Moral stories in hindi : सीमा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई… घर की छत पंखे की तरह घूमती महसूस हो रही थी।
उफ ! ये कैसे मुमकिन है…. क्या ये सच है ?…नही ऐसा नहीं हो सकता…. शायद मुझे कुछ गलतफ़हमी हो रही है…सीमा के मस्तिष्क में हजारों सवाल एक साथ उठ रहे थे।
सात वर्ष पूर्व समीर से प्रेम विवाह किया था.. परिवार की मर्ज़ी के बग़ैर किया था उसने ये फ़ैसला।सभी ने कहा …ज़िंदगी का इतना बड़ा फैसला बिना सोचे समझे नही करना चाहिए।
दरअसल सीमा का दायां हाथ कलाई से विकलांग था ।सीमा के परिवार वालों ने उसकी परवरिश बहुत अच्छी तरह से की थी..खूब पढ़ा लिखा कर सीमा को आत्मनिर्भर बनाया था…कभी एहसास तक नही होने दिया था कि वह किसी से कुछ कम है।सीमा भी एक अद्भुत क्षमता से भरी लड़की थी…उसने हर काम सीखा… और इतनी लगन से सीखा कि दोनो हाथों से काम करने वाले दाँतों तले अंगुली दबा लेते थे ,
उसकी निपुणता देखकर…।सीमा और समीर कब नज़दीक आए घरवालों को पता नही चला… और एक दिन सीमा ने अपना फ़ैसला परिवार को बता दिया..।सब चौंक गए.. इस तरह अचानक इतना बड़ा निर्णय…।माता-पिता ने सीमा को समझाने की कोशिश की….”किसी अजनबी पर इतनी जल्दी विश्वास नही करना चाहिए….। क्या पता किस लालच में ,वो तुझसे शादी करने को तैयार है, जबकि उसे तो कोई भी संपूर्ण और सामान्य लड़की मिल सकती है,।
“बेटा भविष्य में अगर उसको अपने फैसले पर गलती महसूस हो और वह तुझे छोड़ दें,तो उस अपमान को क्या तू सह पाएगी ? मां ने सीमा से पूछा,पर सीमा को समीर के प्यार पर पूर्ण विश्वास था,,उसने किसी की नही सुनी,,और अपने फ़ैसले पर अडिग रही ।समीर एक प्रायवेट कंपनी मे काम करता था ..
सीमा की उससे जान पहचान ऑनलाइन इंटरनेट पर हुई और धीरे धीरे दोनों करीब आ गए… जब समीर ने सीमा के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा तो सीमा ने अपने हाथ को लेकर कहा कि यह जानते हुए भी कि मैं विकलांग हूँ तुम मुझसे क्यों विवाह करना चाहते हो….
इस पर समीर ने कहा मुझे इससे कोई फ़र्क नही पड़ता कि तुम्हारे हाथ में थोड़ी प्रॉब्लम है…और फ़िर तुम किस बात मे किसी और से कम हो…समझदार हो, सुंदर हो…और इतनी अच्छी सरकारी नौकरी मे हो…बस मैंने सोच लिया है कि शादी करूंगा तो सिर्फ़ तुमसे.. नही तो आजीवन अविवाहित ही रहूँगा..।
सीमा तो समीर का इतना प्यार पाकर स्वयं को बहुत भाग्यशाली समझ रही थी…किंतु घरवाले चिंतित थे कि कहीं सीमा किसी धोखे का शिकार न हो जाए..।बहुत समझाने पर भी सीमा नही मानी , वह पूरी तरह आश्वस्त थी, समीर के प्रति।दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली।धीरे धीरे परिवार ने भी माफ़ कर दिया और इस रिश्ते को दिल से अपना लिया था।
उनका वैवाहिक जीवन बहुत ही अच्छा चल रहा था। सीमा की सरकारी अच्छी नौकरी थी,समीर भी ठीक ठाक क्या लेता था।सीमा समीर का प्यार पाकर निहाल थी ।उनकी 4 वर्षीय बेटी सुहाना ने उनके जीवन को और भी खुशियों से भर दिया था।
समीर पंद्रह दिनों के बाद आज ही टूर से लौटा था।इसलिए सीमा ने आज ऑफिस से छुट्टी ले ली थी…क्योंकि बहुत सारे कपड़ें धोना थे समीर के…समीर का टूरिंग जॉब था ,अक्सर उसे टूर पर जाना होता था..अतः सीमा हमेशा उसका बेग तैयार करके ही रखती थी।
समीर के कपड़ें धोने के लिए सीमा समीर के शर्ट और पेंट की जेब चैक कर रही थी.. तभी उसके हाथ कुछ ऐसा लगा जिसे देख कर उसके पैरों के नीचे की ज़मीन खिसकती महसूस हुई,, सीमा खुद को संभाल नही पा रही थी… उसे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था।उसने समीर की अलमारी की तलाशी ली…. और एक एक करके उसे कई सबूत मिल गए , जिसने समीर का एक ऐसा रूप दिखाया, जिसकी सीमा कभी कल्पना भी नही कर सकती थी।
शाम को समीर ऑफिस से लौटा।उसे सीमा का लिखा कागज का पुर्ज़ा मिला… लिखा था–—
समीर,, आज पहली बार खुदको अपाहिज़ महसूस किया मैंने.. तन से नही… बल्कि दिल और दिमाग से…आज पहली बार अपाहिज होने से अपमानित महसूस कर रही हूं खुद को,मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ किसी का सच्चा प्यार पाना चाहती थी…जिसमे दया ,सुहानुभूति या धोखा न हो…तुम्हारे प्यार पर पूरा भरोसा था…
लेकिन तुम धोखेबाज़ निकले…एक ग़लत फ़ैसले और अपने माता पिता का दिल दुखाने की सज़ा मुझे मिल गई।सुहाना और मेरा तुमसे अब कोई रिश्ता नहीं।सुहाना सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी है ।ये मेरा आखिरी और सही फ़ैसला है। अपाहिज, मैं नहीं, तुम हो,तुम्हारा गन्दा ज़मीर अपाहिज है। तुम्हारे साथ,
एक छत के नीचे रहकर,अब मैं अपना अपमान और नहीं करूंगी, मुझे स्वाभिमान से जीना आता है।”पत्र के साथ जेब से मिली प्रेगनेंसी रिपोर्ट रखी थी, जो किसी सरिता की थी और पति के नाम की जगह समीर का नाम लिखा था…… ।
सीमा ने सुहाना का स्कूल में दाखिला करवा दिया… स्कूल के आवेदन पत्र पर उसने सुहाना का नाम लिखा “सुहाना सीमा गुप्ता” ।
#अपमान
*नम्रता सरन “सोना”*
भोपाल मध्यप्रदेश