सुंदरम आंटी – वीणा सिंह   : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : पता नही क्यों बचपन से हीं मुझे   उम्रदराज और बुजुर्ग लोगों का साथ  उनका स्नेह आशीर्वाद उनकी बातें उनके अनुभव मुझे सम्मोहित करता था! अपने दादा जी के साथ मैं घंटों बैठी बाते करती सुनती! समय पता हीं नही चलता! 

ऐसी हीं थी मेरी प्यारी सी सुंदरम आंटी! प्यार और #ममता #की जीती जागती मूरत …कर्नाटक से थी! अंकल की नौकरी सीसीएल में थी! इसलिए उनको इधर आना पड़ा! पहले धनबाद में थी! फिर रांची आ गई! तीन बच्चों की मां..एक बेटा दो बेटी!

एक बेटी बैंक में थी! दूसरी जर्नलिस्ट थी!

मैं जब भी रांची जाती बहन के पास! बहन ताने मारती तू मेरे पास आई है या आंटी के पास! तू फोन से हीं मुझसे बातें कर ले! मैं मुस्कुरा देती!

अंकल रिटायर हो चुके थे! आंटी और अंकल क्वालिटी टाइम एक्सपेंड कर रहे थे! आंटी के हाथों का स्वाद आज भी मुझे बैचेन कर देता है. मैसूर पाक तो इतना लाजवाब बनाती कि बस मन हीं नहीं भरता! समोसे तरह तरह के अचार और भी ना जाने कितना कुछ अपने कुशल दक्ष हाथों से बनाती!

केक आइसक्रीम बेजोड़ बनाती थी! हर रोज एक अलग तरह का डिश! उफ्फ! आज भी नही भूलता! अंकल भी काफी शौकीन! सीसीएल में अच्छे पोस्ट पर थे! पैसे की कमी नहीं थी…फैब इंडिया से कपड़े खरीदते थे इस उम्र में अपना और आंटी का!

शाम को आंटी कभी कांजीवरम तो कभी सिल्क कभी तसर की कीमती साड़ियां पहनती ..सप्ताह में हर दिन के हिसाब से, जैसे मंगल को लाल बृहस्पति वार को पीला, इस तरह से पहन आरती करती! वातावरण में उनकी मधुर आवाज अगरबत्ती धूप गंध की खुशबू और उनके भजन! लगता किसी अलौकिक शक्ति का प्रभाव वातावरण में व्याप्त हो गया है.. मैं तल्लीन हो जाती! फिर अपने हाथों से बनाया कभी लड्डू तो कभी बर्फी कभी हलवा का भोग लगाती! हमे भी प्रसाद खिलाती!

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फिर दोनो पति पत्नी टहलने निकल जाते! दोनो को देखकर मन खुश हो जाता! पति पत्नी और एक अधेड़ उम्र की औरत उमा रात दिन आंटी के साथ रहती थी! उसकी एक बेटी थी जिसे आंटी बीएड करा रही थी!

अंकल आंटी कभी झूले पर बैठे चाय पीते तो कभी बारिश में भीगते भुट्टा तो कभी आइस क्रीम खाते दिख जाते! कितना प्यारा जीवन था उनका! आंटी दिल की जितनी खूबसूरत थी चेहरा भी उतना ही खूबसूरत! और रहन सहन चार चांद लगा देता! अक्सर हम तीनो खूब गप्पे मारते कभी मूवी देखने चले जाते! इस उम्र में पति पत्नी का एक साथ होना भगवान की खास मेहरबानी होती है! अक्सर पति या पत्नी दोनो में से एक साथ छोड़ देता है!

बेटियां और बेटे आते तो घर में जैसे उत्सव का माहौल हो जाता…. उतने  कम दिनों में अपनी ममता उनपर उड़ेल देना चाहती थी..बच्चों की शादी निपटा चुकी थी! बेटा बहु दोनो इंफोसिस में इंजीनियर थे!

बहु को बच्चा होने वाला था! आंटी अंकल और उमा तीनो बैंगलोर बेटा बहु के पास गए! जुड़वा बच्चे हुए! आंटी और उमा दोनो मिलकर खूब अच्छी तरह से सब संभाला! बहु का पूरा ख्याल रखा!

पांच महीने के बाद तीनों लौट के रांची आ गए! बहु की मां आ गई थी!

 

आंटी ने फोन कर के बताया कि उमा की बेटी आशा की नौकरी रांची के एक स्कूल में लग गई! बहुत खुश थी! उनका प्रयास रंग जो लाया था!

एक दिन बहन का फोन आया आंटी को कैंसर हो गया है! छोटी बेटी जो पत्रकार है बॉम्बे में उनके पास अंकल ले कर गए है… मेरे लिए ये सब सदमा से कम नहीं था! क्योंकि मैं उनके साथ भावात्मक रूप से जुड़ी थी!

तीन महीने बाद आंटी दुनिया से चली गई!!

मुझे अंकल की बहुत चिंता हो रही थी! कितने प्यार से दोनो साथ रहते थे! कैसे रहेंगे अंकल!

देखते देखते चार साल बीत गए! आंटी के फ्लैट में उनकी बेटी जो बैंक में काम करती दामाद और बच्चे रहने आ गए! अंकल बॉम्बे से बैंगलोर बेटे और बहू के पास आ गए!

पिछले साल मैं बैंगलोर में थी! एक दिन व्हाइट फील्ड एरिया के एक पार्क में दिन में हीं चली गई!

अचानक नजर पड़ी दस बारह सत्तर साल से उपर के बुजुर्ग पुरुष एक जगह बैठे है! आदत से मजबूर मैं उनके करीब चली गई! बिहारी होंगे तो थोड़ी बातचीत कर लूंगी! नजदीक जाने पर अंकल जैसा हीं जाना पहचाना चेहरा दिखा! मैने जोर से पुकारा अंकल मैं… अंकल ने मुझे ध्यान से देखा और बोले तू यहां! मैने कहा इस वक्त आप यहां! अंकल ने सब से मेरा परिचय कराया! बार बार हम दोनो की आंखे भर जा रही थी!

अंकल ने बताया बेटा बहु ऑफिस चले जाते हैं बच्चे स्कूल! खाना बनाने वाली सुबह में हीं थोड़ा ज्यादा खाना बना देती है मेरे लिए!इन लोगों का भी यही हाल है इसलिए हमलोग नाश्ता करके यहां आ जाते है साथ साथ समय बिताते हैं फिर ढाई बजे घर जाते हैं आस पास के अपार्टमेंट में हीं रहते है! फिर तीन बजे से शाम के छह बजे तक अक्सर अगर बारिश ना हुई तो यहीं रहते हैं! कितना टीवी देखे अकेले घर काटने को दौड़ता है! बेटा बहु सात या आठ बजे आते है उनके दोनो बच्चे स्कूल के बाद कहीं ट्यूशन पढ़ने जाते हैं वहीं उनका खाना भी बेटा बहु ने ठीक कर दिया है. बेटा बहु दोपहर में ऑफिस में लंच लेते हैं! अक्सर चारो बाहर से खा के आते है! मुझे रात में ब्रेड दूध पर हीं संतोष करना  पड़ता है..

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हाय रे वक्त! आंटी के जीते जी अंकल का खाना पीना रहन सहन क्या था! आज क्या हो गया! एकदम बूढ़े दयनीय चेहरे से बेबसी टपक रही थी! दिल में टीस सी उठी!

मैं भी हार मानने वाली नही थी! कहा रांची चलिए आपका फ्लैट है बेटी के साथ रहिए! अंकल दर्दभरी फीकी हंसी के साथ कहा! पिछले साल गया था बैंक में कुछ काम था! बेटी को मेरे साथ रहने में एरिटेशन हो रहा था! जिस बेटी को मां टिफिन में भर भर के हर रोज कुछ न कुछ भेजती थी! बेटी के आने पर तरह तरह के खाने से टेबल भर देती उस बेटी को बिना चीनी की चाय बनाने में परेशानी आ रही थी! अंकल को शुगर का प्रॉब्लम था! कुछ पल मैं बेटी में उसकी मां की छवि तलाशनी चाही! क्या  उसी #ममता #की जीती जागती मूरत की कृति है ये..पर असफल रहा! बेटी और उसके बच्चों का व्यवहार बार बार ये इंडिकेट कर रहा था की मैं अनचाहा अतिथि हूं! मैं अपने घर में अपनी बेटी के पास बिल्कुल पराया था! फिर उमा से मिलने गया तुम्हारी आंटी की इच्छा थी जब भी रांची जाऊं उमा औरआशा से जरूर मिलूं!

मिलने गया था पर दोनो प्यार भरे आग्रह को ठुकरा नही पाया! तीन दिन रह गया! बेटी को सूचना दे दी! बेटी ने एक बार भी औपचारिकता वश भी तीन दिनों में फोन नही किया!

अंकल बोले उमा के किस्मत से मुझे थोड़ी देर के लिए जलन होने लगी! मां बेटी का मेरे प्रति प्रेम लगाव को देख मुझे तुम्हारी आंटी याद आ गई! तीन दिन कैसे बिता पता हीं नही चला! प्यार और ममता के कितने रूप होते हैं ये मुझे स्पष्ट दिख रहा था..आशा स्कूल से छुट्टी ले रखी थी! हम तीनो कावेरी की स्पेशल थाली खाने गए जो आशा ने अपनी नौकरी  की  खुशी में मुझे दी थी! मुझे संतोष हुआ उमा का बुढ़ापा सुखी बीतेगा! जाते समय मैंने भीगी आंखों से आशा के सर पर हाथ रख दिल से आशीर्वाद दिया! आशा की शादी में आने का वादा कर वापस आ गया! किसी तरह पंद्रह दिन काट वापस यहां आ गया! हम सब एक दूसरे के जीने के सहारे हैं..

अगले दिन मैं इसी वक्त मिलने का वादा कर बोझिल मन से वापस आ गई! रात में नींद नहीं आई!

अगले दिन घर से खाने का कुछ कुछ बना के जो अंकल के लिए आंटी बनाती थी, बनाया! मसालेदार चाय बनाया । भाई से मैसूर पाक बाजार से मंगवाया क्योंकि मुझे अच्छे से बनाना नही आता!

मैं पार्क पहुंच गई! नियत समय से सब आए! मैने टिफिन खोल के सामने रख दिया! उन सब की आंखों की चमक और चेहरे का तृप्त भाव! मैं थोड़ी दूर फोन आने का बहाना कर बैठी देख रही थी मेरी आंखों से निरंतर आंसू गिर रहे थे! लग रहा था सुंदरम आंटी मुझपर स्नेहाशीष  और ममता  बरसा रही है..

 #स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

        Veena singh

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