राधा अपने माता पिता की इकलौती संतान थी,उसके पिता दीनू एक किसान थे और मां मुनिया कुशल गृहिणी थी।
राधा बहुत समझदार और संस्कारी थी।पिता दीनू का बस यही एक सपना था कि वह अपनी पुत्री को पढ़ा लिखा कर आत्मनिर्भर बनाए। जब उसने राधा को पढ़ने के लिए भेजा तो गांववासियों ने तरह तरह की बातें की पर उसने अपनी बेटी राधा का दाखिला सरकारी विद्यालय मे करा ही दिया।
राधा सदा कक्षा मे प्रथम आती, वह दसवीं की परीक्षा मे सारे रामपुर जिले मे प्रथम आई।
गांव मे उच्च शिक्षा का कोई प्रबन्ध नही था इसलिए उसने अपनी बेटी राधा अपने मित्र के यहां जो शहर मे रहता था भेजने की योजना बनाई।
पर इंसान सोचता कुछ है और होता कुछ है।एक दिन रात को
रात को राधा को दिल का दौरा पड़ा और वह भगवान के पास चली गई
। वीनू इस आघात को सहन नहीं कर सका और सदा बीमार रहने लगा, बुखार तो दो दिनों बाद उतर गया पर पेट मे हल्का हल्का दर्द रहता ।राधा बापू के लिए वैद्य जी से दवाई ले आती पर दीनू को कोई फायदा नहीं हो रहा था, वैद्य जी ने एक दिन राधा से कहा -मुझसे जितना हो सका मैने पूरी कोशिश की
तुम अपने बापू को शहर ले जाओ वहां मेरा पुत्र शिवा एक बड़े अस्पताल मे डाक्टर है मै उसके नाम
चिठ्ठी लिख देता हूं वह आप दोनों के रहने का इंतजाम कर देगा।मैने पहले ही उसे सूचना भेज दी है।स्टेशन मे उसका कर्मचारी आकर तुम दोनो को ले जाएगा।
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जहां पर शिवा ने उन दोनों के रहने का इंतजाम किया था वैसे तो सब ठीक था पर शाम के सात बजे के बाद बाहर जाने मे खतरा था क्योंकि असमाजिक तत्वों का जाल फैला हुआ था।बहू बेटियों की इज्जत लूटना, राहगीरों का सामान छीनना आम बात थी।
एक दिन अचानक रात के बारह बजे दीनू के पेट मे दर्द होने लगा।राधा किसी को जानती नही थी,पर बाहर जाने में डर भी रही थी फिर भी वह बाहर निकली।रास्ता सुनसान था,केवल गली के कुत्तों के भौंकने की आवाजें आ रही थीं,जैसे ही वह आगे बढ़ी एक आवाज़ ने उसे रोक लिया
-बिटिया तुम दीनू भैया की बिटिया हो इतनी रात गये कहां जा रही हो?
राधा ने रोते हुए कहा -बापू के पेट मे भयंकर दर्द हो रहा है।
वह एक रिक्शावाला था जो नुक्कड़ में ही रहता था और उसका नाम रामू था।
उसने राधा से कहा -तुम बापू को लेकर आओ और मै अपना रिक्शा लेकर आता हूं।जैसे ही रिक्शावाला रामू ने दीनू और राधा को देखा,वह उन्हें पास ही के सरकारी अस्पताल में ले गया।
डाक्टर ने मरीज का मुआयना करते हुए कहा -घबड़ाने की कोई बात नही,
गैस के कारण दर्द हो रहा है उसने एक पर्ची पर इंजेक्शन लिखकर दिए और जल्दी ही लाने के लिए कहा,इसके पहले कि राधा पर्ची लेती रामू वह लेकर इंजेक्शन लेने चला गया।
पांच मिनट में ही वापस आकर रामू ने वे इंजेक्शन डाक्टर को दे दिया।
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डाक्टर ने कहा -अब मरीज खतरे से बाहर है,आप सुबह उसे घर ले जा सकतें हैं।
रामू ने राधा को चाय और बिस्कुट लाकर दिए और स्वयं बाहर चला गया।
सुबह होते ही रामू दीनू भैया और राधा को लैकर उनके घर पहुंचा आया।
जब रामू जाने लगा तो राधा ने उसे कुछ रूपए देने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया उसने कहा -बिटिया से भी कोई पैसा लेता है।मेरा घर नुक्कड़ में है, कोई जरूरत हुई तो अपने इस गरीब चाचा के पास आ जाना। इतना कह वह वहां से चला गया।
राधा का सिर अपने अनजान चाचा के प्रति श्रद्धा से झुक गया।
#परिवार
स्वरचित सुश्री कान्ता नागी