जबसे राखी की सास विमला देवी उसके साथ रहने शहर आई थी, पति आलोक के सामने ऐसा दिखावा करने लगी थी मानो उसके कांधे पर काम का बोझ इतना बढ़ गया था कि उसे सांस लेने की फुर्सत नहीं रहती है..
जबकि ऐसा कुछ नहीं था.. राखी की सास बिल्कुल शांत स्वभाव एवं काफी मिलनसार थी, उन्होंने कभी भी बहू को कुछ ऐसा नहीं कहा कि बहू को तकलीफ़ हो.
फिर भी राखी अपनी सास को नापसन्द करती थी..सास के प्रति दुर्भाव पाले थी बेवजह का मनमुटाव पाले थी..
राखी खुले विचार वाली लड़की थी,,उसे किसी तरह का रोक टोक बिल्कुल पसंद नहीं था, साथ ही साथ वह चाहती थी कि वह सास के साथ या उसकी सास उसके साथ न रहे.. ताकि उसे सास की बातें न सुननी पड़े.. इसलिए शादी के कुछ ही दिनों बाद पति के साथ शहर आ गई,जहां उसका पति आलोक नौकरी करता था..
लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि आलोक को अपनी मां को अपने साथ शहर लाना पड़ा..
राखी ने पति आलोक को कहा भी था कि मैं कर लूंगी अकेले,संभाल लूंगी खुद को..
क्या जरूरत है माँ को इस उम्र में तकलीफ़ देने की..
वहां बड़े भैया-भाभी के पास ठीक तो है..
एक तरह से वह सास को यहां लाने से मना कर रही थी..
लेकिन आलोक ने पत्नी की बात नहीं मानी और जाकर अपनी माँ को अपने साथ अपने घर ले आया..
वो जानता था बड़े भैया और भाभी माँ का ख्याल नहीं रखते कितनी बार पत्नी को माँ को लेकर..बड़ी भाभी से बात करते सुना था..
उसे यह भी पता था माँ को यहां लाना उसकी पत्नी को अच्छा नहीं लगेगा फिर भी अपनी दायित्वों से वह पीछे नहीं हटना चाहता था आखिर जननी थी उसकी कैसे छोड़ देता माँ को.
दूसरी राखी माँ बनने वाली थी और वह अक्सर काम के सिलसिले में बाहर आता जाता रहता था.. राखी की माँ जिंदा थी नहीं जो आकर राखी का इस अवस्था में ख्याल रखती, इसलिए यह सोच कि माँ रहेगी तो ऐसी हालत में राखी पर ध्यान बना रहेगा माँ को ले आया..
मगर राखी ने कभी भी सास को तवज्जो नहीं दिया..कभी सास से सीधे मुंह बात नहीं करती,आलोक घर पर रहता तो कुछ नहीं कहती लेकिन उसके घर से बाहर जाते ही नाक मुंह सिकोड़ने लगती..
विमला जी सब समझकर भी न समझा कर देतीं..वो जानती थी कुछ कहेंगी तो बहू बेटे के बीच बेवजह क्लेश होगा
विमला देवी को बहू की अवस्था का भी भलीभांति भान था इसलिए उनकी कोशिश भी रहती कि बहू को कुछ न कहे,और कुछ कहती भी नहीं थी,बस जो चाहिए होता मांग लेती या फिर जितना संभव होता खुद कर लेती.. यहां तक रसोई का बहुत सारा काम वह स्वयं कर देती ताकि बहू को इस अवस्था में ज्यादा से ज्यादा आराम मिले…
पर इतने पर भी राखी का मन हमेशा सास को ले कर खिन्न रहता मन में बिना बात मनमुटाव रखती..
माँ थी नहीं,पिता ने किसी तरह दोनों बेटियों का अच्छा घर देखकर शादी कर दी थी,संयोग से दोनों दामाद भी सही मिले लेकिन शादी उपरांत खुद की बेटी के मन में क्या चलता है एक पिता कभी कभी खुद नहीं जान पाता है..
राखी के साथ भी कुछ ऐसा ही था..
मन ही मन राखी अपनी तुलना अपनी बड़ी बहन से करने लगती, बड़ी दीदी का तो क्या कहना,,कितने ठाठ है दीदी के कितनी खुशनसीब है कि उनकी ससुराल में सिर्फ ससुरजी हैं सास नहीं.जबसे शादी कर ससुराल गई है मौज कर रही है न कोई किच-किच न कोई किट-किट..
जब भी बात होती तो राखी अपनी बड़ी बहन से यही कहती कितना अच्छा है न दी आपका,
बिना सास के कितनी शांति रहती होगी आपके ससुराल में ..
ऊपर से न जेठ,न जेठानी,जो आप पर रौब दिखाए…
मैं तो परेशान हो जाती हूँ सास की सेवा करते करते..
वहीं राखी की बड़ी बहन की सोच बिल्कुल उलट थी,वह घर में सास की कमी बुरी तरह महसूस करती थी,उसे ससुराल में सास की कमी अक्सर अखरती रहती,
वह राखी से अक्सर कहती भी
ऐसा बिल्कुल नहीं छोटी..
घर में कई तरह की बातें होती हैं,सुख दुख सभी कुछ लगा रहता है,ऊंच नीच कुछ भी हो मन की बात सास से ही कही जा सकती है ससुर से नहीं..‘सास का लाड़ प्यार ससुर कभी पूरा नहीं कर सकते हैं?
ससुराल में ससुर के होने और सास के न होने से काफी फर्क आ जाता है
ससुराल में सास का महत्व ही अलग है
माँ की ममता,माँ का आंचल तो सभी को मिल जाता है लेकिन सास की ममता सास का प्यार हर किसी को नहीं मिलता,सास का प्यार मां से बिल्कुल अलहदा है..
तू खुशनसीब है कि तेरी सास है
इसलिए कहती हूँ सास की इज्जत कर उनकी आदर कर… सास के महत्व को समझ..
राखी मन ही कहती अरे वाहहहह
सास नहीं है, इसीलिए सास का बखान कर रही,सास के न होने का रोना रो रही ,सास होती तो दुनिया भर की बातें होती,दोनों के बीच लड़ाई झगड़े भी होते, तब दीदी भी मन ही मन यही मनाती कि इससे तो अच्छा सास ही न होती तो ठीक होता..
टीवी सीरियल व किस्से कहानियों में देख- सुन राखी ने अपने दिमाग में सास की ऐसी नकारात्मक तस्वीर खींच रखी थी कि बड़ी बहन के लाख़ समझाने पर भी अपनी सोच से बाहर आना ही नहीं चाहती थी..भले ही उसकी सास उसे कुछ न कहती हो..
वह सदा यही सोचती थी कि सास एक ऐसी औरत होती है जिसे सिर्फ लड़ना, डांटना, ताने सुनाना व बहू में गलतियां ढूंढ़ना ही आता है और जो हर समय अपनी सास के द्वारा किए बुरे व्यवहार का बदला अपनी बहू से बुरा व्यवहार कर के लेने को कमर कसे बैठी रहती है.
सास के इस नाकारात्मक हुलिए से,जो राखी के दिमाग की ही उपज थी,इतनी डरी डरी रहती कि शादी से पहले अकसर यही सोचती कि अगर उसकी सास ही न हो तो बेहतर है, न होगा बांस न बजेगी बांसुरी…
पर सास तो मिल गई थी
और आज उसी राखी को अपनी सोच पे घिन भी आ रही थी,उसे अपनी सास से झूठा मनमुटाव रखने पर शर्म आ रही थी,अपने मन में अपनी सास की कितनी नकारात्मक छवि बना रखी थी उसने… कितना निरादर किया था उसने अपनी सास का,लेकिन आज़ उसकी सास ने ही उसकी जान बचा ली थी,अगर वो आज नहीं होती तो शायद वो और उसका बच्चा जीवित न होता…
हुआ यूं कि आलोक काम के सिलसिले में शहर से दूर गया था,एक दिन बाद आना था,
हालांकि राखी के डिलेवरी में अभी समय था,लेकिन कमरे में कपड़े की आलमारी ठीक करते हुए राखी की तबीयत एकाएक ज्यादा खराब हो गई,उसका बदन लगातार ऐंठता जा रहा था.. समय से पहले शुरु प्रसव पीड़ा उसकी जान लेने को आतुर थी,सारा शरीर पसीने से तर – ब- तर हो गया था,उसे लगातार चक्कर आ रहें थे,इससे पहले कि वो अपने कमरे में मुर्छित हो गिर जाती उसने अपनी सास को आवाज दी
माँ जीईईईई…
विमला जी बहू की आवाज सुन भागकर बहू के कमरे में पहुंची,बहू की हालत देख वह भी परेशान हो उठी, उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें..
तभी उन्हें ध्यान आया पास ही में एक जच्चा-बच्चा केंद्र है..किसी तरह रिक्शा कर बहू को जच्चा-बच्चा केंद्र ले आई…
वहां उपस्थित डाक्टरों ने राखी को तुरंत
प्रसव गृह में ले गए, जहां प्रसव प्रक्रिया उपरांत राखी ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया,महिला डाक्टर ने बाहर आकर विमला जी को खुशखबरी दी,खुशी की बात यह थी कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ थे,
थोड़े ही समय बाद नर्स ने बच्चे को लाकर विमला देवी के गोद में डाल दिया..
विमला देवी ने नेग के रूप में नर्स को सौ का नोट थमा दिया..
राखी को जब होश आया तो नवजात बच्चे को अपनी सास की गोद में देख भावविभोर हो उठी,उसकी ममता आंसू के रूप में उसकी आंखों से टपक पड़ी, वो लगातार भावुक नज़रों से सास को देखें जा रही थी…
सास ने आगे आकर बच्चे को बहू की गोद में डाल दिया,
देख कितना सुंदर है बिल्कुल आलोक दिखता है..
राखी ने जोर से अपने बच्चे को अपने सीने में भींच लिया..उसकी छाती वात्सल्य रस से उमड़ पड़ी..
खबर सुन आलोक भी उसी दिन सीधे अस्पताल पहुंच गया..और मां पत्नी व बच्चे से मिलकर भाव-विभोर हो उठा
लेकिन राखी मन ही मन ग्लानि से भरती जा रही थी ,उसे सास के प्रति अपने रूखे रवैए पर घृणा आ रही थी..
आज़ उसे अपनी बड़ी बहन की कही हर बात सही लगी रही थी ,आज राखी को सास का महत्व समझ आ गया था,सास क्या होती है वह जान गई थी,वह समझ गई थी कि सास भी माँ ही होती है, जहां तक माँ से ज्यादा ममतामई…
राखी ने विमला जी की ओर क्षमायाचना भरी नजरों से देखा..
विमला जी समझ कर भी कि बहू क्या कहना चाहती है नासमझ बनी बहू के सर पर हांथ फेरती बोली..
सदा खुश रहो. ईश्वर तुम सभी को हमेशा स्वस्थ एवं सुखी रखे..
सास का यह व्यवहार देख राखी के आंखों से पछतावें के आंसू टपक रहे थे…
दूसरी सुबह विमला जी बहू को लेकर घर आ गईं,उसी दिन आलोक के द्वारा खबर मिलने पर राखी के पिता एवं बड़ी बहन भी आ गई थी..साथ ही साथ आलोक के बड़े भैया एवं भाभी भी..
सभी के चेहरे पर खुशी का ठिकाना नहीं था
घर में नन्हा मेहमान जो आया था..
जिसने जन्म लेते ही एक माँ को सास का महत्व समझाया था…
सास भी माँ होती है बतलाया था..
#सभी बहुएं हाँथ जोड़ बोलिए जय सासू मईया की…
विनोद सिन्हा “सुदामा