सास की करतूत : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुलभा के पति विनीत ने उसे डिलीवरी के लिए मायके भेज दिया था क्योंकि उसकी माँ नलिनी ने उसकी मदद करने के लिए साफ़ साफ़ मना कर दिया था ।सुलभा ने मायके में ही एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया । सासु माँ एक बार अपनेपोते को देखने आई और चली गई । उसने बहू से कहा भी नहीं कि बेटा जल्दी से आ जा उन्हें देख ऐसा लगता था कि पोते पर भी इन्हें प्यार नहीं आया ।

जब से विनीत की शादी हुई है उसने बहू को चैन से जीने नहीं दिया । विनीत दूसरी जगह नौकरी करता था । वह सिर्फ़ वीकेंड में ही घर आता था।

बीच के दिनों में एम एस सी बी एड सुलभा नौकरानी बन कर रह गई थी ।विनीत ने माँ को बहुत समझाने का प्रयास किया पर वह अपने करतूतों से बाजनहीं आई । बहू ने वहीं पर एक स्कूल में नौकरी जॉइन कर लिया ताकि सास के साथ ज़्यादा समय व्यतीत नहीं करना पड़ेगा । वह भी कोई कम नहीं थी उसने काम वाली बाई को हटा दिया । स्कूल से आकर सुलभा को सारे काम करने पड़ते थे फिर स्कूल के काम अलग होते थे । इसलिए वह पूरा स्कूल का काम स्कूल में ही करके आने लगी ।इस बीच सुलभा माँ बनने वाली थी । सास नलिनी किस मिट्टी की बनी हुई थी कि कड़ाके की ठंड में भी उसे काम करने के लिए मना नहीं करती थी । विनीत ने माँ को बहुत समझाकर काम वाली बाई को वापस बुलाना चाहा पर वह मानती नहीं थी ऊपर से कहती थी कि मैंने भी तो यह सब किया था ।

जब डिलीवरी का समय आया तो नलिनी ने विनीत से साफ कह दिया था कि इसे मायके भेज दे मेरे से काम नहीं होगा । विनीत ने सोचा चलो यह भी अच्छा है कम से कम वहाँ यह सुकून से रह सकेगी । इसलिए सुलभा से कहा नौकरी से इस्तीफ़ा दे दे और मायके चल मैं तुम्हें छोड़कर आता हूँ । उस समय मायके जाने के बाद सुलभा फिर वापस ससुराल नहीं आई थी । विनीत खुद पंद्रह बीस दिन में एक बार उसे और बेटे से मिलने आ जाता था ।

सुलभा से विनीत ने कहा तुम माँ के पास रहकर नौकरी जॉइन कर लो मैं ही आतेजाते रहूँगा ।अब बच्चा तीसरी कक्षा में पढ़ रहा है ।

विनीत ने बताया कि माँ बाथरूम में गिर गई हैं और उनकी रीढ़ की हड्डी में फ़्रैक्चर हो गया है बिस्तर पर पड़ी है । बहू बेटे को याद करके आठ आठ आँसूरो रही है।

विनीत उन्हें रोते हुए देख कर कहा माँ सुलभा बहुत अच्छी थी मैंने आपको बहुत समझाने का प्रयास किया था । आपने ही उसे घर में रहने नहीं दिया । बेटा बहूपोते के साथ आराम की ज़िंदगी जीना था आपको परंतु आपने खुद अपनीक़िस्मत बदल ली है । मैं कुछ नहीं कर सकता हूँ । अब आठ आठ आँसू रोने से भीसमय नहीं बदल सकता है । मैं आपको छोड़ नहीं सकता हूँ और न मेरे परिवार कोमुझे तो अपने बेटे और पत्नी के पास जाना ही पड़ेगा । इसलिए आपके लिए नर्सरख देता हूँ मेरी अनुपस्थिति में वह आपकी देखभाल कर देगी ।

स्वरचित

के कामेश्वरी

 

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