“क्या माँ, आप ठीक से इंग्लिश भी नहीं बोल पाती हैं। पता हैं, आज आपके गलत इंग्लिश बोलने को लेकर मेरा कितना मजाक उड़ा।”स्कूल से लौटी नन्ही मीनल ने माँ से शिकायत की। बेटी की नजरों में अपनी अवहेलना देख मीता थोड़ा उदास हो गई।उसकी पढ़ाई -लिखाई हिंदी मीडियम से हुई। बच्चों को इंग्लिश मीडियम से पढ़ाने की उसकी जिद की जड़, उसकी कमजोर इंग्लिश थी।
पति प्रखर का टूरिंग जॉब था। बच्चों की पढ़ाई -लिखाई और बाहर का हर कार्य मीता को करना पड़ता था। बच्चों के स्कूल में आज पी टी ऍम था यानि पेरेंट्स टीचर मीटिंग..। प्रखर के टूर पर रहने की वजह से इसबार मीता को बच्चों के स्कूल जाना पड़ा।टीचर के इंग्लिश में बात -चीत के जवाब में मीता टूटी -फूटी इंग्लिश में जवाब दे रही थी। जबकि और पेरेंट्स,अच्छी इंग्लिश में बोल रहे थे। वहीं बात मीनल को बुरी लग गई।
कॉल बेल बजी,देखा मीता की सहेली बेला खड़ी थी। हमेशा चहकने वाली मीता के उदास चेहरे को देख पूछ हीं लिया।”क्या बात हैं मीता “। पहले तो मीता ने टाल -मटोल किया पर, बेला की जिद पर उसने दोपहर की मीनल के स्कूल की बात बता दी।”बस इतनी बात से तू उदास हैं, तू भी इंग्लिश सीख कर अपनी इंग्लिश मजबूत कर सकती हैं “।, पर इस उम्र में .. मीता संकोच से बोली।”
“मीता, कुछ भी सीखने के लिये कोई उम्र निर्धारित नहीं हैं।वक्त बदल गया, औरतें घर के बाहर का दायित्व निभा रही हैं। हर कदम पर चुनौती का सामना कर रही हैं। अपने विकास के लिये जागरूक हैं।जिसको जब मौका मिल रहा, तब अपने शौक पूरे कर रही हैं। पिछले बोर्ड के एग्जाम में मेरे स्कूल में एक माँ -बेटी साथ दसवीं का एग्जाम दे रही थी, क्योंकि माँ की पढ़ाई उनके पेरेंट्स नहीं करवा पाये थे और माँ को पढ़ने की बहुत ललक थी। पढ़ने की उनकी ललक देख बेटी ने घर में सब की सहमति लें अपने साथ उनका फार्म भरवाया। बेटी की कोशिश रंग लाई, माँ भी दसवीं का एग्जाम अच्छे नंबरों से पास कर आगे पढ़ रही।
तुमने सुना होगा, “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती,” वक्त के साथ तू भी आगे बढ़..भाषा सीखने में ज्यादा समय नहीं लगता।”
बेला की बातों से, मीता में उत्साह आ गया। ऑनलाइन इंग्लिश स्पीकिंग का कोर्स ज्वाइन कर लिया। घर में इंग्लिश की किताबें पढ़ना शुरू कर दिया। आखिर मीता की कोशिश रंग लाई, वो इंग्लिश बोलने हीं नहीं, बल्कि लिखने भी लगी। अगली पी टी एम में मीता ने फर्राटेदार अंग्रेजी बोल सबको आश्चर्यचकित कर दिया।प्रखर और बच्चे हैरानी से मीता को देख रहे थे।
एक वक्त वो था, जब मीता इंग्लिश बोलने में घबराती थी, और एक आज का वक्त है मीता फर्राटेदार इंग्लिश बिना किसी डर के बोलती है,।
अक्सर ऐसा होता हैं, हम गृहणी, शर्म से कुछ सीखना भी चाहे तो पहल नहीं कर पाते। जबकि सीखने या सिखाना का पैमाना उम्र नहीं होता। उम्र तो जस्ट नंबर हैं इसको खूबसूरती से संवारना आपका काम हैं।जब भी वक्त आपको अवसर दें,अपनी कोशिशों में रंग भर कर अपने ख्वाब पूरे करें…, ध्यान रखिये वक्त किसी के लिये रुकता नहीं….।
—संगीता त्रिपाठी
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