Moral Stories in Hindi : शादी के पच्चीस साल बीत जाने के बाद भी ज्योति को अपने मां बाप और अपने सांस ससुर से शिकायत थी ।वो अपने साथ हुए छल को कभी भूल नहीं पाती है। जौनपुर छोटी सी जगह से थी ज्योति घर में पैसों की तंगी थी दो बहनें और एक भाई माता पिता का परिवार था ।
किसी तरह ट्यूशन वगेरह करके सबने अपनी-अपनी पढ़ाई पूरी की ।ज्योति ने सोशल साइंस में एम ए किया था। इसके आगे पढ़ाने की औकात मां बाप में नहीं थी वो ज्योति के लिए रिश्ता ढूंढने लगे ज्योति देखने सुनने में अच्छी थी ,पास के ही छोटे से शहर से ज्योति के लिए रिश्ता आया अच्छा सम्पन्न घर था लड़का भी ठीक था । बात चली लड़का लड़की ने एक दूसरे को पसंद किया और शादी हो गई।
ज्योति ससुराल आ गई ।ज्योति को बताया गया था कि ससुराल में बिजनेस चलता है । जिसमें राजीव ज्योति का पति, ससुर और दो देवर बैठते थे । कोई भी गम्भीरता से काम को नहीं देखता था जब जिसकी मर्जी होती दुकान पर बैठता बैठता नहीं तो इधर उधर घूमता रहता ।
जो भी इनकम होती दुकान में चाहे जो भी आता और पैसा लेकर चल देता था । किसी को कोई परवाह नहीं थी । धीरे धीरे बिजनेस चौपट होने लगा और एक दिन नौबत ऐसी आई कि बिजनेस ठप्प हो गया ।घर में अब रोज ही किसी न किसी बात को लेकर चिक-चिक शुरू हो गई।ज्योति ने एक बेटी को जन्म भी दे दिया था।अब उसको भी परेशान किया जाने लगा। यहां तक कि दूध पर भी रोक लगा दी गई।
जयोति परेशान हो गई छोटी बच्ची है कैसे होगा । दिनभर उसको ताना दिया जाने लगा कि जाओ कहीं नौकरी करो । ज्योति ने राजीव से कहा तुम नौकरी करो पढ़ें लिखे हो मैं कैसे जाऊं बाहर बच्ची छोटी है उसे कौन देखेगा। राजीव आनाकानी करता रहा ।
परिस्थितियां दिन पर दिन विकट होती जा रही थी।सांस ससुर ने ज्योति को अलग कर दिया अब अपना खाना पीना अलग बनाओ अपना खर्च खुद उठाओ लेकिन ज्योति क्या करती उसके पास तो कोई जमा पूंजी नहीं थी मायका भी आर्थिक रूप से कमजोर था इसलिए वहां से भी मदद नहीं मिल सकती थी ।
ज्योति की बच्ची भी अब एक साल की हो गई थी कई बार कहने पर भी जब राजीव ने कोई तवज्जो नहीं दिया काम धंधे पर तो ज्योति ने घर पर ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया पढ़ी लिखी तो थी सोशल साइंस में एम ए किया था । थोड़ा बहुत हाथ खर्च निकलने लगा ।
अब ज्योति में कुछ करने की लगन लग गई कब तक परेशानी में जिंदगी बिताती आखिर जरूरत पूरा करने को तो कुछ पैसे चाहिए न । फिर एक दिन उसको पता चला कि घर के पास सी बच्चों का एक स्कूल खुला है उसमें टीचर की आवश्यकता है ज्योति ने सोंचा क्यों न स्कूल में नौकरी कर लूं लेकिन बच्ची की समस्या सामने आ रही थी ।ज्योति की एक चाची थी जो इसी शहर में रहती थी ज्योति ने उनसे बात की की आप तीन घंटे मेरी बच्ची को अपने पास रख लेगी तो वो तैयार हो गई।इस तरह ज्योति ने स्कूल में नौकरी कर ली ।
जयोति एक दिन राजीव से बोली मेरे स्कूल में क्लर्क की जगह है तुम वहां अप्लाई कर दो गेजूएट बंदा चाहिए और तुमने तो एम ए किया हुआ है अपने साटिफिकेट दे दो मैं स्कूल में बात कर लूंगी । लेकिन राजीव आनाकानी करता रहा की बार मांगने पर भी अपना साटिफिकेट नहीं दिया फिर एक दिन ज्योति और राजीव में भंयकर लड़ाई हुई कि कैसे घर का खर्चा चलेगा तुम कुछ करने को तैयार नहीं हो ।ज्योति ने जबरदस्ती राजीव का साटिफिकेट निकलवा तो देखा वो तो गेजूएट भी नहीं है मतलब गेजूएशन पूरा नहीं किया है आधे में ही छोड़ दिया है ।
वो बस इंटर ही था ।ज्योति ने तो अपना सिर पीट लिया शादी के समय कहा गया था कि लड़का एम ए पास है।अब इंटर पास लड़के को कौन नौकरी देगा कुछ नहीं हो सकता था ।जब राजीव से बोला कि तुम लोगो ने झूठ बोल कर शादी की तो राजीव बोला हमने झूठ नहीं बोला मेरे माता-पिता ने बोला है उनसे कहो जाकर ।अब सास ससुर से कुछ कहती तो कहते बहू हमसे लड़ती है ।
इस बात को पच्चीस साल हो गए ज्योति की बेटी भी अब बाइस साल की हो गई है और अब ज्योति सीनियर सेक्शन में पढ़ाने लगी है । स्कूल से आने के बाद घर पर ट्यूशन भी करती है अब इसी तरह वो अपनी बच्ची को पढ़ा लिखा रही है । राजीव अभी भी घर पर बैठे हैं कहीं कुछ काम नहीं करते । यदि कहीं बीच-बीच में कहीं कोई काम करते भी हैं तो कुछ दिनों में वहां से भगा दिए जाते हैं । क्यों कि खाली दिमाग शैतान का घर , नशा करने की लत लग गई पता नहीं पीने पिलाने को कहां से पैसे आते हैं ।बस ज्योति की जिंदगी की गाड़ी ऐसे ही चल रही है ।उसको अपने मां बाप से और सास ससुर दोनों से ही शिकायत है कि उन्होंने झूठ बोल कर मेरी जिंदगी खराब कर दी । यदि ज्योति पढ़ी लिखी न होती तो उसका और उसकी बच्ची का जीवन तो अंधकार मय ही था न ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश