दादी मम्मी ने पांच हजार रुपए मंगाए हैं उनकी तबीयत ठीक नहीं है अस्पताल में भर्ती हैं । लेकिन तुम्हारी मम्मी के ऊपर तो पहले से ही काफी उधार है कोमल सुषमा बोली ।वो मम्मी काम करके उसी में कटवा देंगी पैसे।पर इतने पैसे कैसे कटेंगे।वो दादी अभी दे दीजिए मम्मी जब काम पर आएंगी तो बात कर लेना । सुषमा जी ने मन मार कर पैसे दे दिए बीमार थी ममता लेकिन बड़ी ऊहापोह में पड़ी रही कि एक महीने से ममता काम पर आ नहीं रही है रोज बीमार ही रहती है और जब देखो तब पैसे बीच बीच में मांगती ही रहती है ।
चार घर में काम करती है सभी जगह से पैसे उधार लिए रहती है बस यही कहती रहती है कि काम करके उधार चुका देंगे। बाकी सब घरों में तो झाड़ू पोंछा बर्तन करती है दोनों काम के हजार बारह सौ मिल जाते हैं तो उनके पैसे जल्दी कट जाते हैं लेकिन हमारे यहां तो सिर्फ बर्तन करती है झाड़ू पोंछा नहीं। झाड़ू पोंछा मैं खुद ही करती हूं । सुषमा के घर में सिर्फ सुषमा और उनके पति देवेन्द्र रहते हैं एक बेटा है जो बाहर रहता है बीच-बीच में आता रहता है । अभी छै महीने से घर पर ही क्योंकि घर से ही आफिस का काम चल रहा है।और बर्तन के सिर्फ पांच सौ रूपए लेती है
और एक समय बस आती है ।और पहले तो ममता कभी कभार मांगती थी लेकिन अब तो हर दो तीन महीने में मांगती रहती है कभी बच्चे की फीस जमा करनी है तो कभी बिजली का बिल जमा करना है कभी कुछ कभी कुछ।पहला पूरा नहीं होता दूसरा मांगने लगती है। उसकी, इस आदत से सुषमा को अब बहुत परेशानी होने लगी है। सुषमा जी के पति देवेन्द्र जी इस बात से बहुत नाराज़ होते हैं और बोलते हैं इन लोगों को ज्यादा पैसे उधार मत दिया करो । ठीक नहीं रहता। देवेन्द्र जी के बड़े भाई के यहां ऐसे ही काम वाली ने बीमारी के नाम पर पच्चीस हजार रुपए लिए थे और भाभी जी ने पैसे दे दिए थे लेकिन उनके घर भाई ने काम ही छोड़ दिया पता नहीं कहां भाग गई ।इस बात से सुषमा जी से देवेन्द्र जी मना करते थे कि इन लोगों को ज्यादा पैसे मत दिया करो कोई भरोसा नहीं है इनका ।
सुषमा जी ने पैसे तो दे दिए थे लेकिन डर के मारे देवेन्द्र जी को नहीं बताया । फिर उन्होंने अपने बेटे राहुल से बात करनी चाही । बेटे राहुल को बताया कि मैंने काम वाली ममता को पांच हजार रुपए दे दिए हैं वो मांग रही थी बीमार है अस्पताल में भर्ती हैं उसके पास पहले से ही मेरे चार हजार रुपए उधार है कह रही थी काम करके चुका देंगी ।
तो राहुल बोला आयुष्मान र्काड क्यों नहीं बनवाती ।इतना कुछ सरकार गरीबों के लिए कर रही है तो उसका फायदा क्यों नहीं उठाती । पता नहीं सुषमा बोली । अच्छा अब दे दिया तो ठीक है लेकिन मैं कुछ करता हूं इनका आयुष्मान र्काड बनवा देता हूं शायद वो लोग पढ़े लिखे नहीं है तो करन पा रहे हो । मम्मी आप उसकी लड़की से बात करो और जो पेपर वगैरह की जरूरत है वो लाकर दे दे तो मैं आयुष्मान र्काड बनवा देता हूं।अच्छा मैं बात करती हूं उसकी लड़की से ममता तो अस्पताल में हैं।
दूसरे दिन सुषमा जी ने कोमल को फोन किया हलो कोमल जरा घर आना कुछ बात करनी है कोमल घर आई तो सुषमा ने बताया कि राहुल तुम लोगों का आयुष्मान र्काड बनवा देता है उसके लिए कुछ पेपर्स की जरूरत है सबका आधार कार्ड और राशन कार्ड ले आओ तो कोमल बोली कि हमारे पास तो सिर्फ मेरा आधार कार्ड है और मम्मी का है बस पापा को और छोटे भाई बहनों का नहीं है ।और राशनकार्ड वो भी नहीं है ।तो राशन पर इतना सारा सामान मिलता है वो सब तुम लोग नहीं लेती हो ,नहीं अरे कैसे बेवकूफ है तुम्हारे मां-बाप ।एक तरफ तंगी भी है खाने को और दवा को पैसे नहीं हैं इतनी सहुलियत सरकार दे रही है तो उसका फायदा भी नहीं उठाती है ।तो कोमल बोली पापा करते ही नहीं है कहते हैं समय नहीं है ।
फिर कुछ समय बाद ममता ठीक होकर जब काम पर आई तो सुषमा ने उससे सारी बातें की की तुम बस सबका आधी र्काड ले आओ बाकी सब राहुल कर देगा जो कुछ पैसे लगेंगे वो भी लगा देगा।तो पता लगा कि कोमल ने अपना और मम्मी का आधार कार्ड तो बनवा लिया है लेकिन छोटी बहन और भाई का और पापा का नहीं बना है । सुषमा ने कोमल के पापा को घर बुलाया कि तुम लोग अपना आधार कार्ड क्यों नहीं बनवाते। इतनी सुविधा मिलती है उसका फायदा क्यों नहीं उठाते ।अपना आधार कार्ड और दोनों बच्चों का आधार कार्ड लाकर दो राहुल सब बनवा देगा। ठीक है कहकर ममता का पति चला गया।कई दिन बीत गए एक दिन फिर सुषमा ने फोन किया बस वो टालता रहा और न आया । फिर एक दिन सुषमा ने ममता से कहा।तो ममता बोली क्या करूं मम्मी जी मैं कई बार कोमल के पापा से कह चुकी हूं पर वो सुनते ही नहीं है।
सुषमा ने ममता के पति को फोन करके डांट लगाई , क्यों तुमसे पपेर मंगवाए थे पर तुम लाकर नहीं दिए वो कुछ न बोला और फोन रख दिया ।दूसरू दिन ममता घर आई तो बोली आप राहुल भइया को मना कर दें राहुल भइया और आपकी वजह से मेरे घर में झगड़ा हो रहा है ।कोमल के पापा कह रहे हैं क्यों आप लोग पीछे पड़े हैं नहीं बनवाना आधार कार्ड ,राशन कार्ड। मेरे से लड़ाई कर रहे है कि थोड़े से पैसे क्या उधार मांग लिए हमारे घर में झगडे करवाने लगे।
सुषमा ने सिर पकड़ लिया मैं तो तेरे अच्छे के लिए ही कह रही थी ।बस पेपर ही मंगवाए थे बनवाने में जो कुछ पैसा खर्च होता वो हम लोग कर लेते । यही सोचकर कर रहे थे कि चलो किसी गरीब का भला हो जाए ।तुम लोगों का अच्छा करने की सोचा तो बुरा लग रहा है
जाओ भुगतो जैसे हो तैसे । लेकिन ये तुम्हरा रोज रोज का पैसा उधार मांगना क्या अच्छा है अब तक चलेगा ऐसे।
राहुल बोला मम्मी तौबा करों इन लोगों से इनके चक्कर में न पडो आगेसोच-समझकर पैसा देना। बिना पढ़े लिखे लोगों का यही समस्या है । इनके साथ कुछ अच्छा करना चाहो तो बुरा लगता है । तौबा करों इनसे ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
26 अगस्त