Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

भरोसा – बेला 

अमेरिका से पियूष अपनी माँ को वृद्धाश्रम में से वापिस अमेरिका ले जाने आया था, बेटे की बात पर भरोसा कर वह जाने के लिए तैयार हो गई, तभी पियूष ने अपनी बैग में से कुछ प्रॉपर्टी के पेपर्स निकाले और बातों बातों में माँ से पेपर्स पर दस्तख़त करवा लिए। सुबह माँ अमेरिका जाने के लिए तैयार हुई तो पियूष का कोई अतापता ही नहीं था। माँ समझ गई, पियूष उसे नहीं, बल्कि उसके पैसे लेने ही आया था, यह सोच पियूष की माँ की आँखें भर आई। ” माँ का भरोसा एक बार फ़िर से उसके बेटे ने तोड़ दिया। “

बेला 

भरोसा – अंजु गुप्ता “अक्षरा”

माँ  को वृद्धाश्रम में छोड़, जैसे ही बहू बेटा जाने को मुड़े, छन की आवाज़ से कुछ टूटने की आवाज़ आई।

“अब क्या टूटा?” बहू गुस्से से बोली।

“भरोसा!” अनायास ही माँ के मुँह से निकल गया।

अंजु गुप्ता “अक्षरा”

सपनों पर भरोसा – पूनम बगाई

समीरा को दिन-रात की मेहनत का इनाम…परमोशन मिला था, ट्रेनिंग के लिए दूसरे शहर जाना था। 

 सासुमाँ बोली “तुम्हें अपने घर-परिवार पर ध्यान देना चाहिए। नौकरी क्या करने दी, तुम सिर पर चढ़ गई हो।” 

पति अजय ने कहा, “समीरा ने दिन-रात मेहनत करके यह कामयाबी पायी है, यह मौका नहीं छोड़ना चाहिए।” 

 “दूसरे शहर बेटा, वो भी अकेली तीन माह के लिए, लोग क्या कहेंगे?” माँ बोली। 

 अजय ने दृढ़ता से कहा, “तीन क्या जितना समय चाहे समीरा ले सकती है। मुझे अपनी धर्मपत्नी पर पूरा भरोसा है।” 

समीरा की आँखों में आँसू थे “आपका भरोसा मेरी ताकत है।”

– पूनम बगाई

कुसूर – कामनी गुप्ता 

राघव ने फोन पर सगाई के चार महीने बाद रूही से अपनी सगाई तोड़ दी थी। रूही को समझ नहीं आया आखिर उसका कुसूर क्या है?? 

कल ही राघव ने अपने बीते कल की गहरी बातें बताईं थी , जिसे सुनकर एक पल के लिए रूही डर गई थी।फिर उसे ही अपनी किस्मत मान भरोसा कर लिया राघव पर। जब राघव ने रूही से पूछा ..तो उसने सब सच सुना दिया था। एक चाहने वाला था जिसे उसने इन्कार कर दिया था। राघव का कहना था कि उसे रूही पर भरोसा नहीं हो रहा , उसे अब उस पर शक है। वो इस रिश्ते में आगे नहीं बढ़ना चाहता। रूही को कुछ ओर नहीं सूझा बस उसने यही कहा … राघव, जैसे तुम खुद हो तुमने मेरे लिए भी वैसा ही सोचा । भगवान् जो करते हैं… अच्छा ही करते हैं! कहकर रूही फोन काट चुकी थी।

कामनी गुप्ता***

जम्मू! 

भरोसा – पूनम बगाई 

शिवानी ने बैंक के पेपर पास कर लिए, उसकी पोस्टिंग दूसरे शहर में हुई। 

 घर में खुशी का माहौल था, लेकिन दादी ने कहा, “अब नौकरी लग गई है, पहले रिश्ता पक्का कर देते हैं। लड़की जात है, हमारी ज़िम्मेदारी ख़त्म हो जाएगी।” 

 माँ ने चिंतित होकर कहा, “माँजी, उसे अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए।”

 पिता ने मुस्कुराते हुए कहा, “हमें अपनी बिटिया पर पूरा भरोसा है, उसे अपनी पहचान बनाने दो।” 

 शिवानी ने कहा, “आपका भरोसा मेरी ताकत है। शादी तो हो जाएगी, लेकिन पहले मैं अपना करियर बनाना चाहती हूँ।” 

 माता-पिता के भरोसे पर दादी चुप थी।

पूनम बगाई 

*विश्वास की पराकाष्ठा* – बालेश्वर गुप्ता

       इतना आत्मबल,इतनी निडरता,पूरा एक वर्ष हो गया,ये सीता टूटती क्यो नही?स्वर्णिम लंका की महारानी बनने का निर्मोह,महाबली रावण की असीम शक्तियों के प्रति भी निडरता?क्या करूँ? विचलित रावण अपने शयन कक्ष में अपने से ही प्रश्न कर रहा था।

      स्वामी,नही तोड़ पाओगे सीता को,लाख जतन कर लो तब भी।जानते हो क्यो?क्योंकि सीता को असीम विश्वास है अपने राम पर।वह जानती है,राम आयेंगे, अपनी सीता को लेने तथा उसका अपमान करने वाले को पददलित करेंगे।स्वामी अब भी समय है,राम से क्षमा मांग लो।

     मंदोदरी—जिव्हा संभालो,दशानन क्या कभी झुका है?एक वनवासी से क्षमा?हैं।

       रामायण साक्षी है,रावण का दर्प ही नही टूटा था,वरन स्वर्णमयी लंका भी अग्नि में भस्म हो गयी थी।यह विजय मात्र राम की नही थी,वरन सीता के राम के प्रति विश्वास की भी थी।सीता जिस दिन रावण के समक्षआत्मसमर्पण कर देती,राम तो बिना युद्ध किये ही उसी दिन हार जाते।

बालेश्वर गुप्ता,नोयडा

अप्रकाशित।

भरोसा – संध्या त्रिपाठी 

कर भरोसा छोड़ आई बाबुल की गलियां … गर हो गलती तो होना खफा पर बेवफा कभी ना होना …

 मुझे अपने भरोसे पर शर्म ना आने देना …. मेरे निर्णय पर कभी मुझे पछताने ना देना ….

कहीं करके मुझसे बेवफाई तोड़ दिया मेरा भरोसा……….. कसम भरोसे की ……… 

 जिस भरोसे पर तुम्हारे संग पग बढाई थी….  मिटा दूंगी वो हस्ती जो बेखौफ हो भरोसे की बली चढ़ाई थी….

 करना ऐसी ना गलती की…. भरोसे को भी अपने नाम पर शर्म आ जाए…. 

 और भरोसे को भी भरोसा से भरोसा ही उठ जाए… !!

( स्वरचित) 

संध्या त्रिपाठी 

अंबिकापुर , छत्तीसगढ़

भरोसा – रश्मि झा मिश्रा 

…”अभी लग जाती तो… आंखें बंद करके क्यों चल रहे थे…!” सुधा आंटी ने जोर से मोनू को झकझोरा…

 मोनू रोने के बजाय हंसने लगा…” नहीं गिरता आंटी.…!”

” मतलब क्या है… नहीं गिरता… अभी तुम टकराने वाले थे…!”

” नहीं आंटी… नहीं गिरता… मम्मी मेरे साथ जो है…!”

 अब सुधा की नजर छवि पर पड़ी… वह मोनू के पास खड़ी थी…

 उसने मुस्कुराते हुए कहा…” आजकल आंख बंद करके… कहीं भी चलने लगता है… कहता है… तुम मेरे साथ हो तो मैं नहीं गिरूंगा…!”

 ऐसा भरोसा बच्चा अपनी मां पड़ ही तो कर सकता है…

 हां बशर्ते मां के हाथ में फोन ना हो…

रश्मि झा मिश्रा 

भरोसा – हेमलता गुप्ता

मम्मी..  देखो मैं गिर जाऊंगा, मुझसे तो खड़ा ही नहीं हुआ जाता चलूंगा कैसे..? बेटा तू कोशिश नहीं करेगा तो कैसे अपने पैरों पर खड़ा हो पाएगा और  मैं हूं ना.. तु मुझ पर भरोसा रख, तेरी मां तुझे कभी नहीं गिरने देगी, मालती ने अपने 10 वर्षीय दिव्यांग बेटे विशाल से कहा! मां की बात पर भरोसा कर विशाल धीरे-धीरे खड़ा होकर जैसे ही चलने लगा अचानक गिरने को हुआ किंतु तभी उसकी मां ने अपनी बाहों में उसे थाम लिया, विशाल को भी  भरोसा था की मां उसे गिरने नहीं देगी और मां बेटे की यह कोशिश रंग लाई, धीरे-धीरे विशाल  बैसाखियों के सहारे ही सही किंतु चलने लग गया!

    हेमलता गुप्ता स्वरचित 

      (भरोसा)

हैसियत – मोनिका रघुवंशी

वाह दीदी कितना सुंदर हार है, कंगन पर भी बहुत बारीक काम है गले की चैन कमरबंद और ये अंगूठियां भी कितनी सुंदर है पर दो क्यों… और ये साड़ियां भी कितनी कीमती है,

हां तो… सॉफ्टवेयर इंजीनियर है मेरा नकुल,महीने का साठ हजार कमाता है,और वो लोग भी तो नकुल को तीन तोले का ब्रेसलेट चैन अंगूठी और वो बड़ी वाली गाड़ी स्विफ्ट डिजायर दे रहे है।

लेकिन दीदी बड़ी बहू को तो आपने सिर्फ मंगलसूत्र और एक अंगूठी ही चढ़ाई थी, क्या विपुल भैया को बुरा नही लगेगा।

इसमे बुरा लगने वाली क्या बात है विपुल की हैसियत के अनुसार ही तो उसकी बीवी को गहने चढ़ाए थे। कविता जी बड़ी बड़ी आंखे मटकाती हुई बोली।

दरवाजे से गुजरते हुए विपुल से न रहा गया, बोला उस समय तुमने सादगी से शादी की बात कही थी तब मुझे नही पता था मां की ‘ममता’ बेटे की हैसियत देखकर सौदा तय करती है।

मोनिका रघुवंशी

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