प्रेम न जाने जात पात भूख न जाने खिचड़ी भात – के कामेश्वरी 

 प्रणव और शिप्रा प्रेम की अनोखी मिसाल थे । दोनों एक साल से एक-दूसरे से प्यार करते थे ।फ़ोनपर घंटों बातें भी करते थे पर अनोखी बात तो यह थी कि दोनों ने एक दूसरे को अभी तक नहीं देखा था।है न दोनों अनोखे !!!!प्रणव हैदराबाद में रहता था और शिप्रा चेन्नई में । 

दरअसल प्रणव रायचूर के इंजीनियरिंग कॉलेज में अंतिम साल की पढ़ाई कर रहा था । उसके साथ हीउसके कमरे में रहने वाला प्रताप चेन्नई का था ।जो यहाँ पढ़ने आया था ।एकदिन प्रताप अपनीवाट्सप में बहन के द्वारा भेजे गए फ़ोटों को देख रहा था । तभी प्रणव को देख उसने कहा देख रे !!!मेरीफेमली फोटो बहन ने भेजा है । प्रणव ने कहा -अरे वाह !दिखा तो कहते हुए मोबाइल लेकर खुद देखनेलगा । एक फ़ोटो उसकी बहन और उसकी सहेली की भी दिखी कहते हैं न पहली नज़र में ही प्यार होजाता है ।वैसे ही प्रणव उस लड़की को देख देखते ही रह गया । प्रताप को वहाँ न पाकर उस फ़ोटो कोउसने अपने मोबाइल पर भेज दिया । प्रताप के आते ही उसने कहा बहुत सुंदर तस्वीरें हैं ।प्रताप तुम्हारेपरिवार के सब लोग बहुत सुंदर दिख रहे हैं ।सिर्फ़ तू ही मिस है उस तस्वीर में है न  ?

प्रताप भी उदासहो गया और कहने लगा हाँ यार मैं नहीं हूँ न सेमिस्टर की वजह से नहीं जा पाया था । दोनों अपने-अपने पढ़ाई पर ध्यान देने लगे । एक दिन जब दोनों फिर अपने -अपने परिजनों के बारे में बात कर रहेथे …प्रणव ने धीमी आवाज़ में पूछा प्रताप तेरी बहन के साथ उसकी सहेली की तस्वीर भी थी न ? वहभी बहुत सुंदर है ।अगर तू बुरा न माने तो उसका नाम और फ़ोन नंबर अपनी बहन से पूछकर बताएगाक्या? प्रताप ने कहा कौनसी सहेली फिर से एक बार तस्वीरों को देखने लगे ।जब वह तस्वीर आईजिसका ज़िक्र प्रणव कर रहा था !

उसे देखते ही प्रताप ने कहा यह लड़की ..यह तो शिप्रा है मेरी बहनमीना के साथ पढती हैऔर क्या बात है ?यार प्यार व्यार का चक्कर तो नहीं है ? पहली नज़र में हो गयाहै प्यार । अरे ! नहीं रे प्रताप बस देखा तो लगा कौन है ?पूछ लूँ ? सुंदर है न? अगर हुआ तो फ़ोननंबर……. प्रताप ने कहा —ओके -ओके मैं पूछ लेता हूँ । बात आई गई हो गई ।प्रणव रोज प्रताप कीतरफ़ देखता था कि शायद आज नंबर देगा पर प्रताप शायद भूल गया था । 

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एक दिन उसकी बहन का फ़ोन आया था । वह उससे ही बात कर रहा था । जैसे ही उसने प्रणव कोदेखा -उसे याद आया अरे !इसने तो शिप्रा का नंबर पूछा था । मीना तुम्हारी सहेली शिप्रा कैसी है औरतुम दोनों की पढ़ाई कैसी चल रही है ? पूछने लगा । हाँ भाई ठीक है बीच में उसकी माँ की ही तबियतख़राब हो गई थी । वैसे भी उसके पापा ही डॉक्टर हैं तो कोई प्रॉब्लम नहीं हुई ,अब वे ठीक हैं । प्रतापने कहा -अरे ! तू मुझे उसका नंबर भेज मैं भी एक बार उससे बात कर लेता हूँ । मीना ने नंबर दे दिया ।

मीना से बातचीत ख़त्म करके प्रताप ने प्रणव को शिप्रा का फ़ोन नंबर दिया और कहा देख यार कोईऐसी वैसी हरकत न करना जिससे मेरी और मेरी बहन का नाम ख़राब हो और साथ ही शिप्रा भी मेरीबहन की बचपन की सहेली है । वह भी मेरे लिए बहन ही है । प्रणव ने कहा —तू फ़िक्र न कर !मैंबदमाश नहीं हूँ  ।प्रणव ने फ़ोन नंबर तो ले लिया पर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह शिप्रा सेफ़ोन पर कैसे बात करे । रविवार के दिन सुबह -सुबह ही प्रताप की बहन ने वीडियो कॉल किया था ।

माता-पिता के साथ प्रताप की बात कराने के लिए । प्रताप ने प्रणव का परिचय भी परिवार वालों सेकराया । प्रताप बहुत ही हँसमुख था । इसलिए वह लोगों को भी ख़ूब हँसाता था । उस दिन मीनाप्रणव के जोक्स से ख़ूब हँसी । उसने कहा प्रणव भैया आप तो इतने अच्छे हो और इतना हँसाते होबहुत अच्छा लगा आपसे बात करके । कुछ दिनों बाद प्रणव ने शिप्रा के नंबर पर फ़ोन किया । शिप्रा नेअननोन नंबर को देख फ़ोन नहीं उठाया ।जब दो तीन बार बजा तो उसने फ़ोन उठाया । 

उसके फ़ोन उठाते ही प्रणव ने कहा -मेरा नाम प्रणव है । शिप्रा ने कहा ओह प्रणव जी !!!मीना के भाईप्रताप के दोस्त ? अभी -अभी मीना आपके बारे में ही बता रही थी । बहुत ख़ूब नाम लिया और हाज़िर। बताइए हमें क्यों याद किया ? प्रणव ने कहा -देखो शिप्रा मैं बात को घुमा फिराकर नहीं करनाचाहता हूँ । मैंने मीना के साथ का तुम्हारा फ़ोटो देखा था और मैं फ़िदा हो गया था । इसलिए मैंने सोचाकि तुम भी सहमत तो हम आगे बढ़ सकते हैं । प्रणव ने बताया कि उसकी एक बहन है उसकी शादी होगई । पिता की मृत्यु हो गई सिर्फ़ माँ हैं जो बोल नहीं सकती हैं । शिप्रा ने भी बताया कि वही घर कीसबसे बड़ी बेटी है पिता डॉक्टर हैं ।

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माँ घर सँभालती हैं एक भाई है जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहाहै । इस तरह दोनों ने अपने -अपने परिवार का परिचय एक दूसरे को दिया । अब दोनों की मैत्री बढ़तीगई बातों का सिलसिला बढ़ता गया । एक दिन प्रणव ने कहा शिप्रा मैं चेन्नई आ रहा हूँ हम लोगमिलते हैं न अभी तक हमने एक-दूसरे को देखा ही नहीं है । वे अब अपने प्यार को लेकर सीरियस थे ।दोनों एक-दूसरे से शादी करना चाह रहे थे । इसीलिए प्रणव ने यह निर्णय लिया । शिप्रा ने कहाबताओ कब आओगे ?उसने कहा -कल !! शिप्रा से कहा बताओ कहाँ मिलना है ?दोनों ने यह तय करलिया कि कहाँ मिलना है और दूसरे दिन वह हवाई जहाज़ से चेन्नई पहुँच गया । शिप्रा ने उसे एक मॉलका पता दिया और कहा वहाँ आ जाए । 

दोनों के ही दिल धकधक कर रहे थे ।दोनों ने एक दूसरे कोआज तक याने सात महीने हो गए थे नहीं देखा था । फ़ोटो पर तो विश्वास भी नहीं कर सकते कितनीही बातें सुन चुके थे । यह सवाल उठा कि दोनों एक-दूसरे को कैसे पहचानेंगे । प्रणव ने शिप्रा से कहा-वह नीले रंग के जीन पेंट पर लाल रंग की टी शर्ट पहन कर आएगा ।उसने शिप्रा से कहा तुम भी नीलेरंग की जीन पेंट पर लाल रंग की टी शर्ट पहन लो आसानी होगी पहचानने में !!!शिप्रा ने हामी भर दी ।सुबह दस बजे तक फ़्लाइट आ जाएगी और मॉल तक पहुँचने में कम से दो घंटे तो लग ही जाएँगे तबतक धीरे-धीरे दुकान भी खुलने लगेंगे ।यह सोचकर शिप्रा उसी हिसाब से तैयार हुई । घर में सबकोमालूम है कि दस बजे कॉलेज का समय है ।

माँ से उसने कहा -माँ आज एक्स्ट्रा क्लास है …थोडी देर होजाएगी । शिप्रा अब बेफ़िक्री से मॉल पहुँची उसे वहाँ पहुँचने के लिए एक घंटा लगा । जान बूझकर हीउसने शहर से बाहर खुला नए मॉल को चुना ताकि कोई पहचान वाले न देख सके । 

वहाँ प्रणव का इंतज़ार करते -करते उसने मीना को भी फ़ोन पर बता दिया कि आज वह कॉलेज नहींआ रही है । अभी वह बातें कर ही रही थी कि उसके सामने एक टेक्सी आकर रुकी ।शिप्रा ने फ़ोनकाटकर उसमें से उतरने वाले शक्स को देखा ।उसका दिल धक से रह गया वह प्रणव था । बहुत हीहेंडसम लग रहा था । प्रणव टेक्सी से उतरा और उसे पैसे देकर पलटा तो शिप्रा को नीले रंग की जीनपेंट और लाल रंग की टी शर्ट में देखा और देखता ही रह गया ।इतनी सुंदर एकदम गोरी घुंघराले बाललाल रंग की टी शर्ट में तो वह अप्सरा लग रही थी । दोनों ने एक दूसरे की तरफ़ अपना हाथ बढ़ायाऔर हेलो कहा !!!!तब तक मॉल की दुकानें भी खुल रही थी ।दोनों हाथ पकड़कर मॉल के अंदर गए ।उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे उनकी बहुत बडी जीत हो गई है । दिनभर बातें कम और एक दूसरे को देखनेमें ही उन्होंने समय बिताया । उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था । प्रणव ने बताया कि उसे हैदराबाद में हीनौकरी मिल गई है ।

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 शिप्रा बहुत खुश हुई उसका भी एम बी ए ख़त्म हो रहा था ।लास्ट सेमेस्टर चलरहा था । दोनों ने सोचा जैसे ही शिप्रा का एम बी ए हो जाएगा घर में बताएँगे । शाम होने लगी ।प्रणवने कहा -शिप्रा मेरी फ़्लाइट है ,पाँच बजे की ,मुझे निकलना पड़ेगा । बहुत ही बुझे दिल से दोनों नेएक-दूसरे को अलग किया । प्रणव की टेक्सी आ गई और शिप्रा को बॉय बोलकर वह टेक्सी में बैठगया । शिप्रा घर पहुँची । अभी उसने कॉफी का मग  अपने हाथों में उठाया ही था कि प्रणव का फ़ोनआया ।वह सही सलामत पहुँच गया है । अब तो यह सिलसिला चलता रहा ,कभी शिप्रा हैदराबादजाती तो कभी प्रणव चेन्नई पहुँच जाता ।

 घर वालों से छिपकर उन्होंने छह महीने तक मजे किए …परंतुएक दिन शिप्रा की हैदराबाद से आने वाली फ़्लाइट लेट  हो गई तो उसे घर पहुँचने में भी देरी हो गई ।पिता ने आड़े हाथों लिया ।पहले तो वह कुछ बहाने बनाती और माता-पिता उसे मान भी लेते थे क्योंकिमाता-पिता को अपने बच्चों पर एक अंधा प्यार होता है ।बच्चों के बारे में पूरी दुनिया को पता चलता हैपर माता-पिता को देर से पता चलता है क्योंकि वे अपने बच्चों पर आँख मूँदकर विश्वास करते हैं ।

अभी भी वे विश्वास कर लेते थे पर कल ही शिप्रा के पिता को किसी दोस्त ने उसे हैदराबाद में देखनेकी बात बताई ।  वह हैदराबाद किसी काम से गए थे और शिप्रा भी उसी फ़्लाइट में आई थी । शिप्राकी बहुत धुनाई हुई मार पीटकर उससे प्रणव के बारे में पूछा गया पर शिप्रा ने मुँह नहीं खोला आख़िरपिता ने उसे कमरे में बंद कर दिया और उसका मोबाइल भी छीन लिया । इधर प्रणव को फ़िक्र हो रहीथी कि शिप्रा को एक तो फ़्लाइट दूसरी पकडनी पड़ी और देर होने के कारण वह घर ठीक ठाक पहुँचीकि नहीं रात भर वह सो न सका !!! दूसरे दिन सुबह सुबह ही उसने प्रताप को फ़ोन करके सारी बातेंबताई ।अब तक तो प्रताप और उसकी बहन मीना को भी इनकी प्रेम कहानी की ख़बर हो चुकी थी ।

मीना से रिक्वेस्ट करके उसे शिप्रा के घर भेजा गया और उसे सारी बातें समझाई गई कि कॉलेजलाइब्रेरी में पुस्तकें जमा करने का लास्ट डे है कहकर उसे बाहर लाएँ और हैदराबाद भेज दो मैं देखलूँगा । मीना ने सारी बातें सुनीं और अपने साथ पुस्तकों को लेकर शिप्रा के घर पहुँची ।शिप्रा की माँ सेलाइब्रेरी का बहाना बताकर बड़ी मुश्किल से उसे बाहर लाई । प्रणव ने प्रताप की मेल से फ़्लाइटटिकट भेजा था बस शिप्रा को हैदराबाद की फ़्लाइट में बिठा दिया । 

प्रणव ने शिप्रा को हैदराबाद में रिसीव किया और दोनों एक होटल में बैठकर आगे के बारे में सोचने लगे। प्रणव ने कहा मंदिर में जाकर शादी कर रहे हैं ,ऐसे फ़ोटो खींच कर तुम्हारे माता-पिता को भेज देते हैं। देखते हैं वे क्या करते हैं । दोनों मंदिर पहुँचे और अपनी शादी की झूठी तस्वीरें खींच लिया । शिप्राशाम को वापस चेन्नई आ गई और पिता के आने से पहले कमरे में जाकर बैठ गई । दूसरे दिन उसकेपिता के नाम पर कोरियर आया ।पिता ने लिफ़ाफ़ा खोला और उसे देखते ही शिप्रा की माँ को पुकारतेहुए ही सोफ़े पर गिर जाते हैं ।  शिप्रा की माँ जानकी भाग कर आती है और पति को उस तरह सोफ़े परबैठे देखती है और पूछती है कि क्या बात है क्यों चिल्ला रहे हो क्या हो गया है आपको । 

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उन्होंनेजानकी के हाथ में लिफ़ाफ़ा पकड़ा दिया । जानकी तो रोने ही लगी अब क्या करें  ? उन्होंने सोचाशादी तो हो गई ।अब कुछ नहीं कर सकते हैं ।इसलिए शिप्रा को बुलाते हैं और फ़ोटो दिखाकर पूछतेहैं कि आख़िर यह सब क्या है ? शिप्रा को प्रणव ने जो कुछ भी अपने बारे में बताया वही उसनेमाता-पिता को भी बता दिया । दोनों ने कुछ नहीं कहा और उससे कहा कमरे में जा । शिप्रा लोग तेलुगुनायडू थे और प्रणव लोग नायक थे ख़ैर अब इन सबसे कोई फ़ायदा भी नहीं था । 

दो तीन दिन घर में मातम -सा छाया रहा ।किसी को किसी की चिंता न थी ।सब ज़िंदा लाश की तरहघर में घूम रहे थे । शिप्रा के पिता अनिल के बचपन के दोस्त रामप्रसाद थे ।जो चेन्नई आए हुए थे ।वेहैदराबाद में सालों से रह रहे थे । उनकी बेटी का ब्याह करके उसे चेन्नई भेजा था ।कई दिनों से बेटीबुला रही थी ..तो सोचा चलो एक बार उससे भी मिल लूँगा और चेन्नई के स्कूल के दोस्तों से भी मिललेता हूँ ।यह सोचकर चेन्नई आए थे । सबसे पहले अनिल के घर पहुँचे क्योंकि वहाँ से ही दोनोंमिलकर दूसरे दोस्तों से मिलने जाने वाले थे । इसलिए दोनों बैठ कर बातें करते हुए चाय पी रहे थे ।

अनिल अनमने से ही थे । रामप्रसाद ने पूछा क्या बात है अनिल उदास है मुझे नहीं बताएगा ?अनिल नेकहा -अरे कुछ नहीं ? यह कहते हुए कहा -तुम हैदराबाद में सालों से रह रहे हो न वहाँ कहाँ रहते हो ? उन्होंने ने कहा -रामनगर में रहता हूँ यह सुनते ही अनिल ने पूछा वहीं एक नायक परिवार रहता है जानतेहो । रामप्रसाद ने हाँ हाँ क्यों नहीं वे तो हमारे घर के पास ही रहते हैं ।बहुत ही मालदार पार्टी है ।यारसब भाई मिलकर एक ही जगह रहते हैं ।खाना अलग -अलग बनाते हैं पर एक  ही बिल्डिंग में रहते हैं ।

बहुत प्यार है भाइयों के बीच उनके एक भाई की मृत्यु हो गई पर भाभी और उनके बच्चों को उन्होंने हीसंभाला क्योंकि उनकी भाभी गूँगी है पर बच्चे दोनों बहुत अच्छे हैं ।बेटी ब्याह करके पूना चली गई है ।अब सिर्फ़ बेटा बचा है जिसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और अब नौकरी भी कर रहा है । मेरे ख़यालसे तो वह बिना नौकरी किए भी अपनी ज़िंदगी आराम से गुज़ार सकता है पर नहीं उसे भी अपने पैरों परखड़ा होना था ।इसलिए उसने नौकरी कर ली । यह सब सुनकर अनिल की जान में जान आई ।उन्होंनेसोचा चलो बेटी ने ब्याह किया भी तो अच्छे घर में किया फिर वे दोनों दूसरे दोस्तों से मिल आए ।

अबअनिल सबसे चहक – चहक कर बातें कर रहे थे । रात को घर आते ही शिप्रा से पूछताछ की और कहाप्रणव से पूछो उनके परिवार वालों से कब मिलने आएँ । शिप्रा ने प्रणव को सारी बातें बताई । प्रणव नेकहा मैंने भी घर में सबको बता दिया है और तुम्हारे फ़ोटो को भी दिखा दिया है सब राज़ी हो गए हैं ।दीदी जीजाजी भी बहुत खुश हैं ।अब तुम अपने माता-पिता को भेज सकती हो । 

दोनों खुश थे ।उन्होंनेसपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी आसानी से सब मान लेंगे । अनिल अपनी पत्नी जानकी के साथप्रणव के घर पहुँचे ।सबसे बात किया सबने इनका दिल से स्वागत किया था ।बस फिर क्या चटमँगनी पट ब्याह दोनों के शादी का मुहूर्त भी निकाल दिया ।अनिल ने प्रणव के घर वालों को इन दोनोंकी शादी का फ़ोटो दिखाया । उसे देखते ही प्रणव के परिवार वालों ने कहा कोई बात नहीं है अनिलजी हम अच्छे से सब लोगों के सामने इनका ब्याह कराएँगे । एक महीने बाद उन दोनों की शादी बड़े हीधूमधाम से हुई ।हज़ारों लोगों का आशीर्वाद मिला । आख़िर प्यार की जीत हो ही गई । 

इसलिए तो कहते हैं “प्रेम न जाने जात पात, भूख न जाने खिचड़ी भात “

स्वरचित 

के कामेश्वरी

#प्रेम 

के कामेश्वरी

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