पत्थर दिल – खुशी : Moral Stories in Hindi

राघव एक जिंदा दिल लड़का था जो सोते जागते दूसरों की मदद को तैयार रहता सब कहते इसका दिल सोने का है सबकी मदद करता है।घर में दो भाई और मां थे। बड़ा भाई विनय खेती करता था और छोटा भाई मेकेनिक था।

उसी को काम करता देख राघव कहता मै भी बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूमूंगा।भाभिया कहती पहले कुछ करो तो सही भाइयों के टुकड़ों पर पलते हो।पर मां लक्ष्मी और विनय उसे बहुत प्यार करते और जो वो समाज सेवा करता वो भी उनसे मिले जेब खर्च से ही करता।

एक दिन राघव विद्यालय के आंगन में बैठा था तो उसके अध्यापक विपिन जी वहां आए बोले ऐसे क्यों बैठा है दसवीं का साल है पढ़ ले उसने कहा जी मास्टरजी ।विपिन जी ने पूछा आगे क्या करेगा।राघव बोला बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूमूंगा।

विपिन जी बोले उसके लिए तो बहुत मेहनत लगती हैं तू पढ़ाई कर तभी ये सपना पूरा कर पाएगा।विपिन जी की सलाह राघव के दिल में घर कर गई।अब वो ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ाई में लग।ता।दसवीं अच्छे  नंबरों से पास कर वो शहर चला गया पढ़ने  भाभियों ने कहा अब हमारे भी तो बच्चे है

इस पर कब तक पैसा लुटाओगे। विनय बोला हम सब में यही होशियार है देखना यही हमारा भाग्य बदलेगा और बच्चों को भी पढ़ाएगा। मां ने गहने बेच और विनय ने कुछ पैसा उधार ले उसका एडमिशन करवा दिया।पहले पहल तो कोई भी राघव से बात नहीं करता

पर कक्षा में उसकी हाजिर जवाबी देख और अध्यापकों का उसके लिए प्रेम देख सब उसके मित्र बन गए और वो दिन भी आया जब वो सिविल इंजीनियर बन गया और बड़ी कंपनी में उसकी नौकरी लग गई।पर इतने सालों में अपनी तारीफ सुन कर राघव में घमंड आ गया था

जो राघव बचपन में दूसरे के दुख से दुखी हो जाया करता आज उसे किसी की कोई जरूरत नहीं थी।राघव को नौकरी लगी वो गांव आया देखा वहां सिर्फ विनय भैया का परिवार है छोटा भाई विजय अपने परिवार के साथ अपना हिस्सा ले जा चुका था वो भी कही शहर में रहता था।विनय खेती कर रहा था।

बच्चे उसके स्कूल में पढ़ रहे थे घर में बीमार मां थी।कुल मिला स्थिति अच्छी नहीं थी।शाम को सब खाना खा रहे थे तब राघव बोला भैया आपने विजय भैया को हिस्सा दे दिया और मुझे नहीं ये तो सही नहीं।मां बोली अरे तुझे पाला पोसा पढ़ाया लिखाया सब विनय ने कौन सा हिस्सा मांग रहा है।

तेरी पढ़ाई के लिए जो पैसा ब्याज पर लिया था वो भी तो यही भर रहा है उलट इसका भार कम करने की बजाय तू हिस्से मांग रहा है।भाभी बोली मै हमेशा कहती थी सब बदल जाएंगे पर तुम्हे तुम्हारे भाइयों पर बड़ा विश्वास था ।

पहले को मैकेनिक की पढ़ाई करवाई वो अपनी राह चल पड़ा दूसरे को इतना महंगा पढ़ाया लिखाया वो हिस्सा मांगने आ गया।राघव बोला मैने कुछ गलत नहीं कहा।मां बोली रे राघव तू इतना पत्थर दिल कैसे हो गया कहा लोग तुझे सोने के दिल वाला कहते थे

वो भी इसी भाई के दम पर और तू छी मुझे शर्म आ रही हैं। राघव बोला ठीक है किसी को मुझसे रिश्ता रखने की जरूरत नहीं मै जा रहा हूं।राघव शहर आ गया और नौकरी करने लगा ।तरक्की होती गई और वो आगे बढ़ता रहा।

परिवार बढ़ा पत्नी रीना दो प्यारे बच्चे रीवा और राहुल जो बस पापा पापा करते और राघव अपने परिवार को देख खुश होता।जब बच्चे बड़े हुए तो उनकी अपनी दुनिया थी वो बाप को तभी याद करते  जब कोई मतलब होता।

राहुल फाइनल ईयर में था राघव ने उसे कोई कंपनी ज्वाइन करने की सलाह दी वो चिल्लाते हुए बोला पापा जस्ट चिल अlपने हमे पढ़ाया बहुत एहसान  किया क्या उसके लिए हम सब छोड़ बैठ जाए। बेटी ट्रिप पर गई वहां से फोन कर पैसों की डिमांड कर रही थी

इतनी रकम ना देने पर उसने भी राघव को चार बाते सुना दी।इसी बीच राघव की तबियत खराब हो गई उसे पैरालिसिस का अटैक आया जिसमें उसका सीधा हिस्सा काम करना बंद हो गया।वो बिस्तर पर आ गया उसके कमरे में कोई नहीं आता।

बच्चे अपनी दुनिया में मस्त बीवी किट्टी पार्टी में मस्त सिर्फ पैसों के लिए उसकी जरूरत सब पत्थर दिल हो चुके थे राघव लेटे लेटे सोच रहा था जब बोया पेड़ बबूल का तो आम कहा से आए।मैने भी तो विनय भैया के साथ यही किया था।

तब मेरा पत्थर दिल ना पिघला जिन्होंने मुझे मानवता का पाठ पढ़ाया मैने उन्हीं से दगा किया।फिर राघव ने अपने अकाउंटेंट को गांव भेज 50 लाख रुपए विनय भैया के लिए भेजे और एक चिट्ठी भाई शायद मेरा गुनाह तो बहुत बड़ा है जिसकी सजा में भुगत रहा हूं आपका जो कर्ज था वो लौटा रहा हूं।आपका पत्थर दिल भाई

राघव।

विनय अकाउंटेंट को रोकता रहा पर राघव के कहे अनुसार वो गाड़ी में बैठ निकल लिया।क्योंकि राघव अब अपने भाई को दुखी नहीं करना चाहता था।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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