Moral Stories in Hindi : रिया के ऑफिस जॉइन करते ही तहलका मच गया। पुरुष तो पुरुष स्त्री वर्ग की आँखें भी उसकी दूधिया चाँदनी से चौधिया गई थी। उसके ऑफिस पहुँचने से पहले उसका विधवा होने का अभिशाप, साथ ही अकेले मकान लेकर रहने की चर्चा ऑफिस पहुँच चुका था। शिफाॅन साड़ी और हल्के से मेकअप में भी रिया चौदहवी का चाँद लगती थी।
उस पर रिया का सबके साथ मिलनसार प्रसन्नचित्त व्यवहार सोने पर सुहागा था। लेकिन उसकी भी उसने एक सीमा रेखा तय कर रखी थी। इससे ऑफिस के पुरुष समुदाय के कुछ पुरुष और स्त्री समुदाय की कुछ स्त्री ने रिया को दंभी घोषित कर रखा था। भले ही काम पड़ने पर सहायता के लिए बोलने में किसी को कोई हिचक नहीं होता था। कहते हैं ना कुछ तो लोग कहेंगे… तो लोगों का उसका हल्का सा किया गया मेकअप और रंगीन वस्त्र फुसफुसाहट का सबब बना हुआ था।
अब किसे रिझाने के लिए इतना ताम झाम करती है.. कुछ जागरूक लोग फुसफुसाहट की आड़ में रिया को सुनाने से भी बाज नहीं आते थे। इन सब से अलग वहाँ सिर्फ रोहित और रागिनी ही थे, जिन्हें रिया के किये ताम झाम से कोई दिक्कत नहीं होती थी। रोहित और रागिनी एक साथ काम करते करते प्यार के बंधन विवाह में बंध चुके थे और दोनों को ऑफिस के लोगों का रिया के साथ ऐसा व्यवहार करना रास नहीं आता था। समय चाहे जैसा हो.. अपनी धुन में बढ़ता ही जाता है.. देखते देखते लोगों की बेबजह की बातों के साथ छः महीने गुजर गया।
भाई जब कोई है ही नहीं तो किसके लिए लिपस्टिक लगाना। दुनिया चरित्रहीन ही समझती है ऐसी औरतों को … लंच करते हुए मिसेज शुक्ला ने बातों ही बातों में एक दिन रिया को इंगित करते हुए कहा। रोहित और रागिनी के अलावा वहाँ उपस्थित सारे सदस्यों ने मिसेज शुक्ला की हाँ में हाँ मिलाते हुए सिर हिलाया।
ये क्या कह रही हैं मिसेज शुक्ला… क्या अपनी इच्छा कोई मायने नहीं रखती। हम सब जानते हैं कि किसी का जाना दुखदायी होता है.. लेकिन क्या कोई जीवन जीने के लिए खुश भी नहीं रह सकता.. जीवन जीने के लिए अवसाद से निकल आगे नहीं बढ़ सकता है। क्या दुख मिलने पर फिर से सुखी होने की कोशिश करना कोई अपराध है…रागिनी उत्तेजित हो गई थी।
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अरे जीवन का कोई आधार ही नहीं रहा तो कैसे खुश रह सकता है कोई.. जाने वाला का अपमान हुआ ये.. मि. सक्सेना ने हुँकार भड़ा।
जो जिंदा है.. उसका अपने जीवन के लिए क्या कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है। आप जैसे लोग ही समाज को गर्त में धकेल देते हैं और मि. सक्सेना आप ये कह रहे हैं.. अभी तो तीन महीने भी नहीं हुए होंगे ना मिसेज सक्सेना के स्वर्गवासी हुए लेकिन आप तो बालों को कलर कराए.. हँसते खिलखिलाते तरह तरह के मज़ाक करते देखे जा सकते हैं। एक तरह से दुःख की पूरी परिभाषा ही आपने बदल ली है, तब अपमान नहीं होता है आपकी पत्नी का। रिया के तो तीन साल हो गये.. कब तक समाज को खुश करने के लिए रोती ही रहेगी..उस आधार के नहीं रहने पर रोटी का उपाय भी खुद करना पड़ता है। आप या आपका समाज उपाय नहीं कर देता है मि.सक्सेना और मिसेज शुक्ला आपने कभी मि सक्सेना को तो चरित्र प्रमाणपत्र नहीं पकड़ाया.. औरत होकर औरत का कष्ट समझ नहीं सकी…कहती कहती रागिनी हाँफने लगी थी। उसे ये भी होश नहीं था कि कब वहाँ से उठकर रिया वाशरूम की ओर जा चुकी थी। इन बातों के बीच जब रोहित ने रागिनी को शांत करने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखा.. तब रागिनी का ध्यान रिया पर गया।
रिया कहाँ है रोहित.. हड़बड़ाई सी रागिनी ने पूछा।
वाशरूम की तरफ गई है.. रोहित ने कहा।
रागिनी रिया के पास जाती है तो रिया को वाश बेसिन के पास निःशब्द खड़ी आँसुओं से तर देखती है।
मेरी क्या गलती है रागिनी इसमें… रागिनी को देख उसके गले लग रिया फफक पड़ी।
आज रिया की मनोस्थिति देखते हुए रागिनी और रोहित उसे अपने घर ही ले आते हैं।
रागिनी और रोहित रिया को सामान्य करने की हर सम्भव कोशिश करते हैं। रागिनी रिया के पसंद का ही डिनर बनाती है.. रागिनी का मन रखने के लिए रिया थोड़ा बहुत खाकर दोनों से माफ़ी माँग कमरे में आ जाती है।
अचानक कितनी तेज बारिश शुरू हो गई.. चलो अच्छा है गर्मी से कुछ तो राहत मिलेगी.. कहती हुई रागिनी रिया के पास आती है।
साहिल को बारिश बहुत पसंद थी रागिनी.. ऐसी बारिश और साहिल चाय पकौड़े ना बनाए.. ऐसा कभी नहीं होता था या गाड़ी लेकर लॉन्ग ड्राइव पर निकल जाना हम दोनों का पसंदीदा शगल था… रिया रागिनी से अपना अतीत बाँट रही होती है।
ईश्वर की इच्छा के आगे हमारा बस कहाँ चलता है रिया.. रागिनी बेबस नजर से रिया को देख कर कहती है।
यूँही इधर उधर की बातों में रात गहराने लगी थी और दिनभर की थकी रागिनी सो चुकी थी। रिया की आँखों में एक सन्नाटे ने कुछ इस कदर जगह बना लिया कि नींद के लिए वहाँ कोई जगह नहीं बची थी। धीमे से उठकर रिया छत पर जाकर बारिश देखने लगती है.. धीरे धीरे बारिश की बूँदें उसे भिगोने लगती है।
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रागिनी जिसका ध्यान रिया पर ही लगा हुआ था.. उसकी नींद उचट जाती है। बगल में रागिनी को ना देख कमरे से बाहर आती है तो सीढ़ियों में जलती लाईट देख उधर ही बढ़ गई। रिया को बारिश के पानी के बीच खड़ी देख रागिनी छाता ले आती है और रिया के साथ उस छाता के अंदर खड़ी हो जाती है।
तबियत खराब हो जाएगी रिया ऐसे – रागिनी चिंतित होकर रिया से कहती है।
देखो इन बारिश की बूँदों को रागिनी.. जब आसमान से आ रही होती है तो कितनी दिलकश लगती हैं और धरती से मिलते ही बिखर जाती हैं.. मेरी जिन्दगी भी इसी तरह बिखर गई रागिनी.. रिया आँखों से बहते नीर के साथ रूंधी आवाज में कहती है।
अपने आपको सम्भालो रिया – रागिनी रिया को सांत्वना देती हुई कहती है।
मैं सोच रही हूँ ये नौकरी छोड़ दूँ रागिनी.. मेरे कारण लोगों की तकलीफें बढ़ जाती हैं.. रिया कहती है।
नहीं रिया.. जहाँ भी जाओगी.. इसी समाज से दो चार होना पड़ेगा। इनके पूर्वाग्रह को अपना दुराग्रह मत बनने दो रिया.. कभी ना कभी किसी को तो समाज का पूर्वाग्रह तोड़ना होगा तो जब तुमने कदम बढ़ा ही दिया है तो कदम पीछे मत लो। क्या पता तुम्हें देख और औरतों में भी अपने जीवन को जीने की ललक जन्म ले और समाज के पूर्वाग्रह को अपनी नियति मान आँसू बहाने के बजाय जीवन में आगे बढ़े। अपने लिए सुख तलाशें,इसीलिये मेरी लाडो नौकरी छोड़ने का निर्णय बहुत सोच समझ कर लेना। मैं और रोहित तुम्हारे हर निर्णय में तुम्हारे साथ हैं.. रागिनी रिया का सिर सहलाते हुए कहती है।
चलो नीचे अब.. बारिश रुकने वाली नहीं है अभी.. रागिनी मुस्कुराते हुए कहती है।
तुम चलो रागिनी.. मैं थोड़ी देर बाद आती हूँ.. रिया कहती है।
ठीक है तो ये लो छाता.. छाता के साथ ही रहोगी और जल्दी आना समझी.. रागिनी कहकर छाता रिया को पकड़ाती है।
उठो रिया चाय पियो.. कल कब आई तुम.. मुझे पता भी नहीं चला.. रागिनी चाय की ट्रे लिए रिया को जगाती है।
रिया मुस्कुरा देती है।
तुम चाय पियो.. तब तक मैं नाश्ता और लंच बना लेती हूँ और ऑफिस के लिए तैयार होती हूँ। रोहित को आज मीटिंग के लिए शहर से बाहर जाना था तो वो निकल गया और सुनो रिया.. तुम्हारे लिए लंच बनाकर रख दूँगी.. बस गर्म कर लेना.. शाम में ज्यों का त्यों रखा हुआ नहीं मिलना चाहिए.. नहीं तो.. रिया के कान पकड़ती हुई रागिनी मधुर मुस्कान के साथ कहती है।
अरे हाँ मेरी दादी माँ.. जैसा आप कहे… रागिनी के बोलने के अंदाज को देख रिया हँसती हुई कहती है।
हँसती हुई तुम कितनी प्यारी लगती हो रिया.. दादी माँ की तरह उसकी बलैंया लेती रागिनी कहती है।
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किस जन्म का साथ है रागिनी तुमसे.. जहाँ अपनों ने मुझे घर से निकाल दिया.. वही तुम इतने कम दिन में भी मेरे लिए कितना सोचती हो.. रिया भावुक होकर रागिनी का हाथ अपने हाथ में लेकर कहती है।
हम यहाँ से प्यार करते हैं तुम्हें जानेमन.. रागिनी इतराती हुई अपने दिल पर हाथ रखती हुई कहती है।
तुम चाय पियो.. मैं तैयार होती हूँ.. रागिनी कहती हुई कमरे से बाहर आ जाती है।
थोड़ी देर के बाद रिया कमरे से बाहर आती है तो रागिनी अपना लंच पैक कर रही होती है।
रागिनी मेरा लंच भी पैक कर लेना.. रिया कहती है।
रिया.. तुम.. मतलब.. ऑफिस…कैसे… रागिनी भावना के अतिरेक में कुछ बोल नहीं पा रही थी।
बारिश की बूँदों के साथ मैंने समाज के पूर्वाग्रह बहा दिए हैं रागिनी। कल रात बारिश की बूँदों ने मुझसे कहा कि वो धरा पर आकर बिखरती नहीं है…जब आसमान उन्हें बेघर कर देता है तो यही धरा उन्हें पनाह देती है.. वो धरा के प्यार को समझ उसके अंक में समा जाती है। बिखरने के दुख को भूल धरा के अंक में सुख खोज लेती हैं। मुझे उन बहती बूंदों ने अहसास करा दिया कि सुख दुःख तो आनी जानी है। अब बताओ मैं उन लोगों के लिए क्यूँ बिखर जाऊँ.. जो मुझे दुखी देखकर खुश होते हैं। जो मुझे जीने नहीं देना चाहते हैं। तो जो मुझसे यहाँ से प्यार करते हैं.. उनके लिए क्यूँ ना मैं खुश रहूँ.. उनके अंक में बारिश की बूँदों की तरह क्यूँ ना समा कर सुख बटोर लूॅं…कहती हुई रिया रागिनी के गले लग गई।
आरती झा आद्या
दिल्ली