सेजल – समिता बड़ियाल : Moral Stories in Hindi

वो चूड़ियों को बड़े गौर से देख रही थी। उनमें लगे मोतियों की चमक से उसकी आंखें और भी चमक उठी थी। तब भी दुकान वाले ने आवाज लगाई, ले लीजिए मैडम सिर्फ 200 रुपये की हैं। नहीं भाईसाहब रहने दीजिए, उसने कहा। अगर महंगी लग रही है तो 180 दे दीजिए दुकान वाले ने फिर कहा। नहीं रहने दीजिए, उसने उदासी भरी आवाज में कहा। तभी वहां उसकी सास उमा जी आ गई, क्या हुआ सेजल पसंद है तो ले लो तुम पर अच्छी लगेगी

नहीं मांजी नहीं चाहिए, घर का बाकी सामान ले लेते हैं। ये कहकर सेजल वहां से आगे बढ़ गई। उमा जी भी दुखी हृदय से आगे बढ़ गईं। रात को खाना खाकर, सब काम ख़तम कर सेजल अपने कमरे में सोने चली गई। उमा जी भी पानी लेकर अपने कमरे में आ गयीं।

हवेली जैसा घर था जिसे राहुल ने बड़े प्यार से बनवाया था। पर घर में रहने वाले सिर्फ तीन लोग भागीरथ जी (राहुक के पिता), उमा जी (राहुल की मां), और सेजल (राहुल की पत्नी)।

जैसे ही उमा जी कमरे में पहुंची, भागीरथ जी ने पूछा आज सेजल बहुत उदास थी क्या बात हुई? उमा जी ने कहा आज बाजार में उन्हें चूड़ियां बहुत अच्छी लगी थीं, मैंने कहा भी कि लेले पर सेजल ने मना कर दिया। क्या करे इतनी सी उम्र में वह रीति रिवाजों में फंसकर रह गई बेचारी, भागीरथ जी कहा।

उमा जी की आँखों से नींद कोसों दूर थी। वो यादों के भंवर में उतरती चली गई। जैसे कल की ही बात हो, तीन साल पहले वो लोग अपने बेटे के लिए राहुल के लिए लड़की देख रहे थे। बहुत सारी लड़कियाँ देखी पर उन्हें कोई अच्छी नहीं लगेगी। अगर कोई पसंद आती भी तो राहुल कोई ना कोई कमी बता देता। इसी बीच वो लोग एक रिश्तेदारों के यहां शादी में गए। सब नाच-गा रहे थे. सबके बीच राहुल की नजर सेजल पर पड़ी.लंबी, गोरा रंग, कजरारी आंखें, कमर तक लंबे खुले बाल, आंखों में काजल और माथे पर छोटी सी बिंदी.हंसती तो दांत मोतियों की माला से लगते। हल्के नीले रंग के

सूट में बहुत प्यारी लग रही थी.उसकी मुस्कुराहट का तो राहुल दीवाना हो गया बस एकटक उसको ही देखे जा रहा था, तभी मां ने हल्के से कंधे पर हाथ रखा और कहा पसंद है तो अपनी बहू बना लें? राहुल ने मुस्कुराकर अपनी सहमति दे दी।

उमा जी पता करवाएं सेजल उनके रिश्तेदार की मौसी की भांजी थी। उमा जी उनका नंबर लेकर घर आ गयीं। अगले दिन सुबह सारा काम ख़त्म कर उमा जी ने सेजल की मौसी को फोन लगाया। अपना परिचय दिया और अपने बेटे के लिए उसका हाथ मांग लिया। मौसी जी ने थोड़ा वक्त मांगा। दो दिन के बाद उन्हें उमा जी ने फोन किया और कहा उन्हें ये रिश्ता मंजूर है, वह बस लड़का और लड़की आपस में मिल कर बात कर लें। जी बहुत बढ़िया उमा जी चहकती हुई बोलीं।शाम को भागीरथ जी और राहुल दुकान से घर आए तो उमा जी ने सारी बात बता दी। भगीरथ जी खुश हुए और राहुल, वो तो खुशी से झूम उठे और अपनी माँ को कमर से उठा लिया। उमा जी ने प्यार से डांटा तो छोड़ दिया।

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मिलने का समय रविवार को तय हुआ था। जो राहुल आठ बजे से पहले नहीं उठा था, 6 बजे ही नाहा -धोकर बैठ गया। माँ-माँ कहाँ हो जल्दी आओ ना राहुल ने उमा जी को आवाज़ दी। माँ कमरे में गई तो देखा राहुल ने सारी अलमारी इधर-उधर कर दी है। सारे कपड़े बिस्तर पर बिखरे पड़े हैं। मां कौन शर्ट पहनूं समझ नहीं आ रहा? कोई भी पहन ले सबमें तू अच्छा ही दिखेगा। फिर भी बताओ ना राहुल बच्चों सी जिद्द करने लगा।उमा जी ने नीले रंग की शर्ट दे दी और राहुल जल्दी से तैयार हो गए। निर्धारित समय सभी सेजल की मौसी के घर में आ गए।

सेजल की मौसी ने पहले सबको बिठाया और चाय-नाश्ता दिया। फिर उन्हें सेजल के बारे में बताना शुरू किया, सेजल तब 10 साल की थी जब उसके मम्मी-पापा का देहांत एक कार एक्सीडेंट में हो गया था|तभी से वो मौसी के साथ ही रहती थी। तभी मौसी ने सेजल को आवाज लगाई। सेजल जैसे ही बाहर आई, राहुल तो देखते ही रह गया, गुलाबी रंग का सूट, सलीके से बने बाल, आंखों में हल्का सा काजल और हाथों में मैच करती चूड़ियां। बहुत प्यारी लग रही थी।

उमा जी ने सेजल को अपने पास बिठाया और बातों की। भागीरथ जी ने भी एक – दो सवाल पूछे। थोड़ी देर बाद राहुल और सेजल को बात करने के लिए अलग कमरे में भेज दिया। 10 मिनट बाद राहुल बाहर आ गया तो मौसी ने पूछ लिया क्यों बेटा सेजल पसंद है ना? जी शरमाते हुए राहुल ने कहा. मौसी ने भीतर जाकर सेजल की दिल की बात पूछी उसने भी हामी भर दी। बस फिर क्या था चट मंगनी पट ब्याह।

तीन महीने के अंदर ही सेजल इनके परिवार में बहू बनकर आ गई। राहुल को अपनी चाहत और सेजल को सपनों का राजकुमार मिल गया था। सब कुछ ठीक चल रहा था। कुछ महीनों बाद सेजल ने मां बनने की खुशखबरी दी। उमा जी उसकी बालाएं लेती न थकती और हिदायतें भी देती रहतीं। पापा और राहुल की दुकान पर जाते और सास बहू सारा दिन कभी पकवान बनाती, कभी शॉपिंग करती। हर तरफ़ ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ थीं। पर कहते हैं ना कभी- कभी खुशियों को किसी की नजर लग जाती है। ऐसा ही कुछ सेजल के साथ भी हुआ।

शाम के 8 बजे गए थे पर राहुल और पापा घर नहीं आए थे। वैसे तो हर रोज 6:30 या 7:00 बजे तक आ जाते थे। सेजल का मन बेचैन हो रहा था। घर से दुकान का रास्ता आधे घंटे का, फिर उनको देर क्यों हो रही है? ऐसा क्या हो गया जो देर हो गई? उमा जी ने कहा बेटा परेशान न हो कभी-कभी देर हो जाया करती है।तभी सेजल का फोन रिंग किया। फोन राहुल का ही था, फोन उठाते ही सेजल बेचैनी से पूछ बैठी: कहां हैं आप? और कितनी देर में आएंगे? इसे पहले कुछ और पूछती दूसरी तरफ से आवाज आई हैलो मैडम,..:: आवाज सुनते ही सेजल ने पहले नंबर देखा,

राहुल का ही फोन था पर बात कोई और कर रहा था। आप कौन बोल रहे हैं? ये मेरे पति का फोन है, आपका पास कैसे आया? उसका मन ढेर सारी चिंता से भर गया। तभी दूसरी तरफ से आवाज आई: मैडम यहां एक्सीडेंट हुआ है। यहां दो लोग हैं, दोनों को सिविल अस्पताल लेकर जा रहा हूं, आप वहीं आ जाइये।सेजल के हाथ से रिसीवर छूट गया और उसका चेहरा सफेद हो गया। किसका फोन हे बहू, वो लोग आ रहे हैं ना? सेजल की आंखों में आंसू देख कर उमा जी भी परेशान हो गईं। बता ना क्या बात है वह?उमा जी ने लगभग चिल्लाते हुए पूछा। मांजी उनका एक्सीडेंट हो गया हे सेजल पथराई सी आवाज में बोली। एस्पटा-अस्पताल जाना हे, जल्दी चलो। इतना कहकर फाफक कर रो पड़ी.दोनो जल्दी से हॉस्पिटल पहुंची।वहां पहुंचें तो देखा पापा जी ऑपरेशन थिएटर के बाहर बैठे थे।

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उमा जी ने पूछा ये सब कैसे हुआ? भागीरथ जी ने बताया कि एक ट्रक से हमारी मोटरसाइकिल की टक्कर हो गई। वो पीछे थे तो उन्हें हल्की चोटें आई पर राहुल का बुरा हाल है। इतना कहकर भगीरथ जी फूट-फूट कर रोने लगे.उसके सर पर बहुत चोट आई हे। इतने में ओटी का दरवाजा खुला और डॉक्टर बाहर आये। सबने एक साथ पूछा राहुल कैसा है? आई एम सॉरी हम राहुल को नहीं बचा पाए। आंतरिक रक्तस्राव बहुत ज़्यादा हो गया था। इतना कहकर डॉक्टर वहां से चले गए। डॉक्टर की बात सुनते ही सेजल गश खाकर गिर पड़ी। उमा जी और भगीरथ जी ने बड़ी मुश्किल से घर पहुंचाया।

एक झटके में उसकी सारी दुनिया ही उजड़ गई थी। हर वक्त दुखी और तनावग्रस्त रहने की वजह से उसने अपना बच्चा भी खो दिया। हमेशा चहकने वाली गुड़िया एकदम शांत हो गई थी। तभी ट्रिंग-ट्रिंग अलार्म की आवाज सुन उमा जी घबराकर उठ बैठीं। उठ कर उन्हें आंसुओं से भीगा हुआ चेहरा साफ किया और लिविंग रूम में आकर बैठ गई। तभी सेजल वहां चाय लेकर आ गई। मम्मी को ऐसी सोच में डूबा देख पूछ बैठी मांजी आपकी तबीयत तो ठीक है ना? बस थोड़ा सिरदर्द है और कुछ नहीं उमा जी ने अपने जज्बातों को छुपाते हुए कहा।थोड़ी देर बाद जब उमा जी नहा-धोकर किचन में आईं, तो देखा सेजल अखबार पर आए छोटे बच्चों के फोटो देख रही थीं। आहट पाकर उसने अखबार रख दिया और नाश्ते की तैयारी शुरू कर दी।

उमा जी अख़बार देखने लगीं, तभी उनकी आँखों में एक चमक सी आ गयी। वो अखबार लेकर सीधा भागीरथ जी के पास गई और इश्तिहार दिखाया। वो इस्तिहार शादी से संबंधित था। लड़का सरकारी पोस्ट पर था और पत्नी का देहांत हो चुका था। बस एक बेटा था 2 साल का.भागीरथ जी ने सवालिया नजरों से उमा जी की तरफ देखा, तो उमा जी ने कहा अभी इसकी उम्र क्या है? कल को हम नहीं रहेंगे तो इसके साथ कौन होगा? हमें ही इसके बारे में सोचना होगा। भगीरथ जी ने उमा जी बात सुनकर हामी भर दी। तभी सेजल वहां दोनों का नाश्ता लेकर आ गई।

उमा जी ने हाथ पकड़ कर सेजल को अपना पास बिठाया। आवाज को संयत कर बोली: बेटा एक रिश्ता आया है अखबार में।सोच रही हूं तुम्हारी बात कर लूं। पर सेजल ने साफ मना कर दिया और कहा मुझे बस आपकी सेवा करनी है। तब भगीरथ जी उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा: बेटा हमारा क्या पता कब यहां से चले जाएं फिर तुम्हारा क्या होगा? रही केयर की बात तो तुम शादी के बाद भी कर सकती हो। उमा जी ने कहा: बेटा हमने तुम्हें अपनी बेटी माना है। तुम्हारी कन्यादान करें यही इच्छा है हमारी। क्या तुम ये हक़ हमें दोगी? इतना सुनते ही सेजल फफक कर रो पड़ी। उसको रोता देख भागीरथ और उमा जी की आंखों में भी आंसू आ गए।

उमा जी अखबार से नंबर लेकर लड़के से बात की। फोन पर ही एक दूसरे से बात करके शादी के लिए राजी हो गए।

दो महीने बाद आज सेजल की शादी हो रही है। बिदाई से पहले भागीरथ जी और उमा जी सेजल के कमरे में आये। वो राहुल की फोटो के सामने खड़ी थी। उमा जी ने प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखा तो सेजल मां के गले लग गई। मेरा बिल्कुल मन नहीं हे माँ जाने का। मुझे यहीं रहने दीजिए.राहुल के पास, आपके पास। उमा जी ने कहा बेटा राहुल यहीं है और देखकर खुश हो रहा होगा कि तुम जिंदगी की नई शुरुआत करने जा रही हो। और वैसे भी हम कौन सा दूर हैं जब मन करे तब मिलने आ जाना।इतना कहते हुए उमा जी सेजल के हाथों में एक उपहार रख दिया।

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ये क्या है माँ? सेजल ने पूछा. उमा जी ने कहा: खोल कर तो देख पसंद आया की नहीं? सेजल ने बॉक्स खोल कर देखा तो उसमें वही चूड़ियां थीं जो उसने बाजार में देखी थीं। सेजल विस्मित होकर माँ की तरफ देखने लगी। उमा जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं उस दिन ले आई थी और सोच लिया था इन्हें तेरे हाथों में सजाकर ही दम लुंगी। इतना सुनते ही सेजल मां के गले लग गई और कहा मेरे मां-बाप तो बचपन में ही छोड़ कर चले गए पर अगर होते भी तो आपसे ज्यादा प्यार ना दे पाते। भगवान करे अगले जन्म में आप ही मेरे माता-पिता बनें। तभी भगीरथ जी ने कहा अब ऐसा बोलकर हमें पराया मत कर। हम अभी भी तेरे माँ-बाप ही हैं।

सेजल की बिदाई हो गयी।  हमारे समाज में अगर पुरुष की पत्नी मरती है  तो  सब कहते हैं जिंदगी कैसे बीतेगी , बच्चे कैसे पलेंगे ? और फिर एक-आध साल के अंदर ही उसकी दूसरी शादी  कर दी जाती है।  पर वहीं दूसरी तरफ़ अगर महिला विधवा होती है तो समाज के सारे कायदे-कानून उसे सिखा दिए जाते हैं।  तुम्हें ज़्यादा हँसना नहीं है , किसी दूसरे पुरुष से ज़्यादा बात नहीं करनी है ,कपड़े  ऐसे नहीं पहनने , ये नहीं करना, वो नहीं करना।  तमाम बंदिशें लगा दी जाती हैं।  पर कोई उस लड़की की भावनाओँ  को नहीं समझता। 

 इस परिवार की तरह अगर सब बहुओं को अपनी बेटियां समझें , उनके दिल में क्या है समझें तो बहुत हद्द तक जीवन जीना आसान हो जाता है। अगर वो शादी करना चाहे तो भी उसे सपोर्ट करें और ना करना चाहे तब  भी। अपनी बेटी समझकर  जो बन पड़े वो करें और उसकी जिंदगी को संवारने की कोशिश करें.

ये मेरी पहली कहानी है , कृपया कमेंट करके  बताएं कि कहानी कैसी लगी।

आपके सुझावों को अम्ल में लाने की कोशिश करूंगी।

धन्यबाद।

लेखिका : समिता बड़ियाल

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