बुढ़िया , तेरी हिम्मत कैसे हुई रोटी पर घी लगाकर खाने की ?? तेरे लिए दो सुखी रोटी जान बूझकर ही रखी हैं मैंने , रोटी के साथ दाल दे रही हुं , यह काफी नहीं हैं क्या तेरे लिए जो अब घी भी लगाकर खाएगी तु रोटी पर ?? बड़ी बहु सुधा अपनी सास अर्चना जी से चिल्लाकर बोली !!
अर्चना जी बोली बहू सुखी रोटी दांतों से चबाई नहीं जाती हैं और आज बहुत दिनों बाद घी देखा तो रहा नहीं गया और खाने की इच्छा जाग गई !!
सुधा जल्दी से अंदर गई और एक खाली पड़ा हुआ ताला चाबी लेकर आ गई !! रसोई को ताला लगाकर बोली लिजिए मांजी अब ना रहेगा बांस , ना बजेगी बांसुरी !! अब ना आपको घी दिखाई देगा और ना उसे खाने का मन करेगा !!
अर्चना जी आंसुओ के घूंट पीकर रह गई !!
उतने में बेटा रमेश ऑफिस से आ गया और अपने कमरे में अपना बैग रखने गया !! पीछे पीछे सुधा भी कमरे में जा पहुंची !!
अब तुम्हारे देवर और देवरानी हमसे बहुत दूर रहने चले गए हैं सुधा , अब तो तुम खुश हो ना , अब तो हम सभी को शांति से रहने दोगी ना !! रमेश गुस्से में अपनी पत्नी सुधा से बोला !!
सुधा बोली बला टली , जहां जाना हैं जाए दोनों , बस इस घर में नहीं दिखने चाहिए दोनों और अकेले ही चले गए दोनों , तुम्हारा छोटा भाई राजू तो बहुत बड़ी बड़ी बातें कर रहा था कि मैं मेरी मां को मेरे साथ लेकर जाऊंगा फिर लेकर क्यूं नहीं गया बुढ़िया को ?? यहां मेरी छाती पर मूंग दलने क्यूं छोड़ गया इस बुढ़िया को ??
रमेश बोला सुधा तुमसे तो मुंह लगना ही बेकार हैं , जब भी बोलती हो बुरा ही बोलती हो !! तुम दोनों बहने जब से इस घर में ब्याहकर आई हो , दोनों ने मिलकर हम सबका जीना हराम कर दिया और आज जब वे लोग यहां से हमेशा हमेशा के लिए चले गए हैं तब भी तुम्हारा रोना बंद नहीं हुआ !!
सुधा चिल्लाकर बोली हां हां तुम्हें तो मैं ही गलत लगती हूं ना हमेशा !! तुम्हारे मां बाप , भाई सब लोग सही हैं बस मैं ही तो गलत हूं इस घर में !!
बेटे बहू के जोर जोर से लड़ने की आवाज अर्चना जी के कानों तक साफ साफ सुनाई पड़ रही थी मगर वे बिचारी कर ही क्या सकती थी ?? वे तो जैसे तैसे दिन गुजार रही थी , उनकी तो रातों की नींद तक उड़ गई थी !!
अर्चना जी सोचते हुए अतीत के गलियारे जा पहुंची !! कितनी खुशी से दोनों बहुएं ब्याहकर लाई थी वह अपने दोनों बेटे रमेश और राजू के लिए !!
पहली बार जब रमेश के लिए सुधा को पसंद करने गई थी तभी छोटे बेटे राजू के लिए उन्होंने मंगला को पसंद कर लिया था और मंगला के घरवाले भी जैसे उसी क्षण की प्रतीक्षा में खड़े थे !!
अर्चना जी ने जैसे ही बड़े बेटे से सुधा का रिश्ता तय किया , छोटे बेटे राजू की शादी की बात भी छेड़ दी , सुधा के घरवाले भी तुरंत बोले हमें भी आपका छोटा बेटा अपनी छोटी बेटी के लिए बहुत पसंद आया हैं इसलिए बिना देर किए यह रिश्ता भी तय कर देते हैं !!
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ससुराल की अहमियत (भाग -2) – स्वाती जैंन : Moral stories in hindi
आपकी सखी
स्वाती जैंन