परिवार ज़िम्मेदारी या परेशानी – रश्मि प्रकाश: Moral Stories in Hindi

“ समझ नहीं आ रहा तुमसे ये सब कैसे कहूँ… पर नहीं कहूँगा तो तुम तो बवाल कर दोगी…फिर बीपी हाई करके  बैठ जाओगी और खुद के और मेरे लिए टेंशन ..।”अपनी बात रखने के लिए कमल जी ने पहले ही अपनी पत्नी राधिका को इस बात का एहसास करवा दिया कि वो कभी भी सीधे तरीक़े से बात सुनती नहीं है ।

“ आप टेंशन मत लीजिए वैसे भी मुझे आदत हो गई है इस सबकी… अब आगे कहिए काहे को फ़ोन किया अम्मा ने… अब किसको कौन सी ज़रूरत आन पड़ी?” राधिका जो अपने ससुराल वालों के हर बार के फोन से ये समझ चुकी थी कि फिर से छोटे बेटे को लाग लपेट कर अम्मा अपना दुखड़ा सुना कर मदद की गुहार लगा चुकी है ।

“ अब शांति से सुनो राधिका…और ये बताओ करूँ तो क्या करूँ….कमाने वाला मैं एक इकलौता घर में…..!”कमल जी लाचारी से बोले 

“ देखो जी ज़रूरत कभी कभी पड़े तो मदद करने से मना ना करती पर जब देखो तब …उन्हें अपनी छोड़ो उस बेटे की परवाह ज़्यादा रहती जो कोई काम धाम ना करता… माँ के पास रहने से ही माँ का बेटा कहलाया जाता है क्या… और जो तुम मर खप कर काम करते खुद की तबियत एक तरफ़ रख उन लोगों के एक फोन पर पैसे ,डॉक्टर, दवा सब में लग जाते हो … मुझे ग़ुस्सा आता है… अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ कर देते हो..उन्हें क्या पता तुम और मैं भी शारीरिक परेशानी झेल रहे हैं..उन्हें तो वो बेटा बहू और बस अपनी ही फ़िक्र सताती और अब उनके बच्चों को भी देखो… चलो जो करना करो मेरा तो उनका फ़ोन आते दिमाग़ ख़राब हो जाता।” राधिका वहाँ से उठ कर चली गई 

जानती ही थी पति करेंगे वही जो उन्हें करना है पर आख़िर कब तक और वो लोग जो अपना दुखड़ा रोते रहते उन्हें कब समझ आएगी कि सामने वाले का भी अपना घर परिवार बीबी बच्चे हैं खर्चे उनके भी कम नहीं होते होंगे पर अम्मा वो क्यों नहीं समझती…अपने समय में सब से अलग थलग रही …हमेशा अपने मन का करती रही…बाबूजी कितना चाहते थे गाँव  का घर जहाँ उनके माता-पिता रहते हैं थोड़ी मरम्मत करवा दे पर सासु माँ आग बबूला हो खाना पीना बंद कर एक कमरे में पड़ी रहती बोलचाल तो बंद ही रहता हार कर बाबूजी कभी गाँव का घर ठीक ना करवा पाए और अब तो करने को वो इस दुनिया में ही नहीं है ।

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कमल जी अपनी ज़िम्मेदारियों के निर्वहन में लग गए…राधिका पति से इन बातों के लिए लड़ती झगड़ती टेंशन करती पर कमल जी के कानों पर जू ना रेंगा वो बात ख़त्म करने को कह देते वो टेंशन देते है तो तुम कौन सा कम करती हो तुम भी तो टेंशन दे देती हो ।

अचानक एक दिन कमल जी की तबियत खरब हो गई…अस्पताल में भर्ती होना पड़ा…राधिका और उसका बेटा जो अभी कॉलेज की पढ़ाई कर रहा था छुट्टी लेकर कैसे भी घर आया पता था पापा की तबियत ख़राब होते ही माँ परेशान हो अपनी तबियत बिगाड़ लेंगी ।

अस्पताल में दूसरा दिन ही था कि कमल के फ़ोन पर अम्मा का फ़ोन आया … कमल को सोता देख राधिका ने झट से फ़ोन उठा धीमी आवाज़ में हैलो करते कमरे से बाहर निकल गई

“ हाँ अम्मा जी प्रणाम।”राधिका 

“ हा हा सदा सुहागन रहो… कमल किधर है.. जरा उससे बात करवा ज़रूरी बात करनी है ।”अम्मा 

“ अम्मा उनकी तबियत सही नहीं है… अस्पताल में भर्ती है दवा खाकर सो रहे जो बात है हमसे कहें ।”राधिका 

“ तू क्या करेंगी सुन कर हमार बिटवा से झगड़ा करके उसको टेंशन देगी .. चल वो उठे तो कह देना तनिक भाई परेशान है उसकी थोड़ी सुध लें लेवे ।”अम्मा 

“ अम्मा आपको समझ नहीं आ रहा कह रही हूँ ये अस्पताल में भर्ती है … तबियत ख़राब है पर आपको काहे इनकी परेशानी दिखेंगी आपके लाडले तो भाई साहब है ना…  जब देखो तब उनको लेकर इनको परेशान करते रहते है आप लोग …आज अस्पताल में है तो भी आपको भाई साहब की परेशानी दिख रही है…आप लोगों से वो तो कुछ कहते ना है पर यक़ीन मानो…वो भी परेशान है पर आपसे कुछ कहते ना है… माँ हो तनिक दोनों बेटा की परेशानी समझो… चलो रखते हैं अम्मा बीमार का हाल ना पूछे फिर भी उस माँ के लिए कमल जैसा ही बेटा भगवान देवे है।” कहकर राधिका ने फोन रख दिया 

पहले तो वो फोन आने से परेशान हो जाती थी बात कभी ना करती थी पर आज बात करने के बाद उसके मन मे सास के लिए कोई शब्द ना निकले… टेंशन वो तो शायद मेरी क़िस्मत में जब तक रहेगा जब तक कमल का परिवार के प्रति मोह कुछ कम ना होगा। राधिका सोचते हुए कमरे में आ पति के स्वस्थ होने की कामना करने लगी ।

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दोस्तों आजकल आप देखते होंगे सब अपने में ही मस्त रहने लगे हैं पर अभी भी कुछ ऐसे बेटे होते हैं जो माँ की हर बात गाँठ बाँध पूरी करते हैं चाहे खुद कितनी परेशानी मे ही क्यों ना हो….और जब पत्नी इस बात पर ग़ुस्सा करती है तो इल्ज़ाम पत्नी पर ये कह कर लगा दिया जाता है कि तुम कौन सा टेंशन कम करती हो… कोई पत्नी टेंशन कब कम कर सकती है जब सुनने समझने वाला उसकी बात समझे जो ना समझे उसके साथ तो टेंशन का ही रिश्ता रह सकता है और कुछ नहीं ।

आपको क्या लगता है राधिका गलत सोच रही है?

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रचना पढ़ने के लिए धन्यवाद ।

 

रश्मि प्रकाश 

 

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