मेरी सहेली दीपा अपने माता-पिता की इकलौती बिटिया , बहुत नाजों से पली-बढी ईश्वर की कृपा से खूबसूरत, अच्छी कद-काठी साथ ही पढने में भी काफी होशियार थी।मेरा मेरी सहेली से मिलना अक्सर होता रहता कभी बाहर, कभी वो मेरे घर आ जाती ,कभी परिवार सहित आउटिंग में जाना । कभी नहीं मिल पाते तो घंटो फोन पर बतियाते रहते,और अगर कभी शाम को दीपा का फोन आ जाता
फोन पर बातें करते देख मेरे पति मुस्करा कर चुटकी लेते और बच्चों ( नेहा-नेह) से कहते बेटा आज तो पानी पीकर ही सोना पड़ेगा ।
समय बीतता गया बच्चें बङे होने लगे समय कम मिलता।कभी-कभार मिलना होता लेकिन ,जब भी मिलते दिल खोलकर मन की बातें करते।
इस बीच मेरे पति का तबादला जोधपुर से जयपुर हो गया,तबादले का समाचार सुनकर मैं सन्न रह गई, ऐसा लगा मानो पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई । खैर बङे भारी मन से दीपा ने मुझे विदा किया। बच्चें बङे होने लगे उनकी कोचिंग, पढाई घर के काम इतनी व्यस्तता में धीरे -धीरे बातचीत कम होने लगी।
अचानक दीपा का फोन आया वो परिवार सहित कल जयपुर आ रही है तान्या की शादी की खरीदारी करने ।मैं चौंक गई अपनी…….
तान्या इतनी बड़ी हो गई ! मैं पहले की तरह इधर-उधर की करने बातें लगी वो बोली अब फोन रखती हूं अरे बाबा कल मिलते हैं।
मैं बहूत खुश थी ।कल क्या बनेगा,…कहाँ जाना है…,सोचते-सोचते कब ऑंख लगी पता ही नही चला।सवेरे जल्दी उठकर सारी तैयारी की इतने में बाहर कार के होॅर्न की आवाज सुनकर खिड़की से झांककर देखा ,भागकर बाहर गई। दीपा के गले लगकर ऐसा जैसे राम-भरत का मिलाप
हो रहा हो दोनों की ऑखों से अश्रु धारा बह रही थी।मैं अंदर दीपा और तान्या को बैठाकर बाहर जाने लगी। दीपा ने आवाज दी अरे… कहाॅ जा रही हो मैने मुड़कर बोला यार तेरे चक्कर में जीजू को अन्दर बुलाना ही भूल गई वो क्या सोच रहे होंगे….।
दीपा ने कहा- देख तेरे जाने के बाद बहुत कुछ…बदल ..गया।मैंने उसकी ओर देखा ऑंखो से ऑंसू झर रहे थे वो अपनी बातें बताती जा रही थी…..।तुझे परेशान नहीं करना चाह रही थी … लगभग दो सालों से हम अलग रह रहे है।खैर अब तुम बताओ कैसी हो?मैं बीच में टोकते हुए बोली-सब ठीक है। (मैने मन में सोचा दीपा रईस परिवार
से है, झूकने वाली नहीं है हालांकि दिल की बहुत अच्छी है साथ ही अच्छी दोस्त है,समझौता करने वाली नहीं है।)
मैं बीच में टोकते हुए बोली- देखो दीपा सब ठीक है। माना कि वो गलत है ,आजकल जाॅब भी ऐसे है आदमी तनाव में रहता है। लेकिन…. कभी…हम भी उनसे बहुत अपेक्षाएं रखते है। खैर अब तान्या की शादी होने वाली है, वो तुमसे माफी भी मांग रहे है।मैने कहा तुमको …समझौता ..कर ले..ना चाहिए(मैने झिझकते हुए कहा)। वो एकदम भङक गई मैं..मैं झुकने वालो में नहीं हूं।मैंने दीपा से कहा मुझे माफ करना लेकिन सोचना। दो दिन के बाद दीपा को भारी मन से विदा किया।
मैं अपने काम में व्यस्त हो गई । दो महिने बाद दीपा का फोन आया अगले महिने (29 नवंबर) को तान्या की शादी है तुझे कम से कम 10 दिन पहले आना है कोई बहाना नही चलेगा!मैं फोन पर जीजू के बारे पूछकर उसका मन खराब नही करना चाहती थी,न ही उसने कुछ बताया मैंने इतना ही कहा 27 नवम्बर की भैया की लड़की की शादी हैं,उसके बाद सीधे वही आ जाउंगी पहले वो नाराज हुई फिर कहा ठीक है शादी के बाद रुकना ।मैने भी हां बोल दिया।
28नवम्बर को भतीजी की विदाई के बाद 29 नवम्बर को हम परिवार सहित अपनी गाड़ी से रवाना हुए 7-8 घन्टे का सफर था सोच रही थी बारात द्वार पर आएगी उससे पहले हम पहुंच जायेंगे,कैसा लगा तान्या को जब विदाई के समय उसके पिता न होंगे?
दीपा भी कैसे मैनेज करेगी?पूरे रास्ते अलग -अलग विचार आते रहे ,कभी सोच कर मेरी आंखें भर आती।सोचते -सोचते कब आंख लग गई पता ही नही चला ।नेहा ने कहा मम्मी उठो होटल(जहां तान्या की शादी का स्थल) आने वाली है।मैने अपने बेग मेंसे कंघी निकाली बाल ठीक किए।
बेग में सामान रखा ।कार होटल के सामने रुकी, आलीशान सजावट देखकर दंग रह गई। दूर से दीपा ने मुझे देख लिया था वह पास में आकर कसकर गले मिली ।मैं केवल दीपा को ही देख रही थी लाल रंग की बनारसी साङी में बहुत खूबसूरत लग रही थी ।इतने में पीछे से आवाज आई केवल दीपा से मिलोगी साली साहिबा.. मैने पीछे मुडकर देखा जीजू खड़े-खड़े मुस्करा रहे थे उनसे मिलकर मेरी खुशी दुगुनी हो गई, मैने दीपा की तरफ देखा वो मुस्कराकर बोली तुम्हारे समझौते वाली सलाह ने मेरे जीवन में बहार ले आई….
मीमा
आईना