समझदार कौन – कमलेश राणा

यह कहा जाता है कि मानव मस्तिष्क ईश्वर की बनाई हुई सर्वश्रेष्ठ कृति है जो उसे अन्य प्राणियों से अलग करती है,,

उसकी सोचने समझने की शक्ति, फैसला लेने की ताकत और आवश्यकतानुसार अविष्कार की क्षमता बेजोड़ है,,

लेकिन अधिकांश मनुष्य अपनी इस काबिलियत को नज़रअंदाज़ करके न केवल अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं बल्कि प्रकृति को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं,,

कुछ मामलों में पशु पक्षी अधिक समझदार नज़र आते हैं,, पक्षियों का घर लौटने का समय निश्चित होता है, वो रात होने से पहले ही अपने घोंसले में लौट आते हैं,,

अपने बच्चों की बहुत प्यार से देखभाल करते हैं और सही वक़्त पर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वयं घोंसले से धक्का दे देते हैं, कामचोरी के लिए उनके जीवन में कोई स्थान नहीं है,,

पेट भरने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं, प्रकृति से उतना ही लेते हैं जितना जरूरी है, अगर अधिक मिल भी जाये तो छोड़कर उड़ जाते हैं और एक मनुष्य है जो सात पीढ़ियों तक के लिए जोड़कर रखने के लिए प्रयासरत रहता है,,

बीमार पड़ने पर खाना छोड़कर अपना इलाज कर लेते हैं,, मैंने अपनी आँखों से कुत्तों को पेट खराब होने पर घास खाकर उल्टी करते हुए देखा है,,


सुबह बिल्कुल तरोताज़ा हो कर उठते हैं और अपने साथ ही सारी सृष्टि को अपने मधुर कलरव से गुंजायमान कर देते हैं,,

वो मनुष्य की तरह छीनकर नहीं, बांटकर खाने में विश्वास रखते हैं,, भोजन मिलने पर अपने साथियों को बुला लेते हैं और मुसीबत में एक दूसरे की यथा संभव सहायता भी करते हैं,,

सबसे अद्भुत बात तो उनका प्रवासी होना है,, बहुत सारे पक्षी हजारों किलोमीटर का सफर तय करके ठंडे या गरम देशों में प्रजनन के लिए जाते हैं और मौसम अनुकूल होने पर अपने स्थान पर वापस लौट आते हैं,,

आश्चर्य तो इस बात का है कि हर वर्ष वो एक ही रास्ते से आते हैं,, इसका निर्धारण वो कैसे करते हैं,, तारों की स्थिति से या धरती की चुम्बकीय शक्ति से,, यह एक पहेली ही है,, जो नवजात बच्चे उनके साथ जाते हैं वो भी उसी वक़्त उसी जगह अगली साल आ जाते हैं,,

यह सब देखकर लगता है बुद्धि तो निस्संदेह मनुष्य में अधिक है लेकिन वह इसका उपयोग सकारात्मक कार्यों में कम करता है, वह अपनी असीम शक्ति का अनुमान ही नहीं लगा पाता और जिन लोगों ने इसे पहचाना है उन्होंने कामयाबी के पटल पर हस्ताक्षर अंकित कर दिये हैं,,

पर कुछ मामलों में पशु पक्षी अधिक समझदार नज़र आते हैं,, उनमें एक कार्य प्यार में अपने पार्टनर की सहमति का सम्मान भी है,, अपने प्रिय को रिझाने के लिये नर या मादा हरसंभव प्रयास करते हैं और पूर्ण आश्वासन मिलने पर ही आगे कदम बढ़ाते हैं,,

दुराचार की बहुत सारी घटनाओं के संदर्भ में अक्सर पढ़ने सुनने को मिल जाता है कि उन्होंने पाशविकता की सारी हदें पार कर दीं पर इस मामले में पाशविकता शब्द का प्रयोग पशुओं का अपमान करना है,, वो ऐसा कभी नहीं करते,,

अब आप ही बताएं,, समझदार कौन है बुद्धिजीवी मानव या पशु पक्षी,,

कमलेश राणा

ग्वालियर

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