पति परमेश्वर – डा. मधु आंधीवाल

करवा चौथ का व्रत सुहागिनें बहुत खुशी से रखती हैं ।पति की लम्बी आयु के लिये पत्नियाँ पूरी तरह समर्पित होती हैं। मंजरी भी बहुत खुश थी । शादी के बाद उसकी पहली करवा चौथ थी । वह इसे जीवन की यादगार करवा चौथ बनाना चाहती थी । अनुज उसका पति एक उच्च अधिकरी ऊपर से बहुत सख्त मिजाज । मंजरी बहुत छोटे परिवार से आई थी । सुन्दर इतनी थी कि लगता ईश्वर ने अपने हाथ से फुर्सत में बनाया हो और इसी सुन्दरता के कारण अनुज के माता पिता ने मंजरी को अपने घर की बहू बनाने का फैसला किया था । अभी कुछ समय ही तो बीता था शादी को  पर वह अनुज के साथ रह नहीं पायी थी ना अनुज की तरफ से कोई विशेष रुचि व्यक्त हुई

 थी । वह सोचती थी कि अनुज बहुत व्यस्त हैं। 

           आज घर में बहुत चहल पहल थी । त्यौहार का दिन था वैसे भी ससुर जी काफी रूतबा वाले शख्स थे ।वह आज बहुत बेताबी से अनुज का इन्तजार कर रही थी । शाम हुई परिवार की सब महिलायें और आस पास की महिलाएं  सजधज के उनकी कोठी के लान में इकठ्ठी हो गयी । रमिया और कालू दोनों पति पत्नी थे व घर के बहुत पुराने नौकर थे । रमिया से मालूम हुआ कि हर साल सब महिलाएं यही पर एकत्रित होकर पूजा करती हैं।

       सबने पूजा करली बस चांद निकलने का इन्तजार कर रहे थे सबके पति देव भी आ चुके थे ।समय बीत रहा था । वह बहुत बैचेन थी  किससे पूछे महिलाओं में कानाफूसी भी हो रही थी । उसने अपनी सास जी की तरफ देखा वह भी परेशान थी । उसने रमिया से पूछा कि अनुज कब आयेगे । तब उसने कातर निगाहों से देखा और कहा किसी को कहना नहीं वह तनुजा के पास हैं और उनसे वह कोर्ट मैरिज कर चुके हैं। घर वालों को पता था पर तनुजा को अपनाना ससुर साहब की तौहीन थी इसलिये आपको बहू बनाकर लाये । वह सोच रही थी कि उसका चांद कहां है  उसे अपनी चांदनी की व्याकुलता का जरा सा भी ख्याल नहीं । जिसकी लम्बी आयु के लिये उसने व्रत रखा है। उसने कातरता से ऊपर देखा सब सुहागिनों का चांद मुस्करा रहा था । 

#समझौता

स्वरचित

डा. मधु आंधीवाल

अलीगढ़

 

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