शुभ त्यौहार – दीप्ति सिंह

करवा चौथ के दिन दोपहर दो बजे करुणा ने बेटी को जन्म दिया। चाँद सी सुंदर बेटी पाकर ससुर, अखिलेश व करुणा अत्याधिक प्रसन्न हुए पर अम्बा सोच रही थी कि पोता हो जाता तो खोटा त्यौहार मन जाता ।

कमरे में शिफ्ट हो कर जब शरीर को थोड़ा आराम मिला तो करुणा ने पूछा ” मम्मी जी !अब तो अगले साल मैं भी करवाचौथ का व्रत रख लूंगी “

“नही “अम्बा बोली।

“क्यों मम्मी जी?” करुणा द्रवित हो प्रश्न कर बैठी।

“अगर बेटा होता तो त्यौहार खोटा न रहता .. अब हमारे यहाँ होली भी खोटी थी लेकिन उस दिन मेरी ससुराल में गाय ने बछड़ा दे दिया तो होली मना ली… ” अम्बा बोली

 “मम्मी ! क्या बेटी जानवरों से गयी बीती है जो उसके पैदा होने पर त्यौहार नही मना सकते और गाय के बछड़े के पैदा होने पर मना सकते है। “अखिलेश माँ को समझाते हुए बोला।

  “बेटी पराया धन होती है और बेटा इसी घर का होता है.” अम्बा ने कहा

 ” मम्मी !पता आपको भी नही है… त्यौहार किसके मरने पर खोटा हुआ बस लकीर की फकीर बनी हुई हो।”अखिलेश भी थोड़ा नाराजगी के स्वर में बोला।

” जैसे तुझे बहुत पता है ” कहते हुए अम्बा बाहर आकर बैंच पर बैठ गयी।

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 “बात तो सही है अखिलेश की.. न उसकी सास को ,न ददिया सास को  पता था कि त्यौहार किसके मरने पर खोटा हुआ था ..बस यही कहती थी दोनों ..कोई खत्म हो गया था करवा चौथ को ।

मन तो उस का भी करता था करवाचौथ मनाने का ..पर परम्परा कैसे तोड़े ? डर लगता है खोटे त्यौहार को मनाने से कोई अनहोनी न हो जाये। लेकिन जिन के यहाँ मनाया जाता है क्या उनके साथ अनहोनी नही होती क्या ? जोड़ा सदा किसका रहा है ? बिछड़े तो सभी है; “

इन्ही विचारों के समंदर में डूबती उतराती अम्बा कमरे में जाकर बोली “करुणा! अब हम भी करवाचौथ मनाया करेगें। “

 ” सच मम्मी जी! खिड़की से देखो ,चाँद निकल आया होगा; अर्ध्य दे दो।” करुणा उल्लास भरे स्वर में बोली।

” अम्बा पोती को चूमते हुए बोली “मेरा चाँद तो यह है ..इसी ने तो घर में चाँदनी बिखेर दी ..इसे देख कर अर्ध्य दूँगी; भले ही बेटी पराया धन होती है लेकिन जन्म तो इसी घर में लेती है।”

दीप्ति सिंह (स्वरचित एवं मौलिक)

बुलंदशहर ( उत्तर प्रदेश)

 

 

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