“सोने के पिंजरे से कहीं अच्छी आत्मसम्मान की टूटी-फूटी झोपड़ी है।” – “रीवा” : Moral Stories in Hindi

अक्षत और आरती दोनों साथ में कॉलेज पढ़ते थे ।अक्षत बहुत अमीर घराने का लड़का था।उसके शौक और आदतें सारा कॉलेज जनता था।हर दूसरी सुंदर लड़की उसे पसंद आ जाती थी।

आरती देखने में बहुत ही सुंदर थी। अक्षत को आरती को देखकर पहली नजर में ही प्यार हो गया।आरती एक बहुत ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखती थी। वह बहुत महत्वकांक्षी थी

और हमेशा से एक अच्छा जीवन जीना चाहती थी। वह अपने परिवार की गरीबी से बहुत तंग आ चुकी थी ।क्योंकि वह सुंदर थी इसलिए लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रहती थी।

अपनी इसी खूबी का वह बखूबी फायदा उठाती थी।अक्षत के शानो शौकत देखकर वह उसे आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकी। इस तरह दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदलने लगी

और यह प्यार कब शादी में बदल गया पता ही नहीं चला। क्योंकि अक्षत के घर वाले इस रिश्ते के सख्त खिलाफ थे पर अक्षत अपनी जिद मनवाना अच्छी तरह से जानता था।

आरती के घर वालों को भी है रिश्ता मंजूर नहीं था क्योंकि उनका मानना था कि रिश्ता बराबरी में ही होना चाहिए। कहां तो वह अपने टूटे-फूटे मकान में रहते थे।जिंदगी बमुश्किल गुजर रही थी।

वे इस रिश्ते को बिल्कुल भी मंजूरी नहीं दे रहे थे। लेकिन अक्षत और आरती ने घर से भाग कर मंदिर में शादी कर ली। कुछ दिन किराए के मकान में रहने के बाद अक्षत के मां-बाप ने उसे अपने घर में बुला लिया।

आरती तो उसके घर की शानो शौकत को देखकर ही हक्की-बक्की रह गई। वह बहुत खुश थी,मानो सातवें आसमान पर पांव रख लिया,क्योंकि यही सब तो वह चाहती थी।

जिस चीज का सपना उसने देखा था वह पूरा हो गया था।अक्षत तो उसे बहुत प्यार करता था।हर समय उसके आगे पीछे ही घूमा करता था।लेकिन उसके ससुराल वालो का व्यवहार उसके लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं था।

आरती को इस सब से कोई फर्क नहीं  पड़ता था क्योंकि वह तो अपनी स्वप्निल जिंदगी में खोई हुई थी।इस तरह कई महीने और साल बीत गए। धीरे-धीरे अक्षत का आरती की तरफ व्यवहार बदलने लगा।

अब वह ज्यादातर घर से बाहर ही रहता।पार्टी करना,नई लड़कियों से दोस्ती करना ही उसका सबसे बड़ा शौक था। आरती इस चीज को महसूस करने लगी थी कि अक्षत उसके साथ पहले जैसा व्यवहार नहीं करता ।

अब वह यह सब दिल की बात कहती भी किस से ?क्युकी ससुराल मैं उसकी किसी से बनती नहीं थी क्योंकि उसने कभी कोई कोशिश ही नहीं की और मायके वाले उसके इस कदम के बाद से उससे कोई रिश्ता ही नहीं

रखना चाहते थे ।अब वह भी ज्यादातर घर से बाहर ही रहती शॉपिंग करना पार्टी करना यही उसकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया था। धीरे-धीरे वह इस जिंदगी से इतना ऊब चुकी थी

कि अब उसे अपनी शादी के पहले वाले दिन ही याद आते थे ।आरती अक्षत को बहुत मिस करती थी। लेकिन अक्षत के पास उसके लिए बिल्कुल भी टाइम नहीं था। इस तरह आरती और अक्षत में छोटे-मोटे झगड़े होने लगे

और यह छोटे-मोटे झगड़े कब मारपीट मे बदल गए पता ही नहीं चला ।अक्षत उससे कहता कि मैंने सब कुछ तो तुम्हें दे रखा है और क्या चाहती हो।तुम्हें किसी चीज की कमी थोड़ी है

फिर तुम मेरा पीछा छोड़ क्यू नहीं देती हो।तुम अपनी जिंदगी जियो और मुझे मेरी जिंदगी जीने दो।आरती इस पर कहती कि मुझे तुम्हारा साथ चाहिए ।अक्षत कहता मुझे ऑफिस में इतना काम रहता है, मुझे टाइम नहीं है।

आरती धीरे-धीरे इतनी दुखी हो गई कि वह दिन भर रोते रहती ना उसे कहीं जाने का मन होता, ना शॉपिंग करने का मन होता ना किसी से बात करने का मन होता।

उसने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। धीरे-धीरे वह इतनी तनावग्रस्त हो गई कि उसे अपना जीवन खत्म करने के खयाल आने लगे।वह धीरे-धीरे डिप्रेशन की ओर जाने लगी थी।

आरती को अब यह सब शानो शौकत रास नहीं आ रही थी।उसे अपने मां-बाप की कहीं हुई बातें याद आ रही थी ।अगर वह अक्षत से कुछ कहती तो वह कहता जाओ “अपने मां बाप के पास”।

अब आरती को एहसास होने लगा कि उसने क्या खो दिया। अब वह मन ही मन सोचती रहती कि काश वह धन दौलत को इतनी प्रमुखता ना देकर अक्षत के मन को परखती।काश वह अपने आत्म सम्मान की बलि न देती।

इस सोने के पिंजरे से अच्छी तो उसकी टूटी-फूटी झोपड़ी ही थी कम से कम खुले आसमान में सांस तो ले सकती थी।संसाधन कम थे लेकिन प्यार मे कोई कमी नही थी।अब कर भी क्या सकती थी।

लेकिन उसे इस सब से बाहर आना था। उसने अपने शौक जो पुराने बक्सों में कही बंद कर दिए थे।अब वह फिर से उस जिंदगी को जीना चाहती थी।उसे डांस करने का बहुत शौक था।

अब वह डांस क्लास जाकर डांस सीखती है। अपने तनावग्रस्त जीवन से निकल कर स्वछंद आसमान में उड़ने के इस सफ़र में उसने एक बहुत बड़ी सीख ले ली

कि “सोने के पिंजरे से ज्यादा आत्मसम्मान की टूटी फूटी झोपड़ी कहीं ज्यादा अच्छी होती है।”

“रीवा”

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