“मां मैं दफ्तर के लिए जा रहा हूं घर का और अपना ध्यान रखना। आपको कुछ चाहिए तो मुझे फोन कर देना, मैं वापस आते समय लेता आऊंगा चलता हूं। सुमन मैं जा रहा हूं मुझे गाड़ी की चाबी दे दो और गेट बंद कर लो।” राजीव अपनी मां कावेरी देवी और पत्नी सुमन से कहता है।
सुमन मुस्कुराकर बोली “राम और कौशल्या का मिलन हो गया हो तो दफ्तर जाइए। आप यहां की चिंता मत कीजिए मैं हूं और आप इस उम्र में भी मांजी से उम्मीद रखते हैं कि वो घर की देखभाल करेंगी..! अरे जो अपने कमरे से भी गिनकर दो बार बाहर निकलती हैं उनसे आप क्या उम्मीद रखते हैं।”
राजीव धीरे से बोला “मैं मां से उम्मीद नहीं रखता बल्कि उन्हें उम्मीद देता हूं कि आज भी वो इस घर में सब कुछ हैं। जिस तरह पुराने बरगद के पेड़ की छाया से ठंडक मिलती है, उसी तरह बूढ़े बुजुर्ग को भी इस बात का एहसास दिलाया जाता है कि आज भी आपके बच्चे आपके साथ हैं। तुम ये अभी नहीं समझोगी क्योंकि तुम्हारे बच्चे अभी छोटे हैं चलो मैं चलता हूं।”
शाम में दफ्तर से लौटने के बाद राजीव सबसे पहले अपनी मां के कमरे में उनका हालचाल पूछते। बाद में फ्रेश होकर राजीव हॉल में बैठे और बोले “सुमन चाय पिला दो बहुत थक गया हूं। मां ने कुछ खाया है कि नहीं अरे मां आपने कुछ खाया कि नहीं, आ जाओ रामायण लगाता हूं फिर हम दोनों मिलकर देखेंगे।”
थोड़ी देर में सुमन चाय लेकर आई और देते हुए बोली “सुबह जाते हैं तब भी मां का जाप करते हैं आकर भी आप वही कर रहे हैं..! मेरी मां का ध्यान नहीं रखती, ये मां मां सुनकर मेरे कान पक गए हैं कोई और शब्द भी दोहराया करो। सामने बीवी रहती है फिर भी छोटे बच्चे की तरह मां मां की रट लगाते हो, मर्द हो कोई छोटे बच्चे नहीं लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे आप तो कुछ सोचते ही नहीं है।”
राजीव हंसकर बोला “जाने क्यों ये समाज हम मर्दों को इतना कठोर बना देता है! तुम मर्द हो तुम रो नहीं सकते, तुम पर कई जिम्मेदारियां होती है तुम पिता हो तुम मां की तरह आंसू नहीं बहा सकते। लोग क्यों भूल जाते हैं कि ये मर्द भी कभी किसी का बच्चा था, किसी मां के आंखों का तारा था। जिसे आज भी दर्द होता तो जुबान पर मां ही आता है, पत्नी के आने के बाद मां का प्यार, उनकी आंखों की उम्मीद खत्म नहीं हो जाती है।”
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धीरे-धीरे राजीव की मां भी हॉल में आकर बेटे के बगल में बैठ गई। बेटा इस उम्र में भी मां की गोद में सर रखकर, मां के हाथ को अपने सीने पर रख राहत की सांस ले रहा था, मां उसके बालों को सहला रही थी और उसकी थकान मिटा रही थी।
सुमन बोली “देख रही है मम्मी जी, पूरे दिन घर का और इनका ख्याल रखती हूं पर एक बार भी मेरा नाम नहीं लेते..! इस उम्र में भी इन्हें मां का लाडला बनकर रहना है, अब तो मैं भी चाहती हूं मेरा बेटा बड़ा हो जाए और मेरा नाम जपता रहे।”
कावेरी जी बोलीं “बहू अब तो ये तुम्हारा ही है। बस कुछ पल जीवन के बच्चे हैं जो इसके साथ बिताने दो, कल को जब मैं नहीं रहूंगी तो बस मेरी यादें एहसास बनकर इसके साथ रहेंगी। जितना ये अपनी मां से प्यार करता है मैं करती हूं कि तुम्हारा बेटा भी उतना ही तुमसे प्यार करें।”
राजीव बोला “मां इसकी बातों पर ध्यान मत दो जाने क्यों लोग भूल जाते हैं कि मर्द के सीने में भी दिल होता है, उसे भी मां की याद आती है। उम्र हो जाने के बाद बचपन के एहसास खत्म नहीं हो जाते हैं, उसी तरह बीवी के आने के बाद मां का प्यार और उसकी उम्मीद खत्म नहीं होती मुझे लगता है ये मुझे देखकर जलती है।” इतना कहकर राजीव हंसने लगे।
ऐसी मस्ती मजाक रोज चलती थी। कुछ रोज बाद सुमन अपने बेटे को किसी बात के लिए समझा रही थी “तुम लड़के हो बात बात पर यू रूठा ना करो, बड़ा होकर मजबूत बनना है या पापा की तरह बस मां का लाडला बनना है।”
राजीव बोला “बेटा तुम्हारी मम्मी सही कह रही है..! ये जो हट्टा कट्टा 45 साल का आदमी खड़ा है वो भी अपनी मां का लाडला ही था, जो आज जोरू का गुलाम बनकर रह गया है।” बेटा हंसकर वहां से चला गया और सुमन राजीव को आंखें दिखाने लगी तो राजीव भी हंसकर वहां से चुपचाप चला गया।
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सुमन उसके पीछे-पीछे कमरे तक गई और बोली “मैं कौन सा आपको आपकी मां से दूर रहने कहती हूं। दिन भर तो उनका नाम मत जपा करो क्योंकि मुझे तो लगता है जैसे मैं घर में रहती ही नहीं! दिनभर आपका ख्याल मैं रखती हूं और आप मां की रट लगाते हो बताओ मुझे बुरा नहीं लगता..?”
राजीव ने बड़े प्यार से सुमन को अपने साथ बिठाया और बोला “एक बात कहूं तुम मेरे बारे में सब कुछ जानती हो। मुझे खुद से ज्यादा तुमसे उम्मीद है क्योंकि तुम मेरा, मेरे बच्चों का और मेरी मां का सबका ध्यान रखती हो। पर एक बात जानती हो, मेरी मां ही नहीं बल्कि दुनिया की हर मां बहुत बड़ा त्याग करती है जो तुम भी आगे चलकर करोगी।”
सुमन बोली “ऐसा कौन सा त्याग आपकी मां ने किया है जिसके लिए आप इतने भावुक हो जाते हैं! मैं भी तो जरा सुनू कि मैं कौन सा त्याग करने वाली हूं..?”
राजीव बोले “एक मां अपने बेटे के विवाह के उपरांत अपने बेटे को अपनी बहू को सौंप देती है। वो त्याग नहीं तो और क्या है..? जो पहले मेरी मां मेरे कमरे में बेधड़क आ जाया करती थी, आज दरवाजे पर दस्तक देकर आती है।”
सुमन बोली “हां ये तो अच्छे व्यवहार की निशानी है। बेटे-बहू कमरे में हैं तो दरवाजे पर दस्तक देना ही चाहिए, इसमें कौन सी बड़ी बात है।”
राजीव हंसकर बोले “यही तो कहते हैं पत्नी जीवन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखती है परंतु वो मां के एहसासों की जगह नहीं ले सकती। क्योंकि वो स्थान मेरी मां ने तुम्हें दिया है, मेरी मां को पता है रात में मुझे प्यास लगती है। तुम हर रोज कमरे में पानी रखती हो लेकिन कई बार तुम भूल जाती हो, मां हर रोज नियम वध एक बोतल पानी भरकर मेरे दरवाजे के पास रख कर सोने चली जाती है। ताकि जब मुझे प्यास लगे तो मुझे ज्यादा दूर जाना ना पड़े।”
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सुमन बोली “अच्छा तो ये मांजी हैं जो रोज एक बोतल पानी दरवाजे पर रख कर जाती है..! मैं सोच रही थी कि बच्चे शरारत करते हैं, इसलिए मैं कभी से पूछती नहीं थी।”
राजीव बोले “यही तो मैं तुम्हें समझाना चाहता हूं कि मां को मेरी चिंता होती है। उसे एहसास है कि उसके बच्चे को रात में प्यास लग सकती है, इसलिए वो तुमसे भी नहीं कहती बस वो इस उम्र में भी अपना कर्तव्य निभा रही है। मैं भी बस मां को ये एहसास दिलाना चाहता हूं कि पत्नी के आने के बाद भी उनकी अहमियत कम नहीं हुई है, आज भी मुझे उनके प्यार का एहसास है।”
सुमन बोली “मुझे माफ कर दीजिए मैं आपकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहती थी। मुझे लगता था कि आप मुझसे ज्यादा अपनी मां से प्यार करते हैं।” राजीव हंसकर बोला “वो तो मैं करता हूं क्योंकि वो मेरी जननी है और तुम मेरी पत्नी हो। मेरे जीवन पर तुम दोनों का बराबर का अधिकार है, पर बीवी के आने के बाद मां का प्यार और उसकी उम्मीद का वो एहसास कम नहीं होता।”
अब जब कभी राजीव मां मां की रट लगाता सुमन मुस्कुराकर अपने लाडले को गले से लगाती और कहती “मेरे पास भी मेरा बेटा है, उसे भी एहसास है कि उसकी मां उसके बहुत करीब है।” सुमन की सास परिवार में एक-दूसरे के लिए इतना प्यार देखकर खुशी से मुस्कुराती और उनकी आंखें आने वाले कल के एहसासों से भर जाती थी।
दोस्तों मानती हूं मर्द अपनी भावनाएं जताते नहीं परंतु जितना हम औरतों को अपनी मां के लिए प्रेम रहता है उतना ही एक मर्द को भी अपनी मां से प्रेम रहता है। ये दोनों की रिश्तों की महानता है कि रिश्ते बदल जाने के बाद भी, मां का एहसास ना तो औरत के लिए कम होता है ना मर्द के लिए । जिस तरह से जीवन में पति के आ जाने के बाद भी पिता का महत्व कम नहीं होता, उसी तरह बीवी के आने के बाद मां का प्यार और एहसास कम नहीं होता।
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#उम्मीद
निधि शर्मा