एक बार की बात है गुरु नानक देव जी के पास एक आदमी आया और उसने बोला गुरुजी मैं अपने परिवार वालों के लिए अपने दोस्तों के लिए कितना कुछ करता हूं लेकिन मुझे पता चला है कि वह कोई भी मेरा विश्वास पात्र नहीं है बल्कि सब मेरा फायदा उठाते हैं मैं एक दिन उन्हें कमाकर नहीं दिया तो मेरे घरवाले सब मेरी बुराई करने लगे इसका मतलब इस दुनिया में कोई भी इंसान अच्छा नहीं है सब सिर्फ स्वार्थ से भरे हुए हैं।
गुरु नानक देव ने उस व्यक्ति को अपने पास बिठाया और उन्हें एक कहानी सुनाया उन्होंने बोला एक राजा के महल में एक शीश महल था उस महल में उसकी छोटी बेटी जाती थी और उसके उसने खूब खेलती थी उसे लगता था कि उसके साथ हजारों बच्चे एक साथ खेलती है। वह लड़की अगर ताली बजाती थी तो हजारों हाथों से एक साथी तालियां बजने लगती थी वह बहुत ही खुश होती थी और वह राजा से भी जा कर कहती थी कि महाराज यह दुनिया का सबसे अच्छा स्थान है जहां पर कभी भी एकांत नहीं महसूस होता है।
एक दिन राजा बहुत निराश था तो उसने सोचा कि चलो मैं भी शीश महल में जाता हूं शायद मेरा मन बहल जाए वह इस महल के अंदर जैसे ही गया तो उसने देखा कि उसके 1000 लोग गुस्से में भरे पड़े हुए हैं राजा डर गया राजा गुस्से में चिल्लाने लगा तो वह हजारों लोग भी गुस्से में चिल्लाने लगे राजा गुस्से में शीश महल को चकनाचूर कर दिया और उसने कहा कि दुनिया का सबसे खराब स्थान है यह जो कि यहां पर तो सब एक दूसरे पर हंस रहे हैं।
अंत में गुरु नानक देव जी ने उस व्यक्ति से पूछा कि आपको इस कहानी से क्या शिक्षा मिला। उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि हमें इस कहानी से यही शिक्षा मिला कि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही लगता है कि दुनिया भी सोचती है इसीलिए हमें हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए। गुरु नानक देव ने कहा बिल्कुल सही कहा तुमने इसलिए अब तुम जाओ और तुम सिर्फ अपना काम करो दूसरे तुम्हारे बारे में क्या सोचते हैं इस बारे में मत सोचो।