ससुराल – कामिनी मिश्रा : hindi Stories

hindi Stories : रीवा कौन है ये सब…?

बोलना कौन है..?

साक्षी रीवा से सवाल पूछते हुए ….

रीवा- अरे मुझे क्या पता कौन है…. होगा कोई अनपढ़ गवार कहीं का…

साक्षी – लेकिन रीवा वह तो तुझे तेरा नाम लेकर बुला रहे थे,  क्या तू जानती है ।

रीवा-नहीं मैं नहीं जानती हूं , बस मुझ से टकरा गए अंधे कहीं के..

साक्षी- ऐसा मत बोल कितने बुजुर्ग हैं यह लोग ।

रीवा-साक्षी तुझे इतनी क्यों दया आ रही है , पर क्या तू जानती है ।

साक्षी – नहीं मैं नहीं जानती हूं , वह तो बस तुझ से बातें कर रहे थे । और तुझे किसी दीपू के बारे में बोल रहे थे कि एक बार मिलो ।

रीवा- व्हट इज दिस साक्षी….क्या अब तुम छुपकर बातें भी सुनने लगी हो ।

साक्षी- अरे नहीं रीवा मैं तो बस तेरे पास ही आ रही थी ,चील यार 

चल कुछ खाते हैं ।

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रीवा- नहीं मुझे नहीं खाना है , मूड ऑफ कर दिया इन बुड्ढे बुढ़िया ने ।

रीवा गुस्से में वहां से घर चली जाती हैं ।

रीवा – माँ तुम  मना क्यों नहीं करती हो  मेरे ससुराल वाले को यहां आने के लिए ।

रीवा की माँ -अरे क्या हुआ रीवा इतना गुस्सा क्यों है ।

रीवा-माँ  एक बार गांव जाकर इन लोगों को समझा कर आओ कि मैं बचपन में हुई शादी को नहीं मानती हूं । वह गुड्डे गुड़ियों का खेल मैं स्वीकार नहीं करूंगी , और ना वह मेरे ससुराल वाले हैं । अब मैं पढ़ लिखकर शहर में रहती हूं उनकी हैसियत ही क्या है ।

माँ – बेटा ऐसे नहीं बोलते हैं तेरी दादी ने यह शादी करवाई थी उस वक्त हम लोगों की हैसियत इतनी नहीं थी , दीपू के पिता और तेरे पिता दोस्त थे , तभी दीपू के पिता ने खेती के लिए अपनी जमीन दी थी ।

रीवा – माँ मैं यह सब नहीं जानती हूं , अब तो हमारी हैसियत है,  हम शहर में रहते हैं । और वह लोग अभी भी गांव में रहते हैं ।

 माँ -बेटा वह ससुराल वाले हैं, 

रीवा – ससुराल वाले माय फुट … और वह दीपू मोटा गेंडा बचपन में कितना मोटा था, अभी भी वह ऐसा ही होगा…. हुह 

माँ – रीवा सुन बेटा रीवा…..रीवा……रीवा गेट खोलो।

रीवा-मुझे अकेले छोड़ दो माँ 

अगली सुबह जब रीवा कॉलेज जाती है …

तनु, जय और साक्षी रीवा के दोस्त रीवा को बुलाते

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तनु -अरे रीवा तुझे पता है आज कॉलेज में नया लेक्चरार आया है..

रीवा -अच्छा 

साक्षी -हां यार क्या स्मार्ट है क्या पर्सनैलिटी है क्या दिखता है वाओ 

रीवा -तूने देखा है..?

साक्षी – हां वाइट शर्ट एंड ब्लैक पेंट में क्या हैंडसम लग रहा है ।

रीवा -लगता है फिर तो मिलना ही पड़ेगा ।

जय -रीवा  तू भी किसकी बातों में आ रही है। 

चल लेक्चर शुरू हो गई होगी । संजय भी तेरा वेट कर रहा है ।

रीवा – हा, हा चलो।

अच्छा साक्षी यह तो बता यह नए लेक्चरार का नाम क्या है…?

साक्षी -पता नहीं कोई मिस्टर दीपांशु हैं ।

रीवा-मिस्टर दीपांशु ……… वा…..ओ 

तनु -मिस्टर दीपांशु  नहीं हीरो है हीरो ।

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डेशिंग स्मार्ट हीरो….

साक्षी -रीवा तू क्यों पूछ रही है तेरा बॉयफ्रेंड संजय है ना, तेरा इंतजार कर रहा है ।

रीवा -हां हां जानती पर साक्षी तुम कुछ भी मत  बताना संजय को वो पागल है पागल….

तभी संजय आता है…

संजय- रीवा कहां थी तुम इतनी देर से…

रीवा -वो…… वो संजय बस मैं आ ही रही थी ।

तभी क्लासरूम में मिस्टर दीपांशु  की एंट्री होती है….

सभी स्टूडेंट्स गुड मॉर्निंग  सअअअअर…

रीवा – वा…ओ वाकई में क्या हैंडसम पर्सन है मुझे पहले क्यों नहीं मिला…. उफ्फ

कुछ हफ्ते बाद..

रीवा -हेलो सर क्या मैं आपको मिस्टर दीपांशु बुला सकती हूं….

दीपांशु- हा हा क्यों नही…. बिलकुल बुला सकती हो।

रीवा मन में सोचते हुए वाओ लगता है यह सर भी मेरी खूबसूरती के दीवाने हो गए हैं…

दीपांशु -हेलो …क्या हुआ कहां खोगई…

रीवा हड़बड़ाहट में बोलते हुए  कुछ नहीं सररर् नही-नही दीपांशु , मैं चलती हूं बाय कल मिलते हैं ।

दीपांशु -ओके

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रीवा घर आकर, अपने कमरे में दीपांशु के बारे में सोच ही रही थी कि तभी संजय का फोन आता है ।

रीवा -यह संजय भी पागल है मैं उसका फोन  नहीं उठाऊंगी ।

संजय बार-बार फोन करता रहा , लेकिन रीवा ने फोन नहीं उठाया ।

उधर संजय भी गुस्से में सुबह रीवा की बच्ची को कॉलेज आने दो फिर बताता हूं कि संजय सिंघानिया को अवॉइड करना कितना भारी पड़ेगा ।

 सुबह कॉलेज जाते समय संजय ने रीवा का एक्सीडेंट करवा दिया…..

इधर कॉलेज में एक्सीडेंट की खबर चारो तरफ फैल गई ।

दीपांशु भी  रीवा से मिलने हॉस्पिटल गया, 

रीवा तुम ठीक हो, 

रीवा की मां रोते हुए,  दीपू बेटा यह सब क्या हो गया….?

मैं तो रीवा को सही रास्ते पर लाने के लिए तुम्हें यहां बुलाई थी ।

अम्मा जी ने जो तुम दोनों की शादी बचपन में करवाई उसे एक बार मैं बचा सकूं ।

दीपू-मां आप चिंता ना करें सब ठीक होगा । मैं हूं ना..

रीवा की मां रोते हुए दीपू बेटा रीवा के चेहरे पर चोट आई है, डॉक्टर बता रहे थे कि चेहरा बुरी तरीके से खराब हो गई है । अब रीवा का क्या होगा….

दीपू मां आप मुझे जानती हैं मैं रीवा का पूरा साथ दूंगा ।

तभी रीवा को होश आता है ।

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रीवा की मां तुम ठीक हो बेटा, 

रीवा- हां मां मैं ठीक हूं , अरे दीपांशु आप यहां…. आप यहां कैसे  , आप चले जाइए यहां से , 

दीपांशु-रीवा कूल कूल तुम जल्दी ठीक हो जाओगी ।

रीवा – मेरा चेहरा इस पर पट्टी बंधी है मैं कैसे ठीक हो सकती हूं, मेरा चेहरा मेरा चेहरा

दीपांशु तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा ।

कुछ महीनों बाद रीवा घर वापस आ गई ।

मां मुझसे अब शादी कौन करेगा , मेरे चेहरे पर लगे हुए दाग के साथ मुझे कौन अपनाएगा मुझे मर जाने देती…

रीवा की मां ऐसा मत बोल रीवा , दिल छोटा मत कर ।

 तभी दीपांशु आता है वहां पर,

रीवा मैं तुम्हें अपना बनाऊंगा , 

रीवा- दीपांशु मैं इस चेहरे के दाग के साथ , तुम्हारे साथ कैसे रहूंगी । तुम्हें मुझ पर दया दिखाने की जरूरत नहीं है । तुम इतने स्मार्ट हो मुझ जैसे दाग के साथ कैसे रहोगे।

दीपांशु -रीवा मैं तुमसे शादी करूंगा , और तुम्हें खुश रखने की पूरा कोशिश करूंगा ।

 

रीवा- दीपांशु मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूं वो…..वो , वो बात ऐसी है कि मैं… मैं …मैं कैसे बताऊं मेरी दादी ने मेरी शादी बचपन में किसी और से करवा दी थी क्या तुम अब भी मुझे अपनाओगे ।

दीपांशु मुस्कुराते हुए…

रीवा क्या तुम मुझसे शादी करना चाहती हो।

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रीवा – दीपांशु मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती , मैं दीपू से माफी मांगना चाहती हूं ।

दीपांशु – तो मांग लो माफी देरी किस बात की है ।

तभी वहां दीपांशु के माता पिता भी आ जाते हैं ।

रीवा – अंकल आंटी मुझे माफ कर दो, उस दिन कॉलेज में जो भी हुआ उसके लिए मुझे जो सजा देंगे वह मैं स्वीकार करूंगी , दीपू कहां है मुझे दीपू से माफी मांगनी है ।

दीपू की मां – अंकल आंटी नहीं बेटा मां और पिता हैं।

रीवा – मां दीपू कहां है दीपू क्यों नहीं आया….

दीपांशु उर्फ दीपू मुस्कुराते हुए जोर से हंसने लगा ।

रीवा -सर आप हंस क्यों रहे हैं…? मैं अपने पति दीपू जिससे बचपन में शादी हुई थी उसके बारे में बात कर रही हूं ।

दीपांशु -तो करो ना रीवा बात । जिसे तुम ढूंढ रही हो वह तुम्हारे आंखों के सामने है । 

रीवा -दीपू , दीपू कहां हो तुम……..

रीवा की मां- अरे पगली यह दीपांशु ही तेरा दीपू है ।

रीवा -क्या …… क्या 

दीपांशु – हां रीवा मैं ही दीपू हूं ।

रीवा रोने लगती है ….. मुझे माफ कर दो दीपू । आईम सो सॉरी … 

मां पापा आप भी मुझे माफ कर दीजिए ।

दीपांशु के पापा कोई बात नहीं बेटा अब हम सब साथ में अपने घर चलेंगे ।

दीपांशु की मां- नहीं नहीं मैं दुबारा इन दोनों की शादी करवाऊंगी फिर अपने घर ले जाऊंगी ।

रीवा की मां- देर आए दुरुस्त आए , आखिरकार रीवा को सही गलत का समझ आ ही गई, और समधन जी आप ठीक कह रही हैं मेरे भी कुछ अरमान है , मैं बेटी को खुशी खुशी डोली में ससुराल विदा करूंगी ।

रीवा शर्माते हुए वहा से अपने कमरे में चली जाती है ।

कामिनी मिश्रा कनक

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