रात की रानी सी खिली खिली रहने वाली सविता का चेहरा दिन पर दिन और निखरता जा रहा है जिसे देखकर सभी हैरान है, हो भी क्यों ना जिन परिस्थितियों के बीच वो रह रही है उसमें तो अच्छे अच्छों के चेहरे का रंग उड़ जाए,फिर खुलकर हंसना तो दूर चेहरे पर मुस्कान भी दस्तक न दे।
अरे!
मैं तो रोज देखती हूं ना उसको आज की कोई नहीं बात थोड़ी है वर्षों से देख रही हूं।
जब से ब्याह कर आई है तब से तो मुसीबत जैसे इसके पीछे लग गई , कहने वाले कहते भी थे कि जाने किस ग्रह नक्षत्र में ब्याह कर आई कि घड़ी भर सुकून से न बैठी।
आते ही बीमार ननद की तिहमतदारी फिर सास का गुजर जाना, अरे उससे ज्यादा तो चिंता की बात ये पति की नौकरी नहीं।
जब तक सास थी गृहस्थी चल रही थी।बाद में तो बड़ी किल्लतो का सामना करना पड़ा। यहां तक की कभी कभी मैंने चूल्हे को ठंडा भी देखा है मैंने।
कहने को कई भाई बहन , ढेरों करीबी रिश्तेदार,जान पहचान वाले लोग पर मदद को कोई आगे नहीं आया।
खैर आता भी कौन है,कहते हैं ना कि वक्त बुरा हो तो अपना साया भी साथ छोड़ देता है फिर ये तो इंसान हैं वो वक्त कुछ और था जब लोग साथ रहते थे और एक दूसरे का सहयोग किया करते थे , और मुसीबत के क्षणों में हाथों हाथ लेके उबार लिया करते थे।अब तो स्थितियां ये हैं कि बगल वाले को भी खबर नहीं होती दूर की तो छोड़ दो।
अरे कुसूर इंसान का नहीं बदलते वक्त का है आज इतनी व्यस्तता है लोगों के बीच की किसी से किसी को मिलने की फुर्सत ही नहीं है।
ऐसे में इसने कैसे अपनी गृहस्थी संभाला,कि देखने पसीना आता था।
दो बच्चे बीमार पति और टूटी फूटी गृहस्थी।हां टूटी फूटी क्योंकि सास के मरने के बाद बंटवारे में इसके हिस्से उतना ही नहीं आया कि बना खा और सो सके।
पर इसने हिम्मत से काम लिया और खुद निकल कर चार पैसे कमाए।फिर धीरे धीरे गृहस्थी भी जोड़ी , बच्चों को भी पढ़ाया।
और इलाज़ भी किया। साथ ही चेहरे पे मुस्कान धैर्य और साहस भी रखा।
सच में आत्मविश्वास ही तो उसका था जो उसे कठिन परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति दिया रात रानी सा खिला चेहरा कभी मुरझाने नहीं दिया।
मैंने देखा धीरे धीरे वो लोग जो कट गए थे जुड़ने लगे , बच्चे पढ़ लिख गए।और जब सुख के दिन आए तो रात रानी के आब लिए चेहरे पे चल बसी।सच ही कहा है किसी ने कि आत्मविश्वास है तो कोई भी परिस्थितियां इंसान के चेहरे का आब हटा नहीं सकती।
स्वरचित
आरज़ू