सयानी जीजी – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

वो मेरे पास आकर बैठी रहती थी।मै घङी की सुइयो की ओर देखकर सोचने लगी।हम दोनों के फ्लैट आमने सामने थे ऐसे मे हम सुख-दुःख के साथी भी बन गये थे।मैं उम्र में उससे बङी जरूर थी पर हमारे बीच दोस्ती हमउम्र सखियों जैसी थी। हम हर विषय पर खुल कर बात करते ,अपने पति, बच्चों की परेशानी सब बताते ।

तभी अचानक से दरवाज़े की घंटी बजी।दरवाज़ा खोली तो सामने राधिका खङी थी।” आज ज्यादा काम था क्या?”- मैने उसको अंदर आने का इशारा किया और पूछी।

“अरे वो जीजी ( जेठानी)का फोन आ गया था,पूरे दो घंटे बात करी,मुझे अपने घर बुला रही , और यहाँ बच्चो की परीक्षा, क्या करू समझ नहीं आ रहा?”-परेशान से लहजे में राधिका ने कहा ।मुझे समझ नही आया अचानक से ऐसा क्या हो गया जो बुलाया जा रहा। कौतूहल मन स्वभावत पूछ ही बैठा- ” अचानक क्यो जाना”?

कुछ परेशान सी राधिका ने कहना शुरू किया-“ ये मेरी जीजी से तो कुछ भी नहीं होता, कोई भी काम हो मुझसे ही बोलती।शादी के बाद सेआज तक मुझे ही बोलती-“ छुटकी ये काम तू कर ,तू अच्छे से करती।”तब से उनके कामों में मदद करती आयी हूँ, अब बेटी को देखने लड़के वाले आ रहे है, तो मुझे बुला रही है।अब मेरे बच्चों के क्लास टेस्ट कल से शुरू और कल ही मुझे बुला रही है।वैसे तो बच्चे समझदार है दो दिन की बात है रह लेंगे।

उसको परेशान देखकर मैने कहा-” तुम जाओ वो मेरे पास रह लेंगे”।(कई बार हमने बच्चो की जिम्मेदारी एक-दूसरेको सौंपी है)राधिका थोड़ी आशवसत होकर अपने घर चली गयी। दूसरे दिन वो अपनी जीजी के घर चली गयी।

दो दिन के बाद जब वो आई तो उसका चेहरा उतर हुआ था।मैने पूछा शादी तय हो गई? उसने कहा -” हा,सब अच्छे से हो गया। अच्छा घर- परिवार मिल गया है ।” पर भाभी मुझे एक बात बहुत बुरी लगी।वो क्या- मैने पूछा।

राधिका बोलने लगी-” मै जीजी को बहुत मान देती हूँ , इस बार मै उनके लिये बच्चो को छोड़ कर चली गयी।मैने बहुत मेहनत से सब कुछ उनके लिए किया, क्या नाशते में होगा,क्या खाने मे होगा, जितने लोग आये सब के लिए तोहफों की खरीदारी मैने की।लङके वाले बहुत खुश एक-एक चीज की तारीफ किये,

और जीजी से बोले आपने बहुत अच्छी वयवस्था करी है,फिर ये गुण तो आपकी बेटी में भी होगा? जीजी तपाक से बोली-” जी हाँ,मेरी बेटी को सब आता।ये सब वयवस्था हम माँ- बेटी ने मिलकर किया है । जब लङके वाले चले गए तो मुझसे बोली-,” देख छुटकी शादी विवाह में ये सब बोलना पता,तू बुरा मत मानना जो तेरा नाम नहीं ली।”

राधिका मुझे भराये स्वर में बोली-,” इतना कुछ करने के बाद कोई आपकी तारीफ न करे तो बुरा तो लगता है ना?।मैं हमेशा सोचती सच में जीजी को ज्यादा कुछ न आता होगा, पर इस बार समझ आ गया वो बस मेरे से अपने काम करवाने के लिये बोलती ” मुझे कहा समझ आता ये सब।उनको सब समझ आता,बस मैं ही उनको न समझ सकी,वो तो बङी सयानी जीजी निकली।

अकसर घरों में ऐसा होता है,कुछ लोग इतनी मीठी बातें करते हैं,जिससे सामने वाले प्रभावित हो जाते।राधिका की जीजी भी उनमेंसे एक।अपने काम निकलवाने के लिए राधिका की तारीफ करती रही और जब श्रेय दिया जाना चाहिए तो खुद ले गई ।

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धन्यवाद

— रश्मि प्रकाश 

VM

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