” कहां रहती है रंजना आजकल!! कभी मिलती ही नहीं हो । ,, रंजना की सहेली मंजू ने सब्जियां लेते हुए रंजना से पूछा ।
रंजना भी जैसे उसके पूछने का हीं इंतजार कर रही थी ,
” पूछ मत मंजू , सारा दिन इस घर में काम करने में ही निकल जाता है। ऊपर से मेरी सास सारा दिन अपनी बिमारी का रोना रोती रहती है । कभी यहां दर्द हो रहा है तो कभी वहां । मैं तो परेशान हो गई इनकी सेवा करते करते । ,,
” लेकिन रंजना, उनको तो सच में जोड़ों के दर्द की परेशानी है ना ?? ,, मंजू बोली।
” पता नहीं मंजू , चलो दर्द है मानती हूं …. लेकिन कम से कम अपने काम तो कर हीं सकती हैं ना…. । आखिर मैं भी बहू हूं कोई कामवाली थोड़े ही हूं जो सारा दिन चाकरी में लगी रहूंगी। ,,
ऊपर से मेरे पति हर महीने कहेंगे की माँ को डाक्टर के दिखा लाओ …. अब तुझे तो पता हीं है कि डाक्टर के पास जाओ तो दस तरह के टेस्ट बता देते हैं…. पांच सात हजार तो बिना बोले ही खर्च हो जाते हैं….. पहले ही क्या खर्चे कम हैं जो ऊपर से ये फिजूल का खर्च और उठाओ । अब तो जब भी वो कोई काम बोलती हैं तो मैं अक्सर कोई ना कोई बहाना बना देती हूँ ।,, रंजना अपनी चालाकी पर खुश होते हुए बोली।
” अच्छा रंजना, अब तुम्हारी मम्मी की तबियत कैसी है? पिछले हफ्ते तुम बता रही थी ना कि अचानक से उन्हें सीने में दर्द उठ गया था!! ,, मंजू बात बदलते हुए बोली।
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” क्या बताऊँ मंजू , मेरी मम्मी तो बेचारी बहुत मुश्किल से ठीक हुई हैं….. लेकिन अब उनसे पहले की तरह काम नहीं होता…. अब तो बस मेरे भाई की शादी हो जाए और एक घर बसाने वाली भाभी आ जाए तो मेरी चिंता भी कम हो जाए… तेरी नजर में कोई अच्छी लड़की हो तो जरूर बताना बहन।,, रंजना ने चिंता जताते हुए कहा।
” हाँ हाँ, रंजना क्यों नही….. ,, मंजू मुस्कुराते हुए बोली।
मंजू रंजना के परिवार को अच्छे से जानती थी…. उसकी सास बहुत हीं सरल स्वभाव की थीं… दर्द की शिकायत तो उन्हें रंजना की शादी से पहले से हीं थी…. फिर भी रंजना हमेशा सास की तकलीफ को उनका बहाना हीं समझती थी।
कुछ दिनों बाद फिर मंजू का सामना रंजना से हो गया.. आज वो बहुत खुश लग रही थी । रंजना से नजरें मिलते हीं मंजू पूछ बैठी, ” क्या बात है रंजना, आज तो बहुत खुश लग रही हो!!! ,
” हाँ मंजू, सच में खुशी की हीं बात है….. मेरे भाई का रिश्ता तय हो गया है… अगले महीने हीं शादी है… अब तो मायके और मां की तरफ से मैं निश्चिन्त हो जाऊंगी… अब जाकर मम्मी को कुछ आराम मिलेगा। ,, खुश होते हुए रंजना बोली।
वो तो है रंजना, लेकिन अपनी मम्मी से कह देना कि बहू पर बोझ ना बने… इंसान को अपना काम खुद हीं करने की आदत होनी चाहिए । आजकल कोई किसी की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता। ,,
” ये तुम क्या बोल रही हो मंजू!! आखिर भाभी क्यूँ ला रहे हैं ? हमने तो पहले ही कह दिया है लड़की से कि मम्मी की पूरी सेवा करनी होगी….. आखिर अब जाकर मम्मी को भी तो बहू का कुछ सुख मिलना चाहिए। ,, रंजना ने मंजू की बात काटते हुए कहा।
” लेकिन रंजना, बहुओं को तो सास की बिमारी सिर्फ काम से बचने का बहाना लगती है…… जब हम ऐसा सोच सकते हैं तो अपनी भाभी से ये उम्मीद क्यों लगाते हैं कि वो हमारे माता पिता की हर तकलीफ को समझेगी!! आखिर वो भी तो इसी समाज का हिस्सा है ना ।,,
मंजू की बात सुनकर रंजना की नजरें नीचे झुक गईं। वो कुछ बोल नहीं पा रही थी।
मंजू फिर बोली, ” बहन , यदि हम अपने भाई भाभी से उम्मीद रखते हैं कि वो हमारे माता पिता की सेवा करें तो फिर अपने पति को क्यों उनके माता पिता से दूर करने की कोशिश करते हैं ? रंजना ये दुनिया की रीत है कि हर औरत कभी बेटी तो कभी बहू की भूमिका निभाती है। जिन रिश्तों से हमें वफादारी की उम्मीद होती है वहाँ हम क्यों किसी की उम्मीद पर खरा नहीं उतरना चाहते…! ,,
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मंजू तो सामान लेकर अपने घर की ओर चल पड़ी लेकर रंजना के कदम आज बहुत धीमे चल रहे थे…. आज उसके सामने मंजू ने आईना रख दिया था जिसमें उसे अपना स्वार्थी चेहरा साफ नज़र आ रहा था….
दोस्तों, अक्सर लड़कियां भूल जाती हैं कि यदि वो अपनी सास के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहीं तो कल को यदि उसकी भाभी ने भी उसकी माँ के साथ बुरा व्यवहार किया तो उनके दिल पर क्या बीतेगी?? दूसरे से हम पूरी उम्मीद रखते हैं कि वो अपने फर्ज निभाए लेकिन जब बात खुद जिम्मेदारी उठाने की आती है तो वही जिम्मेदारी बोझ लगने लगती है …..
#जिम्मेदारी
सविता गोयल
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