रिश्तो मे पैबंद जरूरी है – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

सुरभि की आज ससुराल में पहली रसोई थी, और वह बेहद घबराई हुई थी। रसोई में उसके चारों ओर सब कुछ नया था: बर्तनों की चमक, मसालों की खुशबू, और सबसे बढ़कर, एक अलग तरह की जिम्मेदारी का अहसास। उसके सामने रोटियों का आटा तैयार रखा था, और वह मंत्रमुग्ध सी खड़ी थी। मन ही मन उसने माता रानी का नाम लिया और पहला गोला बनाकर बेलने लगी। लेकिन मन में एक सवाल था कि क्या वह पापा जी के मनपसंद रोटियां बना पाएगी?

सुरभि को पता था कि उसके ससुर जी को बिल्कुल परफेक्ट रोटियाँ पसंद हैं। उनकी रोटी की खासियतों को याद करते हुए वह थोड़ी हिचकिचाई। रोटियाँ पतली होनी चाहिए, मीडियम साइज़ की, गोल और चारों ओर से बराबर सेंकी हुई। उसकी सासू माँ ने उसे कई बार इस बारे में समझाया था, लेकिन आज पहली बार उसे खुद से इस चुनौती का सामना करना था।

“माँ जी, मुझे बहुत डर लग रहा है। पहली बार रोटी बना रही हूँ,” सुरभि ने थोड़ा संकोच के साथ अपनी सास से कहा। सासू माँ ने मुस्कुराते हुए सुरभि की ओर देखा और बोलीं, “अरे बहूरिया, मैंने कहा न कि तुम बस कोशिश करो। बनाना तो मैं भी जानती हूँ, पर बहू के हाथ की स्नेह से बनी रोटी का अलग ही स्वाद होगा। तुम बस दिल से बनाओ, बाकी सब ठीक रहेगा। पहली रसोई है, थोड़ा सा प्यार भी मिलाना इसमें।”

सुरभि की हिम्मत थोड़ी बढ़ी और उसने पहली रोटी बेलना शुरू किया। रोटी को तवे पर डालते ही वह बड़े ध्यान से उसे पकाने लगी, लेकिन जब उसने रोटी को तवे से उठाकर पलटा, तो रोटी एकदम चपटी रह गई। रोटी फूली नहीं, और सुरभि का चेहरा भी एकदम उदास हो गया। तभी सासू माँ ने उसे पास बुलाया और बड़े प्यार से उसकी कंधे पर हाथ रखा। उन्होंने उसकी स्थिति को समझते हुए मुस्कुराकर कहा, “घबराओ मत, बेटा। पहली बार में सब परफेक्ट नहीं होता।”

उन्होंने सुरभि को एक छोटी सी तरकीब सिखाई, जिससे उसकी अगली रोटी फूलेगी। उन्होंने बताया कि जहाँ छेद है, वहाँ थोड़ा सा आटा लगाकर पकाओ। सुरभि ने उनकी बात मानी और इस बार रोटी को फिर से सेंका। उसकी रोटी तवे पर जैसे ही गुब्बारे की तरह फूली, सुरभि खुशी से उछल पड़ी, “थैंक यू माँ जी…आई लव यू!” उसके चेहरे पर खुशी और उत्साह की लहर थी।

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सासू माँ ने हँसते हुए कहा, “अरे बेटी, ये पैबंद तो हटा दो रोटी से, अब जाकर अपने पापा जी को दे आओ। और हाँ, एक बात और, ये जो छोटा सा पैबंद लगाया है न, इसे सिर्फ रोटी पर नहीं, बल्कि अपने रिश्तों में भी लगाना। कभी घर में कोई समस्या हो, कोई बात बिगड़े या कोई गलती हो जाए, तो ऐसे ही पैबंद लगाकर चीज़ों को ठीक करने की कोशिश करना। यही पैबंद रिश्तों को संजोए रखेगा, मेरी प्यारी बहू। इसे हमेशा याद रखना, मेरे जाने के बाद भी।”

सुरभि ने सासू माँ की ये बात दिल से लगाई। उसकी आँखों में आभार और ममता के आंसू थे। उसने सासू माँ को धन्यवाद कहा और रोटी लेकर ससुर जी को देने चली गई।

रोटी खाते समय पापा जी के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी। उन्होंने कहा, “बिल्कुल परफेक्ट रोटी है, सुरभि!” ये तारीफ सुनकर सुरभि के चेहरे पर चमक आ गई। आज उसने सिर्फ रोटी ही नहीं, बल्कि अपने ससुराल में रिश्तों की एक नई शुरुआत की थी। सासू माँ की छोटी सी सिखाई हुई तरकीब ने उसे जीवन का एक बड़ा पाठ सिखा दिया था – रिश्तों में भी पैबंद की जरूरत होती है, ताकि वे हमेशा फलते-फूलते रहें।

मौलिक रचना 

मीनाक्षी सिंह

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