी के गले लग रोते हुए माफी मांँगने लगी।
सुनीता परसाई
अपमान – संध्या त्रिपाठी
जीज्जी , आपकी छोटी बहू सरिता के समान सुंदर कोई लड़की नजर में हो तो बताइएगा , मुझे भी बेटे के लिए वैसी ही सुंदर लड़की चाहिए… वहीं बैठी बड़ी बहू मीना का नाम लिए बिना अपमान करना सासूमाँ ( जीज्जी ) को बिल्कुल पसंद नहीं आया उन्होंने कहा …इस विषय पर हीरे की परख रखने वाली जौहरी मेरी बड़ी बहू मीना से ही बात करो ..जो अपने सामान ही एक दूसरा हीरा खोज कर लाई है…!
दोनों बहूओं की मुस्कान और सासूमाँ के जवाब ने चाची के जहरीले जुबान को अपमानित होने पर मजबूर कर दिया..।
( स्वरचित)
संध्या त्रिपाठी
अंबिकापुर , छत्तीसगढ़