” सहारा देने वाले ही बेसहारा हो गए ” – अमिता कुचया

नीना बहुत खुबसूरत सी लड़की है ,उसकी मां ने उसके बचपन में लोगों के यहां बर्तन धोने का काम किया और उसने भी बड़े ही मुश्किल भरे दिन देखें।

आज उसे अपना बचपन याद आ रहा था ।जब मां ने कहा-” तू रश्मि मैम साब के यहां चली जा।”

तब नीना ने कहा -“मां अब रश्मि मैम साब के यहां जाने की क्या जरूरत•••••

तू भूल गयी क्या ? क्या नहीं किया उन्होंने तेरे साथ! वो कितनी  बदतमीजी से आप बात करती थी।

तू तो समर्पित होकर उनके यहां काम करती थी।

बदले में क्या देती थी, वो भी उतरन या बचाखुचा खाना!

अरे नीना बेटा ऐसा नहीं कहते आखिर वो नहीं होती तो हमारा क्या होता!

रश्मि मैम साब चाहे जैसी रही हो ,पर मालकिन तो अच्छी थी।

पता है आज भी मैं वो दिन नहीं भूलती जब तूने मुझे पुरानी सी गुड़िया और पुराने कपड़े दिए थे।तब तो मैं खुश हो गई थी । मुझे  बेइज्जती का एहसास नहीं था।



जब हम  उनके घर गए तो उन्होंने कहा  – सब अपनी सहेलियों के सामने कहा था देखो देखो…. मेरे उतरे कपड़े नीना ने पहने हैं।तब मुझे बहुत बुरा लगा था।तब मुझे समझ में आया था कि आत्मसम्मान क्या होता है।

नीना की मां ने समझाया बेटा हर दिन एक सा नहीं होता ।आज तू बड़ी पुलिस वाली बन गई है। तेरी मेहनत का ही नतीजा है। तेरी ड्यूटी का पहला दिन है।

तू  मालकिन से आशीर्वाद लें । ताकि उन्नति कर सके। मालकिन बुरी नहीं थी। उनके हम पर बहुत एहसान है।

इस तरह मां के कहने पर नीना रश्मि बीबी जी के यहां गयी।तो रश्मि नीना की चाल ढाल देखकर‌ दंग रह गयी।

आज खुद रश्मि को समझ नहीं आ रहा था क्या वाकई वहीं नीना है जो मेरी उतरन पहनती थी।अब रश्मि खुद जो एक मजबूर लड़की की तरह मायके में रह रही हैं। जिसका पति छोड़ चुका है।और उसके बाबा नहीं रहे, जिसके कारण जो रश्मि के ठाठ थे।वो अच्छे बिजनेस मैन थे । उनके पार्टनर ने भी बिजनेस उसके पापा का हथिया चुके थे।अब मालकिन जी भी बहुत बुरी स्थिति में थी।

जो आलीशान कोठी थी, वो उसकी मां ने किराए  पर दे दी थी। जिससे उनका गुज़ारा होता था।



आज नीना ने जब मालकिन और रश्मि  मैम साब को देखा तो आंखें भीग गई कहने लगी  – “बीबी जी ये सब क्या और कैसे हो गया। और रश्मि मैम साब आप तो कितनी उदास दिख रही हो।आप बचपन में कितनी चहकती रहती थी•••

मुझे याद है आपने अपनी पसंद से शादी भी की थी।ये सब  कैसे हो गया? “

फिर रश्मि ने बताया-   “मोहित मेरे पैसों से प्यार करता था।अब पैसा नहीं रहा तो उसने मुझे छोड़ दिया।”

तब नीना ने कहा-”  रश्मि दीदी तू अब अपनी मां का सहारा बन देखना, फिर से तेरी और मालकिन की जिंदगी में खुशियों के रंग बिखरेंगे। तुझे  ही आगे बढ़ना होगा।”

आज जब वह  लौटी तो  उसने मां को बताया कि मालकिन और रश्मि मैम साब की हालत कैसी हो गई है।जीवन में रंग उनकी जिंदगी में कितने फीके हो गए हैं।  ऐसा कभी सोचा भी नहीं था।

फिर मां ने समझाया बेटी हम भी उनकी मदद करेंगे। जीवन में उतार चढाव तो आता ही रहता है। जिंदगी हमेशा एक ही नहीं होती।इस सहारा देने वाली नीना की मां सहारा देने के काबिल हो गई। और वे दोनों अपनी मालकिन का सहारा बन‌ गई। इसीलिए कहा जाता है कब राजा रंक के समान हो जाए। कोई नहीं कह सकता है।कब कैसी परिस्थिति का सामना करना पड़े । इसीलिए पैसे का घमंड नहीं करना चाहिए।

सखियों-जीवन में कब कैसा मोड़ आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है।जीवन में कभी न कभी खुशियों के रंग देखने मिलते ही इसीलिए मुश्किलों का डटकर मुकाबला करना चाहिए।

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धन्यवाद 🙏❤️

आपकी अपनी सखी ✍️

अमिता कुचया

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