सूनी गोद – पूनम सारस्वत : Moral Stories in Hindi

सीमा की शादी को लगभग दस वर्ष हो चुके थे। पर अब तक गोद सूनी थी उसकी । वो इस बात पर बहुत. ज्यादा ध्यान नहीं देती थी । भाई के दोनों बच्चे और छोटी के दोनों नन्हे मुन्ने उसे कभी ये महसूस होने ही न देते थे कि वो अब तक माँ नहीं बनी है। छोटी का बेटा तो उसके रहते अपनी मां के पास जाता ही न था। एक दिन भी अगर वीडियो काल न कर पाती तो दूध ही न पीता।पर सीमा का लाड़ दुलार अपनी जगह था लेकिन

अनुशासन/संस्कार के मामले में वो बच्चों को कोई छूट न देती थी।सब कुछ कहने के साथ हाजिर था परंतु जहाँ बच्चे कोई गलती करते उन्हें टोकना, सही बात समझाना वो अपना कर्तव्य मानती थी।

बच्चे भी उसे बहुत चाहते थे और कभी भी उसकी बात को नहीं टालते थे । सीमा के पति बहुत ही अच्छे इंसान हैं उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं कि लोग क्या कह रहे हैं। उनकी मां ने तो यहां तक कहा कि एक बच्चा गोद ले लो चाहे वह सीमा का भतीजा ही क्यों ना हो, पर सीमा के पति ने साफ मना कर दिया,

कि नहीं वह बच्चे अपने ही हैं गोद लेने का दिखावा क्या करना और ना ही कभी उन्होंने सीमा को यह महसूस होने दिया कि वह मां नहीं बन सकी है। इस तरह से वो अपनी जिंदगी में खुश थे। एक दिन सीमा अपनी स्कूल टाइम की प्रिय सखी दीपा के घर उससे मिलने गई दीपा का बच्चा भी छोटा था

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लेकिन दीपा ने लाड़ -प्यार में उसे कोई अनुशासन नहीं सिखाया था। वह इतनी उद्दंडता कर रहा था पर दीपा कुछ नहीं कह रही थी, बल्कि एक तरह से प्रोटेक्ट कर रही थी बच्चे की बद्तमीजी को।काफी समय तक तो सीमा देखती रही कुछ नहीं बोली फिर उसने अपनी सखी से कहा कि अब बच्चा बड़ा हो रहा है

इसे थोड़ा- थोड़ा अनुशासन सिखाओ ।हर बात में बच्चे की जिद पूरी करना और गलत बात पर भी न समझाना आगे के लिए परेशानी खड़ी करेगा। दीपा को पता नहीं ये बात बुरी लग गई या उसने कुछ सोचा ही नहीं और उसने सीमा से कह दिया, ऐसा ही लगता है जब तुम्हारा अपना बच्चा होगा तो पता चलेगा।

सीमा सन्न रह गई उसका चेहरा देखने लायक हो गया ,आँखों से आँसू ढलने को हो रहे थे ,उसने जैसे तैसे अपने को संयत किया।उसे कुछ समझ ही ना आया कि वह क्या प्रतिक्रिया दे,जब उसके बच्चे हुए ही नहीं हैं तो ये बात का क्या मतलब । दीपा तो उसकी प्रिय सखी है उसे सब बातों का पता है फिर वो ऐसा क्यों बोली, ऐसे प्रश्नों की झड़ी लग गई उसके दिल दिमाग में।

सीमा एकदम से चुप हो गई और कुछ देर औपचारिक बातें करने के बाद वापस अपने घर आ गई। घर आकर सीमा अपने स्वभाव से विपरीत एकदम शांत थी ।जबकि वो कभी भी इतनी शांत नहीं रहती थी। हमेशा हंसना , मुस्कुराना , खिलखिलाते रहना यही उसकी फितरत थी। जब रमन,उसके पति घर आए तो उन्होंने देखा और पूछा कि तबीयत सही नहीं है क्या ?

सीमा ने कहा तबीयत बिल्कुल सही है ,तो उन्होंने पूछा फिर क्या बात है कोई बात हुई क्या घर में ??सीमा फिर से चकित हो गई जिस घर में कभी कोई ऐसी बात नहीं हुई वहां कोई बात कैसे हो जाएगी?

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 उसने कहा ऐसा कुछ नहीं है कोई बात नहीं हुई है घर में, आज मैं दीपा के घर गई थी ,..और उसने सारी बात बताई और कहा कि दीपा ने ऐसे बोला तो मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा ।अब मैं चाहती हूं कि हम कुछ प्रयास करें, मुझे अपना बच्चा चाहिए। क्योंकि वह बच्चे मेरे हैं बहुत चाहते हैं मुझे और मैं भी उन्हें बहुत चाहती हूं

लेकिन फिर भी बायोलॉजिकल माँ बनना भी शायद समाज में जरूरी है ।इसके बाद उन्होंने शहर के डॉक्टर को दिखाया और पता नहीं चमत्कार था या समय अच्छा था ,कुछ ही समय में सीमा प्रेग्नेंट हो गई , समय के साथ उसने एक बेटे को जन्म दिया बाद में एक बेटी भी उसकी हुई ।आज उनका एक खुशहाल परिवार है ।सीमा का कहना है

कि मुझे समझ नहीं आता कि मैं अपनी सखी की बात का बुरा मानूं या उसे दुआ दूं कि उसने मुझे वह राह दिखाई जिस पर चलना मैं बिल्कुल भी जरूरी नहीं समझती थी। पर आज मैं अपने दो बच्चों के साथ बहुत खुश हूं ,तो यही कहूंगी कि अच्छा है जो कुछ होता है अच्छे के लिए ही होता है ।

पर इस सबसे उसे एक सीख भी मिली की सभी दोस्त आपको दिल से अपना मानें यह जरूरी नहीं, आप किसी को अपना मान रहे हो यह एक बात है और वह भी आप को अपना मानेगा वह दूसरी बात है।

सीख :-  

1.किसी को भी बिन माँगी सलाह नहीं देनी चाहिए।

2.आप जिसे अपना अजीज मानते हैं जरूरी नहीं वह भी आपको अजीज माने।

पूनम सारस्वत

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