आ गई मैडम ,मिल गई फुर्सत ? काजल ने व्यंग्य करते हुए तनीषा को कहा । अरे क्या बताऊं यार ट्रैफिक बहुत थी , बस क्लास खत्म कर दौड़ती भागती आ रही हूं ।
काजल पीली साड़ी में तू
कितनी फैब रही है यार !
चलो हल्दी की रस्म हो और नूपुर का नृत्य न हो ? ऐसा भला कैसे संभव है , खिलखिलाती हुई सारी सखियां गाने पर डांस कर रही थीं। तभी काजल की भाभी ने काजल को हल्दी लगाकर काजल का टीका लगाया,और ढेर सारा आशीर्वाद दिया । कल बारात आने वाली है ,कितनी तैयारियां बाकी हैं ,कहते हुए मिथिलेश जी अंदर आए ,सामने ममता जी दिख गई तो उन्होंने बगल वाले कमरे में आने का संकेत किया ।
ममता जी रसोई घर में बीस पच्चीस लोगों के खाना के लिए बता कर आई थीं। मिथिलेश बाबू ने कहां, ममता बड़े भैया ने अभी फोन किया था । क्या ??? उन्होंने क्यों फोन किया ? आपने बुलाया था क्या ? नहीं मैंने नहीं बुलाया ,किस मुंह से बुलाता ? जब मां के जाने के बाद उन्होंने हर रिश्ता तोड़ लिया ,पापा की मृत्यु का समाचार सुनकर भी उन्हें आने का मन न हुआ ? फिर कैसे बुलाता।? अच्छा बताइए न वो क्या बोलें? उन्हें गिरीश चाचा ने जमीन वाली बात बता दी कि मैं काजल के लिए रोड किनारे वाली जमीन बेचकर दहेज दे रहा हूं ,वे अपना हिस्सा लेने आ रहे हैं,उन्होंने कहा , मुझे पंद्रह लाख दे देना ,आता हूँ, मैं क्या करूं?
बारात आनेवाली है ,कैसे समझाऊं उन्हें ?
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बहुत देर तक जब सासु मां बिटिया को हल्दी लगाने नहीं आई ,तो आशा ढूंढती हुई आ गई , उसने सारी बातें सुन ली , चुपचाप अपने कमरे में गई और एक बड़ा सा सुंदर आभूषण का डब्बा लाकर सासु मां को दे दी , मम्मी इसमें सारे जेवर हैं
काजल की शादीम कोई व्यवधान नहीं आयेगा , ममता जी की आंखों से आंसू बहने लगे उन्होंने कहा ,आशा ये तो तुम्हारी मां ने दिए हैं , हां तो क्या हुआ ? मैं काजल की शादी के बाद बनवा लूंगी ,अगले दिन बड़े चाचा आए ,उन्होंने आते ही अपने हिस्से की बात कही , आशा का पति अभिषेक ने उन्हें सम्मान के साथ बिठायाबोर दस लाख का चेक काटकर दे दिया , उनसे शादी में रुकने भी कहा ,लेकिन वे बोले मेरे बिजनस में काफी घाटा हुआ है ,इसलिए जाना पड़ेगा ।
ममता जी ने आशा को गले लगाते हुए कहा , यदि तुम्हारी समझदारी नहीं होती तो घर में कितना तनाव होता? काजल की शायद … नहीं मम्मी जी यह संसार स्वार्थी जरूर है,किंतु सभी स्वार्थी नहीं हैं ,चलिए काजल परेशान हो रही है ,वो बार बार पूछ रही है ,मैने उसे कुछ नहीं बताया , हां चलो बेटा सभी का खाना निकलवा दो ,जी मम्मी जी ,कहती हुई आशा रसोई की ओर बढ़ चली ,मिथिलेश बाबू ने उसके सामने हाथ जोड़ दिए , वो सिर्फ इतना ही बोल पाई पापा जबतक मैं हूं ,आप बेफिक्र रहें।
# स्वार्थी संसार
स्वरचित
सिम्मी नाथ