तेरे मायके से मेरे बच्चें हमेशा दुबले होकर आते हैं – मीनाक्षी सिंह

मानवी – नमस्ते मम्मी जी ( पैर छूते हुए )

विमला जी – नमस्ते ,,खुश रहो ,,आ गयी मायके से !! मेरे बच्चें कहाँ हैं ,,दिख नहीं रहे !

मानवी – वो गाड़ी से सामान उतरवा रहे हैं अपने पापा के साथ !

तभी दौड़ते हुए काजल और यश आ गए !

काजल और यश – नमस्ते दादी ,,कैसी हो आप,,हमारी याद तो नहीं आयी !

विमला जी – नमस्ते मेरे सोन चिरोटो ,,मैं तो अच्छी हूँ ,,ये तुम लोगों को क्या हो गया हैं ,,इतने भले चंगे गए थे ,,इतने दुबले कैसे हो गए ,,हमेशा नानी के घर से थके हुए आते हो ! वहाँ कुछ खाने पीने को नहीं मिलता क्या !!

काजल चहकती हुई बोली – अरे दादी ,,नानु नानी ,मामू ,,मामी सब पूरे दिन कुछ ना कुछ हमारे लिए लाते ही रहते थे ,,नानू रोज बाजार ले ज़ाते थे ,,आईसक्रीम ,जलेबी , रसगुल्ला बहुत सारी चीजें खिलाते थे ,,बड़ा मजा आता था दादी ! नानी ने तो यश भईया के फेवरेट आलू के परांठे ,देसी  घी के ल्ड्डू भी बनाये ,,हम लेकर भी आये हैं !

और आपको हम दुबले लग रहे हैं ,,आप भी ना दादी ! देखो, देखो ,हम कितने मोटे हो गए हैं ( अपना पेट आगे करते हुए काजल बोली )

विमला जी – हाँ हाँ दिख रहा हैं ,,मेरी भी आँखें हैं ,,,,कैसे चेहरे मुर्झा गए हैं मेरे बच्चों के ! मानवी अगली बार से बच्चों को अपने मायके लेकर मत जाना ,,हमेशा दुबले ही होकर आते हैं तेरे मायके से ! लगता हैं ,,कुछ खाने पीने को नहीं मिलता मेरे बच्चों को वहाँ !

और देखो रंग भी कैसा काला पड़ गया हैं ! पूरे दिन धूप में खेलते होंगे ,,कोई ध्यान नहीं देता होगा ! तेरे भईया भाभी तो नौकरी वाले हैं ,,तेरे पापा भी दीवानी चले ज़ाते हैं ! घर में बचा कौन  तू और तेरी बूढ़ी माँ ! जिनको खुद ही इतनी बीमारियां हैं,

वो  क्या ध्यान देती होंगी ! एसी भी नहीं हैं तेरे मायके में ,,तभी मेरे बच्चें कुम्हला गए ! अब नहीं जाने दूंगी इन्हे ,,तू चली जाया करना ! विमला जी सब एक सांस में बोल गयी !



मानवी की आँखों में आंसू आ गए ! फिर हिम्मत जुटाकर बोली !

मम्मी जी – पहली बार आपके सामने बोल रही हूँ कुछ गलत बोलूँ तो माफ कर दिजियेगा !

आपने सही कहा मेरे मायके में एसी नहीं हैं ,,माँ पापा अपने कमरे में खुद कूलर के सामने नहीं सोते थे ,यश और काजल को सुलाते थे ! रात में माँ उठकर देखती थी कहीं बच्चों को ठंड तो नहीं लग रही ! उन्हे चादर उढ़ाती थी !

कभी आपने रात में उठकर देखा हैं बच्चें कैसे सो रहे हैं ! पापा ने हमारे वहाँ आने  से पहले ही मच्छरदानी लगा दी थी कहीं बच्चें बिमार ना हो  जाये बरसात का मौसम हैं ! भाभी ने हमारे लिए 15 दिन की छुट्टी ले ली  !

जो छुट्टी उन्हे अपने बच्चों की देखभाल के लिए मिलती हैं ,,वो उन्होने मेरे बच्चों के लिए ली कि दीदी और बच्चों को अकेलापन ना लगे और किसी चीज की समस्या ना हो ! बच्चों के साथ बच्ची बनकर खेलती थी !

मजाल हैं बच्चों को कोई तकलीफ हो जाये ! पानी मांगने से पहले ही हाजिर कर देती थी ! वो दूसरे घर से आयी हैं ,,कभी महसूस ही नहीं हुआ हमें !! और भईया जब भी आफिस से आते कभी खाली हाथ ना आते ,,जिस चीज की फरमाइश करते वो हाजिर कर देते !

कह रहे थे भईया पैसा इकठ्ठा  कर रहा हूँ छोटी अगली बार एसी लगवा दूँगा ,! तेरे घर में तो सब हैं ,,नानी के घर में बच्चों को परेशानी नहीं होगी अब ! भाभी कहती दीदी अगली बार आओगी तो कोई समस्या नहीं होने दूंगी आपको मेरा  वेतन भी दो हजार बढ़ जायेगा !

इतना कहते हुए भाभी की आँखों में आंसू आ गए थे मम्मी जी ! आपके लिए साड़ी ,,बच्चों और मेरे लिए कपड़े ! देसी घी के ल्ड्डू ,,पापड़ ,अचार ,,पूरी कचौरी और भी ना जाने क्या क्या यहाँ के लिए रख दिया हैं !

जितने दिन मै रही किसी को भी पलभर आराम करने की फुरसत नहीं मिली ! कभी अचार पापड़ बनाना कभी कुछ सब लोग चकरघिन्नी की तरह घुमते रहे ! जैसे आप दीदी के आने पर उनकी खातिर करती हैं ,,मेरे मायके वाले भी कोई कमी नहीं करते !

माना वो आपकी तरह धनधान्य से सम्पन्न नहीं हैं पर दिल से बहुत अमीर हैं ! अगर आप दहेज में 20 लाख रूपये की मांग नहीं करती तो शायद ये सारी सुख सुविधायें मेरे मायके में भी होती ! अभी तक मेरे दहेज की ही किस्त भर रहे हैं ! इतना कहते कहते मानवी की  आँखों से आंसू गालों को भीगोते हुए उसके पतिदेव के हाथों में आ गिरे !

उसे पता ही नहीं चला कब से खड़े उसके हमसफर  उसकी बातों को ध्यान से सुन रहे थे ! विमला जी भी अपने पल्लू से अपने आंसुओं को पोंछते हुए मानवी के पास आयी और उसे अपनी बाहों में भर लिया !मानवी को भी आज ससुराल में अपनी दूसरी माँ मिल गयी थी

,,उसकी सिस्कियों ने विमला जी को अंदर तक  पश्चाताप से भर दिया ! विमला जी अपने आंसू पोंछते हुए हँसते हुए बोली – मुझे भी तो खिला अपनी समधन के हाथ के देसी घी के ल्ड्डू ! बड़े दिनों से मन था खाने का ! सभी के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी !!

स्वरचित

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

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