रिश्तों के गुच्छे  – दीपा माथुर

अवि खिड़की से बाहर टकटकी सी लगाई बैठी थी।

तभी सौरभ ने आवाज लगाई ” अवि खाने का टाइम हो गया यार अब तो खाना परोस दो।”

अवि वहीं से चिल्लाई ” बस दो मिनिट “

सौरभ डाइनिंग टेबल पर बैठ गया अवि खाना परोस रही थी कि उसे याद आया ” अरे तुमने याद ही नहीं दिलाया कल तो मम्मी जी की बर्थडे है ।

वो यहां नहीं हैं तो क्या ? हम तो जा सकते हैं ।”

और आखों की भृकुटी  चढ़ाती हुई बोली ” क्या विचार है”

सौरभ बोला ” पहले पेट में जो चूहे कुद रहे हैं उनको तो शांति से बैठा दें फिर बात करते हैं।”

दरअसल अवि और सौरभ की शादी को 6-7 माह ही हुए थे पर दोनों की पोस्टिंग दिल्ली में थी। इसीलिए घर से दूर रहना पड़ रहा था।

सौरभ के मम्मी ,पापा  अलवर में रहते थे।

खाना खाने के बाद अवि तो किचन में चली गई और सौरभ बालकनी में ठंडी हवा का आनंद ले रहा था।

तभी पड़ोस के फ्लैट से जोर जोर से चिल्लाने की आवाज आने लगी।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

पंछी को उड़ जाने दो – सुषमा यादव

सौरभ ने अवि को बुलाया ” अवि सुनो ये आवाज ?”

अवि बोली अरे आप भी ना! क्यों लोगों की बातें कान लगा कर सुनते हैं?

अक्सर दंपती में कहा सुनी हो जाती है अब सब मेरे जैसे थोड़ी ना होते हैं एकदम निपुण।”

सौरभ मुस्कुराया ;” अच्छा जी तो ये बात है “

ओर दोनों अपने रूम में चले गए थोड़ी देर बाद आवाज भी शांत हो गई।

सुबह का सूरज एक नई किरण के साथ उग आया था।

अवि ने खिड़की से पर्दा हटाया धूप सौरभ के मुख तक पहुंच चुकी थी।

रोशनी से परेशान हो सौरभ बोला ” अवि यार पर्दा क्यों हटाया ?”

अवि बोली ” मिस्टर विटामिन D की पूर्ति कर रही हूं”

आजकल जिसे देखो वही बीमार है और जब जांच कराई




जाती है तो विटामिन D या B 12 की कमी आती है।

उठो और विटामिन D के ब्रेकफास्ट के साथ चाय का आनंद लीजिए।

आता हूं कहता हुआ सौरभ फ्रेश होने चला गया।

और अवि चाय लाने।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

संगीता – पुष्पा पाण्डेय

चाय पीते पीते अवि को ध्यान आया ” अरे मम्मी की बर्थडे?

सौरभ ने फ़ोन उठाया और मम्मी  को वीडियो कॉल लगाया ” दोनों ने अभिवादन के साथ ही Happy birthday to you गाते हुए बोला।

तभी पड़ोस में से फिर आवाज आने लगी।

अबकी अवि का ध्यान गया जेंट्स की आवाज थी मानो किसी को डांट रहे हो।

अवि ने सौरभ से कहा ” बड़े अजीब लोग हैं इतना जोर जोर से भी भला कोई चिल्लाता है ?

अवि ने बालकनी से ही देखा ” सफेद रोबीली मूछों में लंबे चौड़े कद के गोरे चिट्टे सज्जन बाहर दिखे मस्तिष्क पर से तो मानो आत्मविश्वास की बूंदें रस बनकर बिखर रही हो




पर मुख से बड़बड़ाते हुए अपने घर से निकल रहे थे।”

अवि के मुख से अनायास ही निकला ” ओहो तो ये अंकल हैं जो रोज आंटी से लड़ाई करते हे।

दिखने में इतने स्मार्ट और गुस्सा हमेशा नाक पर बेचारी आंटी कैसे झेल पाती है इन्हें?”

सौरभ बोला ” अब समझ आया मैं कितना सीधा हूं”

अवि चलो छोड़ो” मम्मी जी की बर्थडे प्लानिंग करते हैं उन्हें सरप्राइज देते हैं?

हां,शाम तक तो पहुंच ही जायेंगे?

चलो तुम समान पैकिंग करो जितने में गिफ्ट लेकर आता हूं कहकर सौरभ बाहर निकल जाता है।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

नास्तिक – पिंकी नारंग

उधर जैसे ही सौरभ लिफ्ट की तरफ बढ़ता है।

एक आंटी गोल चेहरा दोनों भौहों के मध्य मेहरून गोल और बड़ी सी बिंदी लगाए लिफ्ट में आ जाती हैं।

“एक काम करोंगे बेटा ” आंटी ने हिचकिचाते हुए कहा

“जी बोलिए” सौरभ ने जवाब दिया।

वो हम आपके पास वाले फ्लैट में ही रहते हैं अक्सर बालकनी से ही आप दोनों को देखती हूं ।

वो क्या है ना !आज हमारी मैरिज एनिवर्सरी है।

हर साल केक काटते हैं।

पर अब बच्चे भी जैसे जैसे बड़े होते हैं उन पर भी जिम्मेदारियां आ जाती हैं।

इसीलिए वो नहीं आ पा रहे हैं।

तुम्हे पता है मेरा पोता पांच वर्ष का हो गया अब तो स्कूल जाने लग गया पिछले तीन साल से उसे नहीं देखा है।

अबकी बार आने का विचार था पर शायद छुट्टी नहीं मिली होंगी वापिस कैंसिल हो गया।

पहले तो तुम्हारे अंकल जी सर्विस करते थे ना?

तो वहां  बहुत से रिश्तेदार रहते थे ।

तो मिलकर पार्टी कर लेते थे।

अब यहां आ गए ,सोचा यहीं की यहीं पोते को संभाल लेंगे।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

जिंदगी है सुख-दुख की पुरवैया – अर्चना कोहली “अर्चि”

पर दिल्ली में भी दूरियां बहुत हो गई हैं,मैं भी बीमार रहती हूं आना जाना असंभव है।

तो तुम केक ला सकते हो?

आंटी की लाचार बाते आधा दर्द बयां कर चुकी थी ,आधा आखों में सहेजा हुआ सा नजर आ गया।

सौरभ मुस्कुरा कर बोला ”  बहुत बहुत बधाई आंटी और पैर छूते हुए बोला “वाह आज मेरी मम्मी की भी बर्थडे है उन्ही के लिए गिफ्ट लेने जा रहा था आपके लिए केक भी ले आऊंगा।”

आंटी बोली ” तुम्हारी मम्मी तुम्हारे साथ रहती हैं?”

सौरभ बोला” नही आंटी वो और पापा छोटे भाई के साथ अलवर में  रहते हे पर हम शाम पहुंच जायेंगे “

आंटी ने आशीर्वाद देते हुए बोला ” सुखी रहो बेटा ,

तुम्हारे मम्मी ,पापा बहुत खुशनसीब हैं जो तुम जैसा बेटा मिला “

लिफ्ट ने तो कब से ग्राउंड फ्लोर पर पहुंचा दिया था।

पर आंटी से बात ही बात में पता ही नहीं चला।

अच्छा आंटी में केक लेकर आता हूं कहकर सौरभ गाड़ी लेकर मार्केट निकल गया।

अवि ने पैकिंग कर ही ली थी कि फोन की रिंगटोन बजी।

मम्मी जी का फोन था “हम आ रहे हैं तुम्हारे लिए कुछ लाना है क्या?

अवि को कुछ समझ ही नहीं आया।

पर कुछ सोच कर बोली ” जी जी ओके आ जाइए।

मम्मी जी बोलीं ” मैने कुछ पूछा हे तुमसे?”

अवि ;” जी नहीं बस आप लोग आ जाइए।”

फिर अवि ने सौरभ को फोन लगा दिया।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

खुशियों के दिये – सुधा शर्मा

पर सौरभ ने फोन नहीं उठाया।

अवि के तो दिमाग में कुछ नही आ रहा था।

फिर सोचा ;” अच्छा हुआ जो मम्मी जी का फोन आ गया

वर्ना तो सरप्राइज़ के चक्कर में सब कुछ उल्टा पुल्टा हो जाता ओर कहीं के नहीं रहते।”

तभी सौरभ आ गया ” अवि जल्दी तैयार हो जाओ।”

अवि ;” पर मम्मी जी ,पापा जी तो यहां आ रहे हैं ना?”




“सौरभ हा मैने ही उन्हें यहां बुलाया है”

और फिर सारी प्लानिंग बता दी।

अवि खुश होते हुए बोली ” आई एम प्राउड ऑफ यू”

शाम होते ही अवि और सौरभ आंटी के घर गए।

दोनों ने अंकल ,आंटी के चरण स्पर्श कर उन्हें विश किया।

अंकल वाकई बहुत खुश मिजाज थे हमारे जाने से ही खुश हो गए और बोले ” अरे गायत्री लो तुम्हारे बेटे ,बहू आ गए।

वाह मजा आ गया ।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

जिंदगी की धूप छांव का गणित – डॉ. पारुल अग्रवाल

आंटी प्रश्नचिन्हित नजरों से सौरभ को देख रही थीं।

शायद सोच रही होंगी ” अपनी मम्मी के पास जाने में बहुत जोर आया हूं सब बच्चे एक जैसे ही हो गए हैं”

जिन बच्चों और परिवार के पीछे  वो खुद को भूल गईं

उन्हें देखने को भी तरस गईं।

हर मां की यही हालत है।

ये रिश्तों के गुच्छों को संभालना भी हर किसी की बात नहीं है।

इतने में सौरभ बोला ” आंटी फटाफट तैयार हो जाइए।”

तब आंटी की तंद्रा टूटी “

पर बेटा….

पूरा वाक्य होने से पहले ही सौरभ बोला ” आंटी जी,अंकल जी हम मेरी मम्मी का बर्थडे सेलीब्रेट करने किसी विशेष जगह चलेंगे।

प्लीज़ जल्दी ….

नीचे गाड़ी इंतजार कर रही है।”

अंकल जी भी बिना आना कानी के तैयार हो गए।

गाड़ी में बैठते ही अंकल जी बोले ” गायत्री अब तो खुश होना देखो अपनी ना सही पार्टी में तो जा ही रहे हैं ना?”

गायत्री आंटी बोली ” हां आप खुश तो मैं तो खुश हूं ही।”

अवि को दोनों की बातों का मर्म समझ आने लगा था।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

चिराग दिल का जलाओ – नीरजा कृष्णा

सोचने लगी ” आंटी अंकल एक दूसरे को खुश रखने की कोशिश कर रहे हैं।”

जैसे ही गाड़ी रुकी ढोल बजने लगे।

कदमों में फूलों के गलीचे बिछा दिए गए।

अंकल आंटी दोनों असमंजस में थे।

तभी एक नन्हे से बच्चे ने अंकल आंटी का हाथ पकड़ा और उन्हें स्टेज तक ले गया।

सामने अंकल ,आंटी का लाडला पुत्र और बहू,बेटी जवाई खड़े थे।

हाथ में माला लिए।




अंकल आंटी ने एक दूसरे को माला पहनाई।

बच्चों ने मम्मी ,पापा के चरण छुए।

गायत्री जी ने सौरभ की तरफ देखा सौरभ ने मुस्कुरा कर विजय चिन्ह अंगूठा दिखाया।

अब सौरभ की मम्मी की बर्थडे का जश्न था।

बर्थडे केक कटवाया गया।

दोनों परिवार एक दूसरे से मिले अपना अपना परिचय दिया।

भोजन करने के उपरांत गायत्री जी ने सौरभ को एक तरफ ले जाकर सब कुछ पूछा।

सौरभ ने बताया फ्लैट के चौकीदार से आपके सपुत्र के नंबर ले लिए थे।

फिर उन्हें समझाया।

इत्तफाक से मेरे मम्मी ,पापा भी वहीं थे। उन्होंने जाकर समझाया और साथ लेकर आए।

आज लिफ्ट में आपकी बात सुनकर ही लगा की बच्चों की थोड़ी सी अनदेखी और लापरवाही से माता पिता को कितनी ठेस पहुंचती है।

फिर मेरे पापा ने मुझे ये सब करने के लिए प्रोत्साहित किया।

गायत्री जी के मन में पूरे परिवार के प्रति सम्मान था। गद-गद हो चुकी थीं वो।

तभी अंकल जी आए और सौरभ के कंधे पर हाथ रख बोले ” थैंक यू बेटा “

कह कर अंकल गाना गाने लगे ” किसी को अपना बना के तुमने मुस्कुराना सीखा दिया”

ढेरों दुआएं ले सौरभ अवि अपने मम्मी पापा को लेकर घर आ गया।

दीपा माथुर

सखियों अपने अनमोल विचारो से अवगत जरूर करवाएं।

और लाइक और फॉलो तो बनता ही है।

धन्यवाद।

#परिवार 

आपकी सखी दीपा माथुर।

error: Content is Copyright protected !!