नीता के पिता और समर पिता दोनों दोस्त थे| समर के पिता बैंक में ऑफिसर थे, समर चार भाई-बहनों में छोटा था |
नीता के पिता गांव में किसान थे| नीता के पिता और समर के पिता एक ही विद्यालय में पढे थे, निता के पिता के पिता को चुकी जमीन जायदाद बहुत थी, तो वे अपने पिता के साथ गांव में ही रह गए | और समर के पिता को बैंक में नौकरी मिल गई तो वह गांव छोड़ कर शहर चले गए |
एक दिन अचानक जब नेता के पिता निता को बैक लेकर किसी काम से गए थे तब समर के पिता उन्हें वहां मिल जाते हैं | समर के पिता को निता को बहुत पसंद आती है| निता भी एक मैनेजमैन्ट की पढाई करके एक कंपनी मे कायर्रत थी | समर के पिता निता को अपनी बहू बनाने की ठान लेते हैं |
एक अच्छे से मुहूर्त में निता और समर की शादी बड़े धूमधाम से बिना दहेज के हो जाती है |हालांकि निता अपने तीन भाई-बहनों में छोटी थी , और पढaाई की वजह से बाहर लही तो उसे रसोई का पूरा काम नहीं आता था |
जब ससुराल में खाना बनाने की बारी आई तो वह बहुत घबरा जाते हुए रसोई में गई, वहां पहुंचकर देखती है कि उसके सास पहले से ही रसोई में है |अब बहुत परेशान हो गई,तो उसकी सास ने रसोई में उसका हंस के स्वागत किया और कहा बेटी घबराओ नहीं आज तुम्हारा पहला दिन है, तो मैं आज तुम्हें खीर बनाना सिखा देती हूं |फर वे खीर बनाती है और निता से कहती है कि वह किसी से नहीं कहेगी की खीर मैंने बनाई है |
जब सभी लोग खाना खाते हैं, तो निता उन्हें खीर भी परोसती है | सभी लोग बहुत तारीफ से खीर खाते हैं| यह सुन निता बहुत खुश होती है,और एक कृतज्ञता भरी नजरों से अपनी सास को देखती है |
सासू उसे चुप रहने को का इशारा देती है |नीता की आंखों से खुशी के आंसू बहने लगते हैं |नीता की नजरों में उसकी सास का स्थान सबसे ऊंचा हो गया|
इसलिए कहते हैं कि जमाना बदल रहा है और सास की सोच भी बहू के लिए बदल रही है |
मीनाक्षी राय की कलम से